इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है और सियासी हलचल तेज होती जा रही है। इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को दरभंगा में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए NDA के मुख्यमंत्री चेहरे पर चल रहे सस्पेंस को खत्म करने की कोशिश की। उन्होंने साफ कहा कि नीतीश कुमार ही गठबंधन के नेतृत्व में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे।
अमित शाह ने महागठबंधन पर तीखा प्रहार करते हुए कहा, “बिहार की जनता अब ठगबंधन की असलियत जान चुकी है। लालू यादव और नीतीश कुमार ने मिलकर जो नाटक रचा है, उसे जनता 2025 में खत्म करेगी।” उन्होंने यह भी दावा किया कि भाजपा और उसके सहयोगी दलों की सरकार राज्य को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।
अमित शाह ने कहा कि NDA का एजेंडा केवल सत्ता नहीं बल्कि सेवा है। उन्होंने कहा, “हम बिहार में रोजगार, शिक्षा और कानून-व्यवस्था पर काम कर रहे हैं। जो लोग जातिवाद की राजनीति करते हैं, उन्हें जनता ने पहले भी नकारा है और इस बार भी नकारेगी।”
दरभंगा की इस रैली में शाह ने अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धियों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “मोदी सरकार ने गरीबों के जीवन में रोशनी लाई है। मुफ्त राशन, आयुष्मान भारत और उज्ज्वला जैसी योजनाओं से बिहार के करोड़ों लोगों को लाभ मिला है।”
हालांकि, अमित शाह के इस बयान के कुछ ही घंटे बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मुजफ्फरपुर जिले के सकरा में अपनी पहली चुनावी सभा से भाजपा पर तीखा पलटवार किया। उन्होंने कहा, “अमित शाह चाहे जितनी रैलियां कर लें, जनता अब उनके झूठे वादों में नहीं आने वाली। बिहार की जनता समझ चुकी है कि ये सरकार गरीबों की नहीं, पूंजीपतियों की है।”
राहुल गांधी ने अपने भाषण में बेरोजगारी, महंगाई और किसानों की हालत का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है। “मोदी और शाह केवल चुनाव जीतने की राजनीति जानते हैं, लेकिन जनता की समस्याएं हल करने की जिम्मेदारी से भागते हैं,” राहुल ने कहा।
उन्होंने NDA के ‘ठगबंधन’ बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “असल में ठगबंधन तो भाजपा का है, जिसने देश की जनता से हर चुनाव में झूठे वादे किए हैं। कभी दो करोड़ रोजगार का वादा किया, कभी किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही — लेकिन नतीजा क्या हुआ? युवाओं को बेरोजगारी और किसानों को आत्महत्या।”
कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि बिहार में इस बार जनता परिवर्तन चाहती है। उन्होंने महागठबंधन के उम्मीदवारों के समर्थन में वोट करने की अपील करते हुए कहा कि “हम एक ऐसा बिहार बनाना चाहते हैं, जहां नफरत नहीं, रोजगार और शिक्षा की राजनीति हो।”
बिहार चुनावी परिदृश्य में अमित शाह और राहुल गांधी के ये बयान अब राजनीतिक बहस का केंद्र बन गए हैं। शाह जहां NDA की एकजुटता दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं राहुल गांधी विपक्ष को नई ऊर्जा देने में जुटे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अमित शाह के बयान से यह स्पष्ट संकेत मिल गया है कि भाजपा ने नीतीश कुमार पर अपना भरोसा कायम रखा है, जबकि दूसरी ओर कांग्रेस, राजद और वाम दलों का गठबंधन बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर जनता से जुड़ने की कोशिश कर रहा है।
बिहार के मतदाताओं के बीच अभी भी यह चर्चा गर्म है कि क्या NDA सरकार नीतीश कुमार के नेतृत्व में दोबारा सत्ता में आएगी या इस बार महागठबंधन जनता का भरोसा जीतने में सफल होगा। दोनों ही पक्ष लगातार रैलियों, रोड शो और जनसंवाद कार्यक्रमों के जरिए अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटे हैं।
दरभंगा की रैली के दौरान शाह ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि “बिहार के लोग अब लालटेन युग में नहीं लौटना चाहते।” वहीं राहुल गांधी ने अपनी सभा में जवाब देते हुए कहा कि “जो खुद अंधेरे में हैं, वे दूसरों को रोशनी नहीं दे सकते।”
जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं, बिहार की राजनीति में बयानबाज़ी और तीखी होती जा रही है। दोनों प्रमुख दल जनता को अपने पक्ष में करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।
अमित शाह और राहुल गांधी के हालिया बयानों से यह स्पष्ट है कि बिहार चुनाव 2025 न केवल राजनीतिक प्रतिष्ठा का मुद्दा बन चुका है, बल्कि यह चुनाव राज्य की दिशा और दशा तय करने वाला साबित हो सकता है।
जनता अब यह तय करेगी कि क्या वह NDA के विकास मॉडल को दोबारा मौका देगी या महागठबंधन के वादों पर भरोसा जताएगी। फिलहाल, बिहार की सियासत में उत्साह और गरमाहट दोनों ही तेजी से बढ़ रही हैं।







