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महाराष्ट्र सरकार ने नासिक-त्र्यंबकेश्वर में 2026 में होने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले की तैयारियों को गति दे दी है। राज्य के जलसंपदा मंत्री और कुंभ मेला समन्वयक गिरीश महाजन ने जानकारी दी कि इस बार कुंभ को सुरक्षित, सुव्यवस्थित और तकनीकी रूप से सशक्त बनाने के लिए माइक्रो-प्लानिंग (सूक्ष्म योजना) की प्रक्रिया शुरू की गई है।
मुंबई में आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में मंत्री महाजन ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी विभाग अपने-अपने क्षेत्र में योजना बनाकर कार्य प्रारंभ करें। उन्होंने कहा कि यह कुंभ मेला राज्य की प्रतिष्ठा और धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ आयोजन है, इसलिए किसी भी स्तर पर चूक की गुंजाइश नहीं रहनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि आने वाले कुंभ में तीन मुख्य शाही स्नान मानसून के समय होने जा रहे हैं, इसलिए बारिश और जलभराव से संबंधित चुनौतियों को ध्यान में रखकर विशेष प्रबंधन किया जा रहा है। गिरीश महाजन ने कहा कि भीड़ नियंत्रण, सुरक्षा, स्वच्छता, चिकित्सा सुविधाएं, यातायात और नदी संरक्षण जैसे सभी पहलुओं को लेकर एकीकृत रणनीति तैयार की जा रही है।
इस बार कुंभ मेले के लिए कई स्थायी संरचनाएँ भी बनाई जाएंगी ताकि उनका उपयोग भविष्य में शहर की सुविधाओं के रूप में किया जा सके। महाजन ने कहा कि “हमारा उद्देश्य केवल कुंभ मेला सफल बनाना नहीं है, बल्कि नासिक और त्र्यंबकेश्वर के बुनियादी ढांचे को भी स्थायी रूप से मजबूत करना है।”
नासिक महानगर पालिका ने मेले के दौरान स्वच्छता और सीवेज प्रबंधन के लिए विस्तृत योजना तैयार की है। नगर निगम के अनुसार, करीब 17,000 मोबाइल शौचालय लगाए जाएंगे ताकि लाखों श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। साथ ही, गोदावरी नदी की स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए सभी नालों और सीवेज लाइन को सील करने का कार्य भी शुरू कर दिया गया है।
मंत्री महाजन ने बताया कि मेले में भीड़ प्रबंधन सबसे बड़ी चुनौती है। इस बार इसके लिए AI-आधारित निगरानी प्रणाली और ड्रोन सर्विलांस की व्यवस्था पर भी विचार किया जा रहा है। यातायात नियंत्रण के लिए नए फ्लाईओवर, वैकल्पिक मार्ग और पार्किंग ज़ोन तैयार किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि “हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कुंभ के दौरान श्रद्धालुओं को कहीं भी जाम या असुविधा का सामना न करना पड़े। शहर के प्रवेश और निकास बिंदुओं पर स्वचालित सिग्नलिंग और डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम लगाए जाएंगे।”
इस बार नासिक कुंभ मेले की योजना को इस तरह बनाया जा रहा है कि यह आयोजन केवल धार्मिक नहीं बल्कि पर्यटन और आर्थिक दृष्टि से भी राज्य के लिए लाभकारी सिद्ध हो। मेला क्षेत्र में अस्थायी स्टॉल्स, स्थानीय हस्तशिल्प बाजार, धार्मिक प्रदर्शनियां और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी योजना तैयार की जा रही है।
नासिक के साथ-साथ त्र्यंबकेश्वर क्षेत्र में भी तीर्थस्थलों का विकास किया जा रहा है। गोदावरी तट पर रामकुंड और पंचवटी क्षेत्रों में सौंदर्यीकरण के काम तेज किए गए हैं। पानी की गुणवत्ता पर नजर रखने के लिए रियल-टाइम वाटर मॉनिटरिंग सिस्टम लगाया जाएगा।
मंत्री महाजन ने कहा कि “कुंभ मेला केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की धार्मिक और सांस्कृतिक आत्मा का उत्सव है। राज्य सरकार चाहती है कि यहां आने वाले हर श्रद्धालु को एक सुरक्षित, स्वच्छ और शांतिपूर्ण वातावरण मिले।”
उन्होंने आगे बताया कि सभी विभागों को इस दिशा में समन्वय स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं। ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन, स्वास्थ्य, पर्यावरण और पुलिस विभागों को अलग-अलग जिम्मेदारियां दी गई हैं ताकि आयोजन के दौरान कोई प्रशासनिक कठिनाई न आए।
नासिक कुंभ मेला 2015 में भी सफलतापूर्वक आयोजित किया गया था, लेकिन इस बार श्रद्धालुओं की संख्या दोगुनी से अधिक होने की संभावना है। इसलिए, व्यवस्थाओं को और अधिक प्रौद्योगिकी-संचालित बनाया जा रहा है।
स्थानीय प्रशासन का कहना है कि कुंभ मेले से नासिक को दीर्घकालिक लाभ होगा। सड़कें, पुल, जलनिकासी व्यवस्था, बिजली की लाइनें और नेटवर्क कनेक्टिविटी जैसी कई परियोजनाएं इस अवसर पर विकसित की जा रही हैं जो मेला समाप्त होने के बाद भी शहर को सुविधा प्रदान करेंगी।
कुल मिलाकर, नासिक में होने वाला आगामी सिंहस्थ कुंभ मेला धार्मिक आस्था, तकनीकी दक्षता और पर्यावरण संरक्षण का संगम बनने जा रहा है। सरकार की माइक्रो-प्लानिंग नीति से यह सुनिश्चित होगा कि लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा, सुविधा और आस्था का पूरा सम्मान किया जा सके।
राज्य सरकार के मुताबिक, यह मेला न केवल आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करेगा बल्कि महाराष्ट्र की संस्कृति, परंपरा और प्रशासनिक क्षमता का प्रतीक भी बनेगा। नासिक का कुंभ मेला आने वाले वर्षों में देश और दुनिया के धार्मिक आयोजनों का एक सुरक्षित और प्रेरक मॉडल प्रस्तुत करेगा।







