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राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 60 किलोमीटर दूर शाहपुरा इलाके में रविवार की सुबह एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ। एक बस जिसमें उत्तर प्रदेश से आए करीब 65 मजदूर सवार थे, अचानक भीषण आग की चपेट में आ गई। कुछ ही मिनटों में यात्रियों के सपने और उनका सबकुछ राख में बदल गया। दिवाली के बाद नई उम्मीदों के साथ राजस्थान पहुंचे ये लोग अब एक ऐसी त्रासदी का हिस्सा बन गए हैं, जिसे सुनकर हर किसी का दिल कांप उठे।
यह हादसा शाहपुरा के पास जयपुर-Delhi हाईवे पर उस समय हुआ जब बस के इंजन में अचानक शॉर्ट सर्किट से आग लग गई। देखते ही देखते आग ने पूरे वाहन को अपनी चपेट में ले लिया। बस में बैठे यात्रियों में भगदड़ मच गई। किसी ने खिड़कियों से छलांग लगाई तो किसी ने दरवाजे तोड़ने की कोशिश की। लेकिन धुएं और आग की लपटों के बीच सबकुछ कुछ ही मिनटों में खत्म हो गया।
बस में सवार ये सभी मजदूर उत्तर प्रदेश के ललितपुर, झांसी और बांदा जिलों के रहने वाले थे। वे दिवाली के बाद बेहतर रोजगार की तलाश में राजस्थान आए थे। उनके साथ परिवार, बच्चे और घर-गृहस्थी का सारा सामान भी था। बस में बिस्तर, बर्तन, कपड़े और जरूरी चीजें भरी थीं। लेकिन हादसे ने उनका सबकुछ छीन लिया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आग इतनी तेज थी कि कुछ ही मिनटों में पूरी बस धधकते भट्टी में बदल गई। मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने तुरंत दमकल विभाग को सूचना दी। स्थानीय लोगों ने अपनी जान की परवाह किए बिना कई यात्रियों को बाहर निकाला। पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।
हादसे के बाद जो दृश्य सामने आया, वह रूह कंपा देने वाला था। बस के अंदर कई लोगों के जले हुए सामान और अधजले शरीर बिखरे पड़े थे। प्रशासन ने तुरंत घायलों को नजदीकी अस्पताल पहुंचाया, जहां कई की हालत गंभीर बनी हुई है। अब तक की जानकारी के अनुसार, कई लोग झुलसने से घायल हुए हैं और कुछ लापता हैं जिनकी तलाश जारी है।
शाहपुरा थाना पुलिस ने बताया कि प्राथमिक जांच में आग लगने की वजह इंजन में तकनीकी खराबी मानी जा रही है। बस पुरानी थी और उसमें आवश्यक सुरक्षा इंतजाम नहीं थे। यह बस उत्तर प्रदेश से प्राइवेट व्यवस्था के तहत मजदूरों को लेकर राजस्थान आ रही थी।
राजस्थान के मुख्यमंत्री ने इस हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने और घायलों के उपचार की पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार द्वारा उठाने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने कहा, “यह बेहद दुखद घटना है। प्रशासन पूरी तत्परता से राहत और बचाव कार्य में जुटा हुआ है।”
वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी हादसे पर दुख जताते हुए राजस्थान सरकार से समन्वय कर मृतकों के शवों को जल्द से जल्द यूपी पहुंचाने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद देगी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि बसें अक्सर ओवरलोड और खराब तकनीकी स्थिति में लंबी दूरी तय करती हैं, जिससे हादसे का खतरा बढ़ जाता है। सरकार और परिवहन विभाग को इस दिशा में सख्ती बरतने की जरूरत है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
दिवाली के बाद नया जीवन शुरू करने का सपना लेकर निकले इन 65 मजदूरों को क्या पता था कि उनकी यात्रा इतनी दर्दनाक साबित होगी। किसी के हाथ में अपने बच्चों के खिलौने थे, तो कोई अपने भविष्य की उम्मीद लेकर जा रहा था। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।
हादसे के बाद पीड़ित परिवारों में मातम पसरा हुआ है। गांवों में सन्नाटा छा गया है। जिन परिवारों के सदस्य इस बस में सवार थे, वे अब सिर्फ एक सवाल पूछ रहे हैं — “क्यों हुआ यह सब?”
यह हादसा एक बार फिर याद दिलाता है कि सड़क सुरक्षा, वाहन रखरखाव और यात्रियों की सुरक्षा को लेकर हम कितने लापरवाह हैं। हर साल सैकड़ों लोग इसी तरह की दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाते हैं, लेकिन व्यवस्थाओं में सुधार की गति बेहद धीमी है।
जयपुर का शाहपुरा हादसा सिर्फ एक बस दुर्घटना नहीं, बल्कि उन गरीब परिवारों की कहानी है जो अपने सपनों के साथ एक नई शुरुआत करने निकले थे। लेकिन रास्ते में मौत ने उन्हें अपने आगोश में ले लिया।
अब प्रशासन की जिम्मेदारी है कि न केवल घायलों को उचित सहायता मिले, बल्कि ऐसी घटनाओं को दोबारा रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। क्योंकि इन हादसों में सिर्फ इंसान नहीं मरते — उनके सपने, उम्मीदें और आने वाले कल की संभावनाएं भी राख में बदल जाती हैं।







