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    नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मारिया कोरिना मचाडो ने भारत के लोकतंत्र की सराहना की, गांधी को बताया आदर्श

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    हाल ही में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित मारिया कोरिना मचाडो ने भारत और इसकी लोकतांत्रिक परंपराओं की खुलकर सराहना की है। एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेते हुए मचाडो ने कहा कि भारत न केवल विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, बल्कि यह विविधता में एकता का सबसे सुंदर उदाहरण भी प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि “भारत का लोकतंत्र दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जहां अलग-अलग धर्म, भाषाएं और संस्कृतियां एक साथ सामंजस्य के साथ आगे बढ़ती हैं।”

    मारिया मचाडो, जो वेनेजुएला की प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता और राजनीतिक नेता हैं, ने कहा कि उन्होंने हमेशा भारत के स्वतंत्रता संग्राम और महात्मा गांधी के सिद्धांतों से प्रेरणा ली है। उन्होंने गांधीजी को अपना “आदर्श और मार्गदर्शक” बताया। मचाडो ने कहा, “महात्मा गांधी ने साबित किया कि अहिंसा और सत्य के बल पर भी सबसे बड़ी शक्तियों को चुनौती दी जा सकती है। उनकी सोच केवल भारत तक सीमित नहीं रही, बल्कि उन्होंने पूरे विश्व को यह सिखाया कि संघर्ष का रास्ता शांति से भी निकाला जा सकता है।”

    उन्होंने भारत की विकास यात्रा की भी सराहना करते हुए कहा कि जिस तरह भारत ने अपनी आजादी के बाद लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत किया है, वह विश्व के लिए अनुकरणीय है। उन्होंने कहा कि भारत ने यह सिद्ध किया है कि लोकतंत्र केवल एक शासन व्यवस्था नहीं, बल्कि यह एक जीवन शैली है जो समानता, स्वतंत्रता और न्याय के मूल्यों पर टिकी है।

    मचाडो ने अपने भाषण में यह भी कहा कि आज की दुनिया में जब कई देश राजनीतिक अस्थिरता और संघर्ष से गुजर रहे हैं, भारत एक ऐसा देश है जिसने संवाद, सहिष्णुता और लोकतांत्रिक मूल्यों के माध्यम से शांति बनाए रखी है। उन्होंने कहा, “भारत की जनता ने बार-बार यह दिखाया है कि असहमति को भी सम्मानपूर्वक सुना जा सकता है, और यही लोकतंत्र की असली ताकत है।”

    महात्मा गांधी के प्रति अपने गहरे सम्मान को व्यक्त करते हुए मचाडो ने कहा कि उन्होंने गांधीजी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ को कई बार पढ़ा है और हर बार उन्हें नई प्रेरणा मिलती है। उन्होंने बताया कि जब वे अपने देश वेनेजुएला में लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के लिए संघर्ष कर रही थीं, तब गांधीजी के विचार उनके लिए मार्गदर्शक बने।

    मचाडो ने कहा, “गांधीजी का दर्शन हमें यह सिखाता है कि किसी भी संघर्ष में नैतिक शक्ति सबसे बड़ी होती है। जब समाज अन्याय और हिंसा के खिलाफ खड़ा होता है, तो उसे गांधीजी जैसे नेताओं की सीख को याद रखना चाहिए।”

    उन्होंने भारत के युवाओं की भी प्रशंसा की और कहा कि आज का भारतीय युवा वैश्विक स्तर पर नेतृत्व की भूमिका निभा रहा है। मचाडो ने कहा कि “भारत का युवा वर्ग परिवर्तन की ताकत है। यह वही पीढ़ी है जो तकनीक, नवाचार और मानव मूल्यों को साथ लेकर चल रही है। यही भारत को 21वीं सदी का मार्गदर्शक बनाएगी।”

    मारिया मचाडो ने इस अवसर पर भारत सरकार और जनता के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें भारत आने का अवसर मिला तो वह महात्मा गांधी की कर्मभूमि साबरमती आश्रम और दिल्ली के राजघाट जरूर जाएंगी। उन्होंने कहा कि “गांधीजी की मिट्टी से उठी खुशबू आज भी पूरे विश्व में शांति का संदेश फैला रही है।”

    अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि मारिया कोरिना मचाडो के इन वक्तव्यों से भारत की वैश्विक छवि और मजबूत होगी। भारत लंबे समय से शांति, संवाद और लोकतांत्रिक मूल्यों का समर्थन करता रहा है, और नोबेल विजेता जैसी हस्तियों की यह सराहना इस बात का प्रमाण है कि भारत का लोकतंत्र विश्व के लिए प्रेरणा बना हुआ है।

    महात्मा गांधी के सिद्धांतों से प्रभावित होकर मचाडो ने अंत में कहा, “भारत ने दुनिया को यह सिखाया है कि वास्तविक ताकत हथियारों में नहीं, बल्कि नैतिकता और सत्य में निहित है।” उनके इन शब्दों से सम्मेलन में उपस्थित सभी प्रतिनिधियों ने तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया।

    भारत की लोकतांत्रिक परंपरा और गांधीजी के विचार आज भी न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए मार्गदर्शक बने हुए हैं — और मचाडो का यह बयान उस विचारधारा की वैश्विक स्वीकृति का एक और सशक्त उदाहरण है।

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