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देशभर में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) का अगला चरण शुरू हो गया है। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इस महाअभियान की शुरुआत की है, जो 4 नवंबर 2025 से 7 फरवरी 2026 तक चलेगा। इस प्रक्रिया के तहत करीब 51 करोड़ मतदाता शामिल होंगे।
चुनाव आयोग का यह कदम अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव 2026 की तैयारी के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। इस अभियान के जरिए पुराने रिकॉर्ड्स को अपडेट किया जाएगा, नए मतदाताओं को जोड़ा जाएगा और मृत या डुप्लीकेट वोटर्स को सूची से हटाया जाएगा। आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया मतदान की पारदर्शिता और सटीकता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
निर्वाचन आयोग ने बताया कि इस चरण में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात, तमिलनाडु, राजस्थान, कर्नाटक, ओडिशा, हरियाणा और दिल्ली जैसे प्रमुख राज्यों को शामिल किया गया है। इन राज्यों में राज्य और जिला स्तर पर विशेष टीमें गठित की गई हैं, जो घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी सत्यापित करेंगी।
आयोग ने इस प्रक्रिया को डिजिटल रूप से और भी मजबूत बनाने के लिए इस बार कई नई तकनीकी सुविधाएं भी शुरू की हैं। मतदाता अपने मोबाइल या कंप्यूटर के माध्यम से भी अपने नाम की स्थिति, पता, जन्मतिथि या अन्य जानकारी अपडेट कर सकेंगे। इसके लिए राष्ट्रीय मतदाता सेवा पोर्टल (NVSP) और Voter Helpline App पर विशेष टैब बनाए गए हैं।
निर्वाचन आयोग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमारा लक्ष्य है कि 2026 के चुनावों से पहले मतदाता सूची पूरी तरह सटीक और अद्यतन हो। इस बार प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होगी और इसमें स्थानीय निकायों की भी अहम भूमिका होगी।”
इस विशेष अभियान के दौरान निम्न प्रमुख कार्य किए जाएंगे —
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नए 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के नागरिकों का पंजीकरण,
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स्थानांतरित मतदाताओं की प्रविष्टि अपडेट,
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मृत या डुप्लीकेट मतदाताओं को सूची से हटाना,
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लिंग और आयु संतुलन के लिए डेटा सुधार।
चुनाव आयोग ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे 31 दिसंबर 2025 तक प्रारंभिक मतदाता सूची (Draft Roll) प्रकाशित करें और इसके बाद आपत्तियों तथा दावों के निपटारे की प्रक्रिया शुरू करें। यह अंतिम सूची 7 फरवरी 2026 तक तैयार हो जाएगी।
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि इस बार SIR की प्रक्रिया में “डिजिटल वेरिफिकेशन” को अनिवार्य किया गया है। यानी बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) द्वारा जुटाए गए डाटा को अब इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में वेरिफाई किया जाएगा, जिससे मानव त्रुटियों की संभावना कम हो जाएगी।
ECI ने राज्यों को यह भी निर्देश दिया है कि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में जनजागरूकता अभियान चलाए जाएं ताकि अधिक से अधिक लोग अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वा सकें। इसके लिए सोशल मीडिया, स्थानीय अखबारों और रेडियो चैनलों का उपयोग किया जाएगा।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) राजीव कुमार ने कहा,
“यह केवल वोटर लिस्ट अपडेट का काम नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र को मजबूत करने की प्रक्रिया है। हर योग्य नागरिक का नाम सूची में होना चाहिए और हर प्रविष्टि सही होनी चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा कि भारत में अब मतदाता सूची का डिजिटलीकरण लगभग पूरा हो चुका है, और ECI का प्रयास है कि 2026 तक हर निर्वाचन क्षेत्र में 100% डिजिटल अपडेटिंग सुनिश्चित हो।
गौरतलब है कि SIR का यह दूसरा चरण 21 साल बाद शुरू हुआ है। पिछली बार इतनी बड़ी पुनरीक्षण प्रक्रिया 2004 में कराई गई थी। उस समय आयोग ने देशभर के 29 राज्यों में एक साथ अभियान चलाया था।
इस बार खास बात यह है कि आयोग ने मतदाताओं के लिए दस्तावेज़ सत्यापन प्रक्रिया को भी आसान बनाया है। अब नागरिक आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट या पैन कार्ड में से कोई एक दस्तावेज़ पहचान के लिए दे सकते हैं। इसके अलावा, पता प्रमाण के लिए बिजली बिल, किराए का एग्रीमेंट या बैंक पासबुक को भी मान्यता दी गई है।
मतदाता सूची अपडेट के साथ ही आयोग ने बूथ पुनर्संरचना की दिशा में भी काम शुरू किया है। कई जगहों पर नए मतदान केंद्र बनाए जा रहे हैं ताकि दूरदराज के इलाकों में लोगों को लंबी दूरी तय न करनी पड़े। इसके अलावा, दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी विशेष सुविधाएं जोड़ी जा रही हैं।
ECI ने यह भी घोषणा की कि जिन जिलों में प्रवासी मजदूरों या छात्रों की संख्या अधिक है, वहां “स्मार्ट वोटर सर्विस कैंप” आयोजित किए जाएंगे, जहां ऑन-स्पॉट पंजीकरण और सुधार किए जा सकेंगे।
देश में फिलहाल लगभग 95 करोड़ से अधिक पंजीकृत मतदाता हैं। आयोग का लक्ष्य है कि इस SIR प्रक्रिया के बाद यह संख्या बढ़कर 100 करोड़ के पार पहुंच जाए। इससे न केवल चुनावी भागीदारी बढ़ेगी बल्कि मतदाता सूची में त्रुटियों की संख्या भी ऐतिहासिक रूप से घटेगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह अभियान लोकतंत्र की विश्वसनीयता को और मजबूत करेगा। पारदर्शी और अद्यतन मतदाता सूची से न केवल चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष बनेगी बल्कि नागरिकों का भरोसा भी बढ़ेगा।
इस व्यापक अभियान के साथ भारत निर्वाचन आयोग ने एक बार फिर यह संदेश दिया है कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पारदर्शी, तकनीकी और जनसुलभ बनाने के लिए वह पूरी तरह प्रतिबद्ध है।







