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महाराष्ट्र के सतारा ज़िले में हुए महिला डॉक्टर सुसाइड केस को लेकर सियासी बवाल लगातार बढ़ता जा रहा है। इस बीच राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले पर बड़ा बयान दिया है। फडणवीस ने स्पष्ट किया कि इस मामले में बीजेपी या एनसीपी नेताओं का कोई हाथ नहीं है, और सभी आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं।
फडणवीस ने मीडिया से बातचीत में कहा, “महाराष्ट्र देवा भाऊ को जानता है। मैं न्याय में विश्वास रखता हूं और किसी निर्दोष को सजा नहीं होने दूंगा।” उन्होंने कहा कि मृतक महिला डॉक्टर के साथ जो हुआ, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और दर्दनाक है। सरकार इस मामले में न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है और जांच पूरी तरह पारदर्शी तरीके से की जा रही है।
यह मामला तब चर्चा में आया जब सतारा के एक सरकारी अस्पताल में कार्यरत महिला डॉक्टर ने आत्महत्या कर ली थी। सोशल मीडिया पर वायरल हुए सुसाइड नोट में डॉक्टर ने कथित रूप से मानसिक उत्पीड़न और राजनीतिक दबाव की बात कही थी। इसके बाद विपक्षी दलों ने बीजेपी और एनसीपी के कुछ स्थानीय नेताओं पर आरोप लगाए कि उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर डॉक्टर को परेशान किया।
हालांकि, देवेंद्र फडणवीस ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि राजनीतिक फायदा उठाने के लिए कुछ लोग इस मामले को गलत दिशा में ले जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह समय राजनीति करने का नहीं, बल्कि संवेदना दिखाने का है। एक युवा डॉक्टर ने अपनी जान गंवाई है, हमें यह देखना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।”
फडणवीस ने यह भी बताया कि पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की एक संयुक्त टीम मामले की जांच कर रही है और अब तक जो सबूत मिले हैं, उनमें किसी राजनीतिक व्यक्ति की संलिप्तता नहीं पाई गई है। उन्होंने कहा कि यदि जांच में किसी भी स्तर पर कोई नेता दोषी पाया जाता है, तो किसी भी पार्टी का हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा।
उपमुख्यमंत्री ने मृतक डॉक्टर के परिवार से भी मुलाकात की और उन्हें भरोसा दिलाया कि सरकार पूरी संवेदनशीलता के साथ मामले की जांच कर रही है। फडणवीस ने कहा, “मृतक के परिवार को न्याय मिलेगा, इसमें कोई संदेह नहीं। मैं व्यक्तिगत रूप से इस केस की प्रगति पर नजर रख रहा हूं।”
दूसरी ओर, विपक्ष ने फडणवीस के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार जांच को अपने नियंत्रण में लेकर सच्चाई छिपाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस प्रवक्ता अतुल लोंढे ने कहा, “जब मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री पहले ही क्लीन चिट दे देते हैं, तो जांच एजेंसियां कैसे निष्पक्ष काम करेंगी?”
शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने भी फडणवीस पर हमला बोलते हुए कहा, “देवा भाऊ कहते हैं कि महाराष्ट्र उन्हें जानता है, लेकिन महाराष्ट्र यह भी जानता है कि सत्ता में बैठे लोग किसे बचाते हैं और किसे फंसाते हैं।”
वहीं, भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता केतन देशमुख ने विपक्ष के आरोपों को बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा कि बीजेपी किसी भी तरह के अपराध या उत्पीड़न को बढ़ावा नहीं देती। उन्होंने कहा, “डॉक्टर की मौत दुखद है, लेकिन इसे राजनीतिक रंग देना गलत है। सरकार पहले ही जांच के आदेश दे चुकी है, और हर दोषी को सजा मिलेगी।”
सतारा पुलिस का कहना है कि उन्होंने सुसाइड नोट, फोन रिकॉर्ड और अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज की जांच शुरू कर दी है। अब तक की जांच में यह पाया गया है कि डॉक्टर के सहकर्मियों और वरिष्ठों के बीच कुछ तनाव की स्थिति थी, लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप के सबूत अभी तक नहीं मिले हैं।
इस पूरे मामले ने महाराष्ट्र की राजनीति को एक बार फिर हिला दिया है। विपक्ष जहां सरकार पर पक्षपात और अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगा रहा है, वहीं सत्ताधारी दल इसे एक राजनीतिक षड्यंत्र बता रहा है।
फिलहाल, देवेंद्र फडणवीस के बयान ने इस मामले को और भी चर्चा में ला दिया है। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र ने हमेशा न्याय और मानवता की परंपरा को बनाए रखा है। हम किसी निर्दोष को नहीं फंसाएंगे, लेकिन किसी दोषी को भी बचने नहीं देंगे।”
इस बयान से यह साफ है कि महाराष्ट्र सरकार अब इस संवेदनशील मामले में किसी भी तरह की राजनीतिक छवि पर दाग नहीं लगने देना चाहती। अब देखना यह होगा कि जांच के बाद सच क्या सामने आता है — क्या यह मामला सचमुच राजनीतिक प्रभाव से जुड़ा है या फिर यह एक दुखद व्यक्तिगत त्रासदी मात्र साबित होती है।








