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    कोचिंग नहीं, सेल्फ-स्टडी से पाई AIR-45 — आपकी सोच बदल देगी UPSC टॉपर श्रद्धा शुक्ला की ये कहानी

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    छत्तीसगढ़ की धरती ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि सच्ची मेहनत और लगन के आगे कोई बाधा बड़ी नहीं होती। रायपुर की रहने वाली श्रद्धा शुक्ला ने बिना किसी कोचिंग इंस्टिट्यूट की मदद और बिना लाखों रुपए खर्च किए UPSC परीक्षा में अखिल भारतीय रैंक 45 (AIR-45) हासिल कर IAS अधिकारी बनने का गौरव पाया है। उनकी यह उपलब्धि न केवल राज्य बल्कि पूरे देश के उन युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखने का साहस रखते हैं।

    श्रद्धा का बचपन एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार में बीता। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा रायपुर के MGM हायर सेकेंडरी स्कूल से पूरी की और फिर DB गर्ल्स पीजी कॉलेज से विज्ञान विषय में स्नातक की डिग्री हासिल की। प्रारंभ से ही उनका रुझान प्रशासनिक सेवा की ओर था, लेकिन उन्होंने तय किया कि वह इस यात्रा को अपने दम पर पूरा करेंगी। इसलिए उन्होंने किसी कोचिंग संस्थान में दाखिला नहीं लिया, बल्कि पूरी तैयारी स्वाध्याय (Self Study) के माध्यम से की।

    पहले दो प्रयासों में उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी गलतियों से सीखा, अपनी रणनीति बदली और तीसरे प्रयास में UPSC सिविल सर्विस परीक्षा 2021 में AIR-45 हासिल कर यह दिखा दिया कि निरंतरता और आत्मविश्वास ही असली कुंजी है। श्रद्धा की तैयारी की रणनीति सरल थी — सिलेबस को पूरी तरह समझना, मूल किताबों पर भरोसा करना, NCERT से मजबूत नींव बनाना और पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों का विश्लेषण करना। उन्होंने अपने समय को बारीकी से विभाजित किया और हर दिन के अध्ययन का लक्ष्य तय किया।

    UPSC इंटरव्यू के दौरान श्रद्धा से छत्तीसगढ़ से जुड़ा एक सवाल पूछा गया, जिसके जवाब में उन्होंने राज्यगीत “अरपा पैरी के धार” गाकर सबका दिल जीत लिया। यह पल न केवल उनके आत्मविश्वास को दर्शाता है बल्कि उनके अपने राज्य और संस्कृति के प्रति प्रेम को भी प्रकट करता है।

    श्रद्धा बताती हैं कि उनकी सफलता के पीछे परिवार का बड़ा योगदान रहा। उनके पिता सुधीर आनंद शुक्ला, जो छत्तीसगढ़ कांग्रेस से जुड़े हैं, ने हमेशा उन्हें सकारात्मक सोच और मेहनत की प्रेरणा दी। माँ ने घर का माहौल हमेशा शांत और अध्ययन के अनुकूल बनाए रखा। श्रद्धा कहती हैं कि परिवार के सहयोग के बिना यह सफर और भी कठिन होता।

    उनका मानना है कि UPSC जैसी परीक्षा में सबसे बड़ा हथियार “आत्म-अनुशासन” है। वे कहती हैं — “कोचिंग आपको दिशा दे सकती है, लेकिन मंज़िल तक पहुँचने के लिए मेहनत खुद करनी होती है।” श्रद्धा ने दिन में औसतन 8-10 घंटे अध्ययन किया, साथ ही अपनी मानसिक सेहत का भी ध्यान रखा। वे नियमित योग और ध्यान करती थीं ताकि तनाव से दूर रह सकें।

    श्रद्धा शुक्ला की कहानी आज उन सभी छात्रों के लिए प्रेरणा बन चुकी है जो यह सोचते हैं कि बिना कोचिंग सफलता संभव नहीं। उन्होंने दिखाया कि अगर व्यक्ति अपनी क्षमता पर भरोसा करे, निरंतर अभ्यास करे और हार से डरे नहीं, तो कोई भी परीक्षा कठिन नहीं रह जाती।

    उनकी यह सफलता केवल एक रैंक या पद नहीं, बल्कि एक विचार का प्रतीक है — कि “सफलता पैसों की नहीं, सोच और परिश्रम की मोहताज होती है।”

    आज श्रद्धा शुक्ला देश की सेवा में अपना योगदान देने को तैयार हैं और युवाओं को यही संदेश देती हैं कि यदि लक्ष्य बड़ा है तो मेहनत भी बड़ी होनी चाहिए। UPSC जैसी परीक्षाएं केवल ज्ञान नहीं, बल्कि धैर्य, अनुशासन और आत्मविश्वास की परीक्षा हैं।

    श्रद्धा का यह सफर हमें यह सिखाता है कि सीमित संसाधन कभी बाधा नहीं होते, यदि संकल्प अडिग हो। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि कोचिंग नहीं, सेल्फ स्टडी ही सबसे बड़ा हथियार है। उनकी कहानी आज हर उस छात्र के लिए एक नई सोच का द्वार खोलती है, जो अपने सपनों को अपने बलबूते साकार करना चाहता है।

     

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