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केंद्र सरकार ने लाखों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को बड़ी राहत देने वाला फैसला लिया है। लंबे इंतजार के बाद आखिरकार 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th Central Pay Commission) को सरकार की औपचारिक मंजूरी मिल गई है। मंत्रिमंडल ने इस संबंध में प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। अब आयोग का गठन जल्द किया जाएगा और वह अगले 18 महीनों के भीतर अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपेगा।
सरकार ने इस आयोग की घोषणा जनवरी 2025 में की थी, लेकिन इसकी औपचारिक मंजूरी अब जाकर मिली है। इसका मुख्य उद्देश्य केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन, भत्तों और अन्य वित्तीय लाभों में सुधार से जुड़ी सिफारिशें देना है।
माना जा रहा है कि यह आयोग 2027 से लागू होने वाले नए वेतन ढांचे की रूपरेखा तैयार करेगा। इससे करीब 50 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 70 लाख पेंशनर्स को सीधा लाभ होगा।
क्या करेगा 8वां वेतन आयोग?
सरकार की अधिसूचना के मुताबिक, 8वां वेतन आयोग कर्मचारियों के वेतनमान, डीए (महंगाई भत्ता), एचआरए (हाउस रेंट अलाउंस), बोनस, पेंशन और ग्रेच्युटी जैसी सुविधाओं की समीक्षा करेगा। आयोग यह भी देखेगा कि मौजूदा आर्थिक स्थिति, मुद्रास्फीति और सरकारी राजस्व के हिसाब से कर्मचारियों के वेतन में कितना सुधार किया जा सकता है।
इसके अलावा, आयोग से यह उम्मीद की जा रही है कि वह डिजिटल और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे आधुनिक कार्यक्षेत्रों में काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए नए प्रोत्साहन पैकेज की सिफारिश भी करेगा।
7वें वेतन आयोग से अब तक क्या बदला?
गौरतलब है कि 7वां वेतन आयोग 2013 में गठित किया गया था और इसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू की गई थीं। तब बेसिक सैलरी में 14% तक की बढ़ोतरी की गई थी और फिटमेंट फैक्टर 2.57 तय किया गया था।
अब 8वें वेतन आयोग से उम्मीद की जा रही है कि फिटमेंट फैक्टर को 3.68 तक बढ़ाया जा सकता है, जिससे कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में 26–30% तक की वृद्धि संभव है। हालांकि यह अभी प्रारंभिक अनुमान हैं और अंतिम फैसला आयोग की रिपोर्ट के बाद ही लिया जाएगा।
क्यों जरूरी था नया वेतन आयोग?
पिछले कुछ वर्षों में महंगाई लगातार बढ़ी है। जहां एक ओर कर्मचारियों का डीए (महंगाई भत्ता) हर छह महीने में बढ़ाया जाता है, वहीं बेसिक वेतन में सुधार कई सालों से नहीं हुआ। कर्मचारियों की यूनियनों ने सरकार से मांग की थी कि वेतन संरचना को वर्तमान आर्थिक परिस्थिति के अनुसार अपडेट किया जाए।
इसके अलावा, नई अर्थव्यवस्था में डिजिटल वर्किंग, रिमोट जॉब्स और टेक्नोलॉजी इंटेग्रेशन के कारण सरकारी सेवाओं की कार्यशैली में भी बदलाव आया है। ऐसे में कर्मचारियों के वर्कलोड और कार्यप्रदर्शन के मूल्यांकन के मानकों को भी नए युग के अनुसार ढालने की जरूरत महसूस की गई।
सरकार का रुख
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, आयोग का गठन 2025 की पहली तिमाही में होगा, और इसके अध्यक्ष के रूप में एक वरिष्ठ रिटायर्ड जज या आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ को नियुक्त किया जा सकता है। इसके साथ ही, एक सचिव और कई तकनीकी अधिकारी आयोग में शामिल होंगे जो वित्तीय विश्लेषण, पेंशन संरचना और मानव संसाधन नीति पर काम करेंगे।
सरकार ने साफ किया है कि आयोग की रिपोर्ट को 18 महीनों के भीतर लागू करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसका मतलब है कि अगर सब कुछ तय समय पर हुआ, तो 2027 की शुरुआत तक कर्मचारियों की नई वेतन संरचना लागू हो सकती है।
कर्मचारियों में उत्साह और उम्मीद
8वें वेतन आयोग की मंजूरी के बाद से सरकारी कर्मचारियों में उत्साह की लहर है। केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने इसे ‘दीर्घकालिक राहत’ की दिशा में बड़ा कदम बताया है। यूनियनों का कहना है कि आयोग की रिपोर्ट आने के बाद अगर सिफारिशें निष्पक्ष रूप से लागू की गईं, तो इससे लाखों परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “सरकार की यह मंजूरी सिर्फ वेतन वृद्धि नहीं, बल्कि कर्मचारियों के आत्मविश्वास और प्रेरणा को भी बढ़ाएगी। यह कदम लंबे समय से लंबित था।”
पेंशनर्स को भी राहत
आयोग का दायरा केवल कर्मचारियों तक सीमित नहीं है। इससे पेंशनभोगियों को भी लाभ मिलेगा। यह उनकी पेंशन रिवीजन और डीआर (Dearness Relief) के निर्धारण में नई व्यवस्था लागू करने की सिफारिश करेगा।
सरकार ने संकेत दिए हैं कि पेंशनर्स के लिए एक “डायनामिक पेंशन लिंक सिस्टम” लाने पर भी विचार किया जा सकता है, जिससे उनकी पेंशन हर दो साल में स्वतः महंगाई के अनुरूप संशोधित हो जाएगी।







