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भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार बल्लेबाज विराट कोहली ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि क्यों उन्हें क्रिकेट जगत में ‘मिस्टर परफेक्शनिस्ट’ कहा जाता है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए तीसरे वनडे मैच में कोहली ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए न सिर्फ टीम को जीत की राह पर लौटाया, बल्कि कई व्यक्तिगत रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिए।
दिलचस्प बात यह रही कि कोहली का स्कोर बिल्कुल उतना ही था जितना जरूरत थी — ना एक रन कम, ना एक रन ज्यादा। इस परफेक्ट पारी ने उनके प्रशंसकों को रोमांचित कर दिया और सोशल मीडिया पर ‘Mr. Perfectionist’ और ‘King Kohli’ जैसे हैशटैग छा गए।
पहले दो मैचों में लगातार शून्य पर आउट होने के बाद विराट कोहली पर जबरदस्त दबाव था। आलोचक सवाल उठा रहे थे कि क्या कोहली का बल्ला अब पहले जैसा जादू दिखा पाएगा? लेकिन सिडनी के मैदान पर उन्होंने हर आलोचक को जवाब देते हुए निर्मल, संयमित और क्लासिक बल्लेबाजी का नमूना पेश किया।
भारत के लक्ष्य का पीछा करते हुए विराट ने 94 गेंदों में 100 रनों की नाबाद पारी खेली। यह पारी उनकी 49वीं वनडे सेंचुरी थी, जिससे उन्होंने सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली। इस तरह कोहली अब सबसे ज्यादा शतक लगाने वाले भारतीय बल्लेबाजों की सूची में शीर्ष पर पहुंच गए हैं।
विराट ने अपनी पारी में 8 चौके और 2 छक्के जड़े, और हर रन के साथ अपने आत्मविश्वास का स्तर बढ़ाते गए। शुरुआत में उन्होंने कुछ ओवर तक गेंदबाजों को समझने में समय लिया, लेकिन जैसे ही उन्होंने लय पकड़ी, पूरी ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी इकाई उनके सामने बेबस दिखी।
कोहली के इस प्रदर्शन की सबसे खास बात यह थी कि उन्होंने अपने शॉट्स में क्लास और कैलकुलेशन का ऐसा मिश्रण दिखाया, जो शायद ही किसी अन्य बल्लेबाज में देखने को मिलता है। उनकी बल्लेबाजी देखकर ऐसा लगा जैसे उन्होंने हर रन पहले से तय कर रखा हो।
सिडनी क्रिकेट ग्राउंड के दर्शक इस शानदार प्रदर्शन के गवाह बने। जब विराट ने अपना शतक पूरा किया, पूरा स्टेडियम उनके नाम से गूंज उठा। भारतीय फैंस ने तिरंगा लहराकर उनका स्वागत किया और कोहली ने आसमान की ओर देखकर मुस्कुराते हुए बल्ला उठाया — मानो खुद को याद दिला रहे हों कि उन्होंने एक बार फिर अपने ही बनाए मानकों को छू लिया है।
मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोहली ने कहा, “पिछले दो मैच मेरे लिए मुश्किल थे, लेकिन क्रिकेट में हर दिन नया मौका होता है। मैंने खुद पर भरोसा रखा और सिर्फ अपनी प्रक्रिया पर ध्यान दिया। सिडनी हमेशा मेरे लिए लकी रहा है, और आज भी वैसा ही हुआ।”
कोच राहुल द्रविड़ ने भी विराट की तारीफ करते हुए कहा, “विराट जैसा खिलाड़ी बहुत कम होता है। दो मैचों में असफल होने के बाद भी वह उसी आत्मविश्वास के साथ खेलते हैं जैसे अपने करियर के चरम पर थे। आज की पारी परफेक्शन का उदाहरण थी।”
क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि विराट कोहली की यह पारी न केवल उनके करियर का टर्निंग पॉइंट हो सकती है, बल्कि भारतीय टीम के आत्मविश्वास के लिए भी महत्वपूर्ण है। पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा, “विराट की पारी में वो पुरानी आक्रामकता और शांति दोनों झलक रही थीं। उन्होंने दिखाया कि क्लास कभी आउट ऑफ फॉर्म नहीं होती।”
इस मैच में कोहली ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की — वह अब वनडे क्रिकेट में 12,500 रन पूरे करने वाले दुनिया के सबसे तेज बल्लेबाज बन गए हैं। उन्होंने यह मील का पत्थर सिर्फ 267 पारियों में छुआ, जबकि सचिन तेंदुलकर को इस उपलब्धि तक पहुंचने में 310 पारियां लगी थीं।
भारत ने इस मुकाबले को 8 विकेट से जीत लिया और सीरीज 2-1 से अपने नाम की। कोहली को ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ और ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ दोनों खिताबों से नवाजा गया।
सोशल मीडिया पर क्रिकेट प्रेमियों ने कोहली की इस वापसी की जमकर तारीफ की। एक फैन ने लिखा, “विराट कोहली सिर्फ बल्लेबाज नहीं, क्रिकेट का एक एटिट्यूड हैं।”
यह पारी सिर्फ एक शतक नहीं, बल्कि एक बयान थी — कि विराट कोहली अब भी वही हैं जो दुनिया को अपने बल्ले से जवाब देना जानते हैं। सिडनी के मैदान पर उन्होंने एक बार फिर अपनी परफेक्शन से यह साबित कर दिया कि ‘किंग’ सिर्फ नाम से नहीं, बल्कि खेल से भी हैं।

 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		






