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महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक राजकुमार बडोले ने हाल ही में एक नया भक्ति और आध्यात्मिक गीत ‘दिव्य समर्पण’ लिखा है, जो अब सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर खूब चर्चित हो रहा है। यह गीत केवल एक संगीत रचना नहीं बल्कि भगवान बुद्ध के सार्वभौमिक संदेश, शांति और अहिंसा का प्रचार भी करता है।
राजकुमार बडोले ने इस गीत के माध्यम से लोगों को यह संदेश दिया है कि जीवन में सच्चा सुख और संतोष तभी आता है जब हम अपने अहंकार और लोभ से दूर रहते हुए दिव्य समर्पण की भावना अपनाते हैं। गीत के बोल सरल हैं लेकिन उनके अर्थ गहन और प्रभावशाली हैं।
गीत ‘दिव्य समर्पण’ में बुद्ध के शिक्षाओं और उनके संदेशों को भावपूर्ण तरीके से दर्शाया गया है। इसमें अहिंसा, करुणा, शांत मन और दूसरों के प्रति दया की भावना को प्रमुखता दी गई है। बडोले का कहना है कि वह चाहते हैं कि यह गीत लोगों के दिलों में आध्यात्मिक जागरूकता और जीवन में सकारात्मकता लाए।
सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व
बडोले का यह गीत केवल भक्ति संगीत तक सीमित नहीं है। इसके माध्यम से उन्होंने समाज में शांति, एकता और आपसी समझ का संदेश भी देने की कोशिश की है। आधुनिक जीवन की भागदौड़ और तनावपूर्ण परिस्थितियों में लोगों को मानसिक शांति और ध्यान के महत्व को उजागर करना इस गीत का मुख्य उद्देश्य है।
गीत के लॉन्च के समय बडोले ने कहा, “हम सभी को अपने जीवन में प्रेम, करुणा और शांतिपूर्ण सोच अपनानी चाहिए। ‘दिव्य समर्पण’ का संदेश यही है कि व्यक्ति का आंतरिक मन जब शांति से भरा होता है, तभी समाज में भी शांति और सौहार्द्र कायम रहता है।”
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर वायरल
‘दिव्य समर्पण’ गीत को विभिन्न ओटीटी और डिजिटल म्यूजिक प्लेटफॉर्म्स पर रिलीज किया गया है। गीत का संगीत, लय और बोल दर्शकों को तुरंत जोड़ते हैं। सोशल मीडिया पर अब तक हजारों लोग इसे शेयर कर चुके हैं और लोग गीत की भावपूर्ण प्रस्तुति की प्रशंसा कर रहे हैं।
फैंस और दर्शकों ने सोशल मीडिया पर गीत को “प्रेरणादायक और आत्मा को छू लेने वाला” बताया है। कई लोगों ने इसे अपने परिवार और मित्रों के साथ साझा किया और इसे जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने वाला गीत बताया।
राजनीति और संगीत का संगम
राजकुमार बडोले भारतीय राजनीति में लंबे समय से सक्रिय हैं, लेकिन उनका यह कदम दर्शाता है कि राजनीतिज्ञ भी समाज और जनता के लिए कला और संगीत के माध्यम से सकारात्मक संदेश दे सकते हैं। बडोले ने अपनी राजनीतिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ समाज में आध्यात्मिक जागरूकता फैलाने का काम भी किया है।
यह गीत युवाओं के बीच भी काफी लोकप्रिय हो रहा है। गीत की भाषा सरल और भावनाओं को छू लेने वाली है, जिससे युवा इसे आसानी से समझ सकते हैं और अपने जीवन में अपनाने की कोशिश कर सकते हैं। बडोले का मानना है कि संगीत और भक्ति के माध्यम से समाज में शांति और करुणा फैलाना संभव है।
गीत का उद्देश्य और संदेश
‘दिव्य समर्पण’ का उद्देश्य केवल आध्यात्मिक आनंद देना नहीं है, बल्कि लोगों को जीवन में धैर्य, शांति और करुणा की शिक्षा देना भी है। बडोले का कहना है कि जब व्यक्ति अपने अहंकार और लालच को छोड़कर दूसरों के प्रति दया और प्रेम दिखाता है, तभी वह वास्तविक रूप से सुखी और संतुष्ट होता है।
गीत का मुख्य संदेश यह है कि दुनिया में शांति तभी संभव है जब हम अपने मन और हृदय में प्रेम, करुणा और समझदारी को जगह दें। इस दृष्टिकोण को बडोले ने बेहद सरल लेकिन प्रभावशाली ढंग से गीत में प्रस्तुत किया है।
भविष्य की योजनाएं
राजकुमार बडोले का यह प्रयास केवल एक गीत तक सीमित नहीं रहेगा। उनका कहना है कि वह भविष्य में और भी ऐसे गीतों और रचनाओं के माध्यम से समाज में शांति, भाईचारा और आध्यात्मिक जागरूकता फैलाना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि युवा वर्ग भी उनके संदेश को अपनाकर समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में योगदान दे।
राजकुमार बडोले का ‘दिव्य समर्पण’ गीत राजनीति और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम है। यह न केवल भक्ति संगीत प्रेमियों के लिए बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणादायक संदेश देता है। इस गीत के माध्यम से बडोले ने यह साबित किया कि कला और संगीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन और शांति फैलाने का शक्तिशाली माध्यम भी हो सकते हैं।








