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नागपुर में किसानों का आंदोलन लगातार दूसरे दिन भी जारी रहा, और NH-44 हाइवे पर 20 किलोमीटर लंबा जाम लग गया। यह जाम किसानों की बढ़ती नाराजगी और राज्य सरकार से उनकी मांगों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए लगाया गया है।
किसान नेता बच्चू कडू ने बुधवार को स्पष्ट कर दिया कि वे राज्य सरकार के साथ उच्च-स्तरीय बातचीत के लिए मुंबई नहीं जाएंगे। उनका कहना है कि सरकार की तरफ से अभी तक किसानों की मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया है। बच्चू कडू ने यह भी कहा कि आंदोलन तभी समाप्त होगा जब किसानों की फसलों की उचित कीमत और अन्य संबंधित मुद्दों पर संतोषजनक समाधान निकले।
NH-44 पर दोनों तरफ से वाहनों की लंबी कतारें लगी हैं। लोग कई घंटे तक फंसे हुए हैं और यातायात प्रभावित हुआ है। यात्रियों और ट्रक चालकों को अपनी मंजिल तक पहुँचने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय प्रशासन ने ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस फोर्स और बैरियर लगाए हैं, लेकिन जाम को नियंत्रित करना मुश्किल साबित हो रहा है। किसान आंदोलन का असर शहर और आसपास के क्षेत्रों में भी देखा जा रहा है। स्थानीय व्यापारियों और दुकानदारों का कहना है कि हाइवे पर जाम के कारण माल की आपूर्ति प्रभावित हो रही है। इसके अलावा, स्वास्थ्य सेवाओं और आपातकालीन सेवाओं पर भी इसका असर पड़ रहा है।
किसानों की मुख्य मांगें फसल की उचित कीमत, कर्ज माफी, सिंचाई सुविधाओं में सुधार और नई कृषि नीतियों का निष्पादन हैं। बच्चू कडू ने सरकार से कहा कि ये मांगें किसानों के जीवन और आजीविका से जुड़ी हुई हैं और इन पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। बच्चू कडू का कहना है कि वे मुंबई नहीं जाएंगे क्योंकि सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस प्रस्ताव नहीं आया है। उनका यह भी कहना है कि आंदोलन को लंबा खींचने का उद्देश्य सरकार पर दबाव बनाना और किसानों की आवाज को राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाना है।
स्थानीय प्रशासन ने हाइवे पर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अधिकारियों को सक्रिय कर दिया है। यातायात पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी लगातार किसानों से बातचीत कर रहे हैं ताकि यातायात को कुछ हद तक सुचारू किया जा सके। सामाजिक रूप से भी आंदोलन ने लोगों की संवेदनाओं को छू लिया है। कई लोग किसानों के समर्थन में खड़े हुए हैं और आंदोलन के कारण उनकी परेशानियों को समझ रहे हैं। वहीं, कुछ लोग हाइवे जाम के कारण हुई असुविधाओं को लेकर नाराज भी हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चू कडू और अन्य किसान नेताओं का यह कड़ा रुख आंदोलन को और लंबा खींच सकता है। सरकार को जल्द ही किसानों के मुद्दों पर ठोस कदम उठाने होंगे, नहीं तो आंदोलन और अधिक गहरा हो सकता है।
इसके अलावा, प्रशासन ने चेतावनी दी है कि हाइवे पर लंबे समय तक जाम बने रहने से सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर असर पड़ सकता है। ऐसे में सरकार और किसानों के बीच संवाद की आवश्यकता और भी बढ़ गई है।
नागपुर में NH-44 हाइवे पर दूसरा दिन भी किसानों के आंदोलन और 20 किलोमीटर लंबा जाम देखने को मिला। बच्चू कडू का मुंबई जाने से इनकार और सरकार पर दबाव बढ़ाना इस आंदोलन की मुख्य रणनीति बन गई है। यह आंदोलन केवल किसानों की मांगों का मुद्दा नहीं है, बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बन गया है। आने वाले दिनों में सरकार और किसानों के बीच बातचीत और समाधान की दिशा में कदम उठाना अनिवार्य है। नागपुर और आसपास के क्षेत्रों में इस आंदोलन और हाइवे जाम का असर लगातार महसूस किया जा रहा है, और यह देखने वाली बात होगी कि बच्चू कडू और सरकार के बीच इस गतिरोध का समाधान कब और कैसे होता है।








