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महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। मुंबई में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नए प्रदेश मुख्यालय के भूमि पूजन कार्यक्रम को लेकर शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि यह जमीन “मराठी भाषा भवन” के लिए निर्धारित थी, लेकिन बीजेपी ने इसे अपने राजनीतिक फायदे के लिए कब्जा लिया।
संजय राउत ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक लंबा पोस्ट साझा किया, जिसमें उन्होंने बीजेपी और राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा, “मुंबई में मराठी भाषा भवन के लिए जो जमीन आवंटित की गई थी, उस पर अब बीजेपी का प्रदेश कार्यालय बनाया जा रहा है। अमित शाह जी से निवेदन है कि मुंबई मराठियों की है, इसे सत्ता की ज़मीन न बनाएं।”
राउत का आरोप है कि यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी नहीं रही और सरकार ने इसे ‘प्रशासनिक अनुमति’ के नाम पर राजनीतिक दबाव से पारित किया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने मराठी भाषा भवन की फाइल वर्षों से ठंडे बस्ते में डाल रखी है, लेकिन बीजेपी के दफ्तर के लिए वही जमीन अचानक तैयार कर दी गई। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि “मराठी भाषा भवन का शिलान्यास आज तक नहीं हुआ, लेकिन बीजेपी कार्यालय के लिए भूमि पूजन अमित शाह से करवा लिया गया — यही है ‘डबल इंजन सरकार’ की प्राथमिकता।”
गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में मुंबई के नारायण दाभोलकर मार्ग पर स्थित नई जमीन पर बीजेपी के नए प्रदेश मुख्यालय का भूमिपूजन किया था। इस मौके पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और कई अन्य बीजेपी नेता मौजूद थे। इस कार्यक्रम को पार्टी ने महाराष्ट्र में अपने “राजनीतिक विस्तार” का प्रतीक बताया था। लेकिन संजय राउत के बयान के बाद यह समारोह विवादों में घिर गया है।
शिवसेना (उद्धव गुट) ने इसे “मराठी अस्मिता” का मुद्दा बना दिया है। पार्टी का कहना है कि बीजेपी ने मराठी संस्कृति और भाषा से जुड़े संस्थानों की अनदेखी की है, जबकि सत्ता के केंद्र में बैठे नेता अपनी राजनीतिक ज़रूरतों के लिए सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। राउत ने कहा कि अगर सरकार में नैतिकता बची है तो वह इस भूमि पूजन को तत्काल रद्द करे और जमीन को मराठी भाषा भवन के लिए पुनः आवंटित करे।
बीजेपी ने संजय राउत के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। महाराष्ट्र बीजेपी प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने कहा, “यह जमीन पूरी तरह वैध तरीके से ली गई है। संजय राउत को अगर कोई आपत्ति है, तो वे अदालत जा सकते हैं। लेकिन झूठ फैलाकर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश न करें।” उन्होंने आगे कहा कि मराठी भाषा भवन का प्रोजेक्ट अलग भूमि पर निर्माणाधीन है और इससे कोई संबंध नहीं है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह विवाद सिर्फ जमीन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह महाराष्ट्र में बढ़ती राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का हिस्सा है। बीजेपी जहां राज्य में अपनी संगठनात्मक जड़ें मजबूत करने में लगी है, वहीं उद्धव ठाकरे की शिवसेना लगातार “मराठी स्वाभिमान” के मुद्दे को उभारकर जनता की सहानुभूति हासिल करने की कोशिश कर रही है।
संजय राउत के बयान के बाद सोशल मीडिया पर भी बहस तेज हो गई है। कई यूजर्स ने राउत के समर्थन में लिखा कि “मराठी भाषा भवन का सपना अभी अधूरा है, और सत्ता में बैठे लोग अपनी सुविधाओं के लिए जनता की भावनाओं से खेल रहे हैं।” वहीं बीजेपी समर्थक यूजर्स का कहना है कि विपक्ष हर विकास परियोजना को राजनीतिक रंग देने में लगा है।
सूत्रों के मुताबिक, मराठी भाषा भवन का प्रस्ताव साल 2018 में मंजूर हुआ था, लेकिन जमीन आवंटन और बजट स्वीकृति को लेकर प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी। अब यह प्रोजेक्ट नई जगह शिफ्ट करने की योजना में है। हालांकि, राउत का दावा है कि “सरकार ने जानबूझकर इसे रोका ताकि बीजेपी अपने कार्यालय के लिए वही जगह हासिल कर सके।”
महाराष्ट्र की राजनीति में यह विवाद आने वाले दिनों में और गहराने की संभावना है। उद्धव ठाकरे खेमे की योजना है कि इस मुद्दे को विधानसभा सत्र में भी उठाया जाए, जिससे बीजेपी को जवाब देने के लिए मजबूर किया जा सके।
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि मराठी अस्मिता बनाम सत्तारूढ़ ताकत का यह टकराव मुंबई की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन सकता है। विशेषकर ऐसे समय में जब स्थानीय निकाय चुनाव नजदीक हैं, यह विवाद वोटबैंक पर असर डाल सकता है।








