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    Tata Trusts में गहराता विवाद: Noel Tata और दो अन्य ट्रस्टीज़ ने Mehli Mistry की पुनर्नियुक्ति पर लगाई रोक

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    भारत के सबसे पुराने औद्योगिक घरानों में से एक, Tata Group की दान और सामाजिक सेवा शाखा Tata Trusts में हाल ही में एक बड़ा प्रशासनिक विवाद सामने आया है। Tata Trusts के चेयरमैन Noel Tata और दो अन्य ट्रस्टीज़ ने दिवंगत रतन टाटा के करीबी सहयोगी Mehli Mistry की पुनर्नियुक्ति (Reappointment) पर रोक लगा दी है।

    यह निर्णय Tata Trusts में एक अभूतपूर्व विभाजन (Unprecedented Vertical Split) का संकेत माना जा रहा है, क्योंकि अब तक ट्रस्ट के अंदर के सभी फैसले सर्वसम्मति से लिए जाते रहे हैं।

    सूत्रों के अनुसार, Tata Trusts की हाल ही में हुई बोर्ड बैठक में Mehli Mistry की पुनर्नियुक्ति का प्रस्ताव रखा गया था।
    लेकिन Noel Tata, Venu Srinivasan और Vijay Singh ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान नहीं किया।
    तीनों ट्रस्टीज़ ने तर्क दिया कि पुनर्नियुक्ति की प्रक्रिया को पारदर्शी और संस्थागत बनाया जाना चाहिए, न कि व्यक्तिगत समीकरणों के आधार पर।

    इस निर्णय के बाद Mistry की पुनर्नियुक्ति अस्थायी रूप से रोक दी गई है, जिससे ट्रस्ट के अंदर दो गुट बन गए हैं — एक पक्ष Mistry के समर्थन में है, जबकि दूसरा पक्ष नए नेतृत्व और नयी नीतियों की पैरवी कर रहा है।

    Tata Trusts भारत के सबसे बड़े परोपकारी संगठनों में से एक है, जो Tata Sons — समूह की होल्डिंग कंपनी — में लगभग 66% हिस्सेदारी रखता है। इसका मतलब है कि ट्रस्ट की नीतियों का सीधा प्रभाव Tata Group के प्रबंधन, निवेश और सामाजिक परियोजनाओं पर पड़ता है।

    Mehli Mistry, जो Sterling & Wilson Group से जुड़े हैं, को रतन टाटा का करीबी माना जाता है। उन्होंने 2020 में Tata Trusts के ट्रस्टी के रूप में कार्यभार संभाला था और रतन टाटा के नेतृत्व में समूह के कई निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

    उनकी पुनर्नियुक्ति पर रोक लगना रतन टाटा की “पुरानी टीम” और नए नेतृत्व के बीच बढ़ती दूरी का संकेत देता है।

    Noel Tata, जो रतन टाटा के सौतेले भाई हैं, को 2023 में Tata Trusts का चेयरमैन नियुक्त किया गया था। उन्होंने ट्रस्ट की प्रशासनिक प्रणाली को आधुनिक बनाने, नए प्रोफेशनल्स को जोड़ने और पारदर्शिता बढ़ाने पर जोर दिया है।

    कहा जा रहा है कि Noel Tata की टीम चाहती है कि ट्रस्ट में अब संरचनात्मक सुधार (Structural Reforms) लागू किए जाएं, जिससे ट्रस्टी नियुक्ति और दान परियोजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़े।

    उनका यह रुख पुराने सहयोगियों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है, जो ट्रस्ट की पारंपरिक कार्यशैली को बनाए रखना चाहते हैं।

    Tata Trusts के बोर्ड में अब दो स्पष्ट गुट देखे जा रहे हैं —

    1. Noel Tata, Venu Srinivasan और Vijay Singh का गुट — जो Mehli Mistry की पुनर्नियुक्ति के खिलाफ है।

    2. Darius Khambata, Pramit Jhaveri और Jehangir H.C. Jehangir का गुट — जिन्होंने Mistry के समर्थन में वोट किया।

    यह विभाजन इस बात का संकेत है कि ट्रस्ट के भीतर नेतृत्व की दिशा और नीति-निर्माण पर सहमति की बजाय मतभेद बढ़ रहे हैं।

    Tata Trusts, जो दशकों से देश में शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में अपनी परोपकारी गतिविधियों के लिए जाना जाता है, अब पहली बार आंतरिक मतभेदों के कारण सुर्खियों में है।

    विशेषज्ञों का कहना है कि इस विवाद का असर Tata Group की छवि और निवेशकों के विश्वास पर भी पड़ सकता है।
    क्योंकि Tata Trusts, Tata Sons में बहुमत हिस्सेदारी रखता है, इसलिए ट्रस्ट की एकजुटता समूह के प्रशासनिक निर्णयों पर निर्णायक प्रभाव डालती है।

    एक वरिष्ठ उद्योग विश्लेषक ने कहा —

    “Tata Trusts में विभाजन सिर्फ संस्थागत मामला नहीं है, यह Tata Group की भविष्य की दिशा तय करने वाला कदम भी हो सकता है।”

    • ट्रस्टी नियुक्ति और पुनर्नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर मतभेद।

    • पुराने और नए नेतृत्व के बीच दृष्टिकोण का अंतर।

    • ट्रस्ट की सामाजिक परियोजनाओं की प्राथमिकताओं पर असहमति।

    • रतन टाटा की टीम और Noel Tata की टीम के बीच संवाद की कमी।

    इन सभी कारणों ने मिलकर Mehli Mistry की पुनर्नियुक्ति के प्रस्ताव को विवाद का केंद्र बना दिया।

    सूत्रों के अनुसार, Tata Trusts के चेयरमैन Noel Tata जल्द ही एक आंतरिक समीक्षा समिति (Internal Review Committee) गठित कर सकते हैं, जो भविष्य की नियुक्तियों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश तैयार करेगी।

    ट्रस्ट के निकट सूत्रों का कहना है कि Noel Tata इस विवाद को “व्यक्तिगत नहीं बल्कि संस्थागत सुधार की प्रक्रिया” के रूप में देख रहे हैं।

    कॉर्पोरेट जगत में यह घटनाक्रम Tata Group के भविष्य के नेतृत्व पर गहराई से नजर रखने वाले विश्लेषकों के लिए चौंकाने वाला है।
    कई विशेषज्ञ मानते हैं कि यह विवाद रतन टाटा के दौर की “सहमति आधारित संस्कृति” से अलग एक नई कार्यशैली की शुरुआत है।

    एक पूर्व वरिष्ठ Tata अधिकारी ने टिप्पणी की —

    “Tata Trusts में यह बदलाव संकेत देता है कि समूह अब भावनात्मक संबंधों से अधिक पेशेवर दृष्टिकोण अपनाने की दिशा में बढ़ रहा है।”

    Tata Trusts में Mehli Mistry की पुनर्नियुक्ति को लेकर उठा विवाद अब Noel Tata के नेतृत्व के लिए एक बड़ी परीक्षा बन गया है।
    जहाँ एक ओर यह पारदर्शिता और आधुनिकता की ओर कदम के रूप में देखा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर यह रतन टाटा के विरासत मॉडल से एक निर्णायक विचलन भी है।

    आने वाले महीनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ट्रस्ट इस मतभेद को सुलझाने के लिए किस राह पर चलता है — संवाद और समझौते की, या संरचनात्मक परिवर्तन की

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