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बिहार में विधानसभा चुनाव प्रचार जोरों पर है, और इसी बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “मोदी जी का यमुना से कोई लेना-देना नहीं है, न ही उन्हें छठ पूजा जैसी लोक परंपराओं की कोई समझ है।” राहुल गांधी ने यह बयान बिहार के मुजफ्फरपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए दिया, जहां उन्होंने कांग्रेस के चुनाव अभियान की औपचारिक शुरुआत की।
राहुल गांधी ने अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि भाजपा और केंद्र सरकार लोगों की धार्मिक भावनाओं का उपयोग केवल वोट हासिल करने के लिए करती है, जबकि असल में उनका जनता की परंपराओं और संघर्षों से कोई सरोकार नहीं है। राहुल ने कहा, “मोदी जी टीवी पर छठ पूजा की बातें करते हैं, लेकिन क्या उन्होंने कभी यमुना को साफ करवाने की कोशिश की? क्या उन्होंने उन मजदूरों की चिंता की जो छठ पर्व में घर जाने के लिए सड़क पर पैदल चलने को मजबूर हुए?”
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि छठ पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह भारत के श्रम, परिश्रम और लोकसंस्कृति का प्रतीक है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने “धर्म के नाम पर राजनीति” को नया रूप दिया है, लेकिन “जनता के असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए धर्म और त्योहारों का इस्तेमाल करती है।”
राहुल गांधी ने अपने भाषण में आर्थिक मुद्दों को भी केंद्र में रखा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में वोट चोरी, नोटबंदी, जीएसटी और महंगाई ने देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है। राहुल ने कहा, “जीएसटी का सबसे ज्यादा नुकसान बिहार, उत्तर प्रदेश और छोटे कारोबारियों को हुआ है। मोदी जी ने वादा किया था कि वो गरीबों का भला करेंगे, लेकिन उन्होंने तो छोटे दुकानदारों की रीढ़ तोड़ दी।”
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा सरकार ने देश की संपत्ति कुछ उद्योगपतियों को बेच दी, जिससे छोटे व्यापारी, किसान और मजदूर वर्ग संकट में हैं। राहुल गांधी ने जनता से अपील की कि वे ऐसे नेताओं को पहचानें जो धर्म और जाति के नाम पर समाज को बाँटते हैं, जबकि असल में वे जनता की रोज़मर्रा की परेशानियों से दूर हैं।
राहुल ने मोदी सरकार पर “वोट चोरी” का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा लोकतंत्र की आत्मा को कमजोर कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार एजेंसियों, मीडिया और प्रशासन का दुरुपयोग कर रही है ताकि चुनावों में मनचाहा परिणाम मिल सके। “जो पार्टी खुद को सबसे ईमानदार बताती है, वही चुनाव आयोग, ईवीएम और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने का काम कर रही है,” राहुल गांधी ने कहा।
राहुल गांधी ने बिहार की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि छठ पर्व बिहार की आत्मा में बसा हुआ है। उन्होंने कहा कि “छठ सिर्फ एक पूजा नहीं, बल्कि यह प्रकृति और श्रम की पूजा है। इसमें यमुना, गंगा, सूर्य और किसान की मेहनत का आशीर्वाद शामिल है। मोदी जी को इसकी भावनात्मक गहराई समझ में नहीं आ सकती, क्योंकि उनकी राजनीति केवल दिखावे की है।”
अपने भाषण के दौरान राहुल ने गरीब और मध्यम वर्ग की परेशानियों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आज देश में रोजगार घट रहा है, किसान कर्ज में डूब रहे हैं, शिक्षा महंगी हो चुकी है, और स्वास्थ्य सेवाएं गरीबों की पहुंच से बाहर हैं। राहुल ने दावा किया कि अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो वह युवाओं को रोजगार, किसानों को राहत और छोटे व्यापारियों के लिए कर सुधार लागू करेगी।
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर व्यक्तिगत हमला करते हुए कहा कि वे सिर्फ प्रचार के सहारे राजनीति करते हैं। “मोदी जी कैमरे के सामने बहुत अच्छे लगते हैं, लेकिन देश की असलियत कैमरे से बाहर है,” राहुल ने कहा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का सबसे बड़ा फोकस जनता की भावनाओं से खेलना है, न कि समस्याओं का समाधान करना।
राहुल गांधी के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। भाजपा नेताओं ने राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि वे देश की संस्कृति और परंपराओं का मजाक उड़ा रहे हैं। भाजपा ने कहा कि मोदी सरकार ने छठ जैसे पर्वों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है और बिहार के विकास के लिए अभूतपूर्व काम किए हैं।
हालांकि, राहुल गांधी का यह बयान बिहार में चुनावी माहौल को और तीखा बना सकता है। उनके बयान का सीधा असर उन मतदाताओं पर पड़ सकता है जो भाजपा की धार्मिक राजनीति से नाराज़ हैं या जिन पर आर्थिक संकट का असर पड़ा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राहुल गांधी अपने नए अभियान के जरिए “धर्म बनाम ज़िम्मेदारी” की बहस को हवा देना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि जनता धर्म के नाम पर वोट देने के बजाय अपने सामाजिक और आर्थिक अधिकारों के बारे में सोचे।
अंत में, राहुल गांधी का संदेश यही था कि “देश धर्म से नहीं, एकता, रोजगार और न्याय से चलता है।” उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के पास “न नया विचार है, न नया विजन, सिर्फ नफरत की राजनीति और प्रचार की मशीनरी है।”
मुजफ्फरपुर की इस सभा में राहुल गांधी के भाषण ने एक बार फिर संकेत दे दिया है कि आगामी बिहार चुनावों में कांग्रेस भाजपा और एनडीए के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने जा रही है, और केंद्र सरकार की नीतियों को कटघरे में खड़ा करेगी।







