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    भारत-इजरायल के बीच 8 हजार करोड़ की बड़ी डिफेंस डील! भारतीय वायुसेना को मिलेंगे 6 नए मिड-एयर रिफ्यूलिंग विमान, चीन-पाकिस्तान की बढ़ी टेंशन

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    भारत की रक्षा क्षमताओं को एक और नई मजबूती मिलने जा रही है। इजरायल के साथ लगभग 8,000 करोड़ रुपये की रक्षा डील को लेकर भारत ने हरी झंडी दे दी है। इस समझौते के तहत भारतीय वायुसेना (IAF) को छह नए मिड-एयर रिफ्यूलिंग टैंकर विमान मिलने वाले हैं। ये विमान भारत की वायु शक्ति में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी करेंगे और चीन व पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों पर रणनीतिक दबाव बढ़ाएंगे।

    रक्षा सूत्रों के अनुसार, यह डील भारत और इजराइल एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज (IAI) के बीच हुई है। इजरायल की यह कंपनी पुराने बोइंग 767 विमानों को उन्नत तकनीक के साथ टैंकर विमानों में बदलकर भारतीय वायुसेना को सौंपेगी। इस समझौते के साथ भारत की आकाशीय युद्ध क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी, क्योंकि ये टैंकर विमान हवा में ही लड़ाकू विमानों को ईंधन भरने की सुविधा देंगे, जिससे उनके मिशन की रेंज और समय दोनों बढ़ जाएंगे।

    वायुसेना को मिलेगा नया दमखम

    भारतीय वायुसेना के पास वर्तमान में सीमित संख्या में मिड-एयर रिफ्यूलिंग टैंकर हैं। ऐसे में नई डील से वायुसेना को बड़ी राहत मिलेगी। अभी तक वायुसेना के पास केवल रूसी IL-78 टैंकर विमान हैं, जिनका उपयोग लंबे समय से किया जा रहा है। हालांकि, पुराने होने के कारण इन विमानों में मेंटेनेंस की चुनौतियां बढ़ रही थीं।

    इजरायल के ये नए टैंकर विमान तकनीकी रूप से कहीं अधिक आधुनिक होंगे। इनकी खासियत यह है कि ये एक ही समय में कई लड़ाकू विमानों को ईंधन भर सकते हैं और रात के समय भी ऑपरेशन करने में सक्षम हैं। इसके अलावा, इन विमानों में अत्याधुनिक संचार प्रणाली, सुरक्षा उपकरण और स्वदेशी एवीओनिक्स भी लगाए जाएंगे।

    यह सौदा “मेक इन इंडिया” के तहत एक बड़ा कदम माना जा रहा है, क्योंकि इनमें कुछ उपकरण भारत में ही असेंबल किए जाएंगे और IAF के इंजीनियरों को इनकी ट्रेनिंग भी दी जाएगी।

    भारत-इजरायल रक्षा सहयोग का नया अध्याय

    भारत और इजरायल के बीच रक्षा संबंध लंबे समय से बेहद मजबूत रहे हैं। दोनों देशों के बीच डिफेंस टेक्नोलॉजी, मिसाइल सिस्टम, ड्रोन और साइबर डिफेंस के क्षेत्र में कई अहम समझौते पहले भी हो चुके हैं।

    हाल ही में भारत ने इजरायल से SPYDER एयर डिफेंस सिस्टम, HAROP ड्रोन और Barak मिसाइल सिस्टम भी खरीदे हैं। अब यह नई 8,000 करोड़ रुपये की डील दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करेगी।

    इस सौदे की सबसे खास बात यह है कि इससे भारतीय वायुसेना की “एक्सटेंडेड ऑपरेशन कैपेबिलिटी” यानी लंबी दूरी तक लड़ाकू अभियानों को अंजाम देने की क्षमता में उल्लेखनीय इजाफा होगा। इसका सीधा असर चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर पड़ेगा, जहां भारत लगातार अपनी रक्षा उपस्थिति मजबूत कर रहा है।

    चीन-पाकिस्तान की बढ़ी टेंशन

    भारत की इस नई डील ने चीन और पाकिस्तान की चिंता बढ़ा दी है। दोनों देशों के पास भी एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग तकनीक मौजूद है, लेकिन भारत की नई डील के बाद संतुलन एक बार फिर भारत की ओर झुक सकता है।

    रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इजरायली टैंकर विमान भारतीय वायुसेना को पूर्वी लद्दाख, अक्साई चिन, और राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में लंबी दूरी की निगरानी और मिशन क्षमता प्रदान करेंगे। इन विमानों के जरिए वायुसेना अपने Rafale, Sukhoi-30MKI और Tejas जैसे लड़ाकू विमानों की उड़ान सीमा 30-40% तक बढ़ा सकेगी।

    यह डील उस समय आई है जब चीन दक्षिण चीन सागर और पाकिस्तान अपने उत्तरी सीमांत इलाकों में सैन्य गतिविधियाँ तेज़ कर रहे हैं। ऐसे में भारत का यह कदम न केवल सामरिक संतुलन को बनाएगा बल्कि पड़ोसी देशों को यह संदेश भी देगा कि भारत किसी भी परिस्थिति के लिए पूरी तरह तैयार है।

    डिफेंस मिनिस्ट्री की मंजूरी के बाद आगे की प्रक्रिया

    रक्षा मंत्रालय ने इस डील को औपचारिक मंजूरी दे दी है। अब आने वाले महीनों में इजरायल एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज और भारतीय वायुसेना के बीच तकनीकी और लॉजिस्टिक डिटेल्स पर अंतिम बातचीत पूरी की जाएगी। उम्मीद है कि पहले दो टैंकर विमान 2026 के मध्य तक भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल कर लिए जाएंगे।

    वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी ने कहा है कि “यह डील भारतीय वायुसेना की ऑपरेशनल कैपेबिलिटी को अगले स्तर तक ले जाएगी। इससे हमारी स्ट्रैटेजिक रेंज बढ़ेगी और किसी भी आपात स्थिति में हम तेजी से प्रतिक्रिया दे सकेंगे।”

    भारत और इजरायल के बीच हुई यह 8 हजार करोड़ रुपये की डिफेंस डील सिर्फ एक सैन्य समझौता नहीं, बल्कि दो रणनीतिक साझेदारों के बीच विश्वास का प्रतीक है। इससे भारतीय वायुसेना की ताकत में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी और देश की रक्षा व्यवस्था और अधिक मजबूत बनेगी।

    चीन और पाकिस्तान जैसे विरोधी देशों के लिए यह सौदा एक स्पष्ट संदेश है कि भारत अब किसी भी मोर्चे पर समझौता करने को तैयार नहीं है। यह सौदा भारत के “आत्मनिर्भर रक्षा मिशन” को भी नई दिशा देगा और आने वाले वर्षों में देश की सुरक्षा नीति में एक मील का पत्थर साबित होगा।

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