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भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शुक्रवार को आयोजित यंग लीडर्स फोरम 2025 में देश के युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की असली ताकत उसके युवा हैं, खासकर Gen Z, जो “डिजिटली सक्षम, तकनीकी रूप से निपुण और वैश्विक स्तर पर जुड़े हुए” हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में युद्ध के स्वरूप तेजी से बदल रहे हैं और इस बदलाव के केंद्र में युवा पीढ़ी ही होगी।
जनरल द्विवेदी ने अपने संबोधन की शुरुआत इस बात से की कि भारत आज उस दौर में है जहां सुरक्षा की परिभाषा केवल सीमाओं तक सीमित नहीं रही। उन्होंने कहा —
“हम अब ऐसे युग में प्रवेश कर चुके हैं जहां युद्ध केवल सीमाओं पर नहीं लड़ा जाता, बल्कि डेटा, साइबरस्पेस, सूचना और विचारधारा के माध्यम से भी लड़ा जा रहा है। इस नए युद्ध क्षेत्र में सबसे आगे हैं हमारे Gen Z युवा, जो डिजिटल और तकनीकी दुनिया में स्वाभाविक रूप से सहज हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत के युवाओं में “रचनात्मकता और तर्कशील सोच” की क्षमता है, जो भविष्य की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतियों का मूल आधार बन सकती है। जनरल द्विवेदी ने यह भी जोड़ा कि युवा केवल सोशल मीडिया या डिजिटल मंचों पर सक्रिय न रहें, बल्कि “सुरक्षा, नवाचार और राष्ट्र निर्माण” में प्रत्यक्ष भूमिका निभाएं।
उन्होंने Gen Z को भारत का “सबसे मूल्यवान संसाधन” बताते हुए कहा कि आने वाले दशक में वही तय करेंगे कि भारत वैश्विक मंच पर कैसे उभरेगा।
“भारत के युवा न केवल टेक्नोलॉजी में निपुण हैं, बल्कि उनमें जिम्मेदारी की भावना भी गहरी है। वे राष्ट्रहित के लिए काम करना जानते हैं। हमें बस उनकी ऊर्जा को सही दिशा में मोड़ने की जरूरत है,”
जनरल द्विवेदी ने कहा।
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि आधुनिक युद्ध का स्वरूप अब ‘मल्टी-डोमेन वॉरफेयर’ में बदल गया है — यानी ज़मीन, समुद्र, वायु, अंतरिक्ष और साइबरस्पेस — पांचों क्षेत्रों में एक साथ रणनीतिक तैयारी की आवश्यकता है। इसमें तकनीकी सशक्तिकरण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होगी।
जनरल द्विवेदी ने कहा कि भारतीय सेना पहले से ही “डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन” की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। उन्होंने बताया कि सेना ने “इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर” के लिए विशेष यूनिट्स बनाई हैं जो साइबर सुरक्षा और डेटा प्रोटेक्शन पर काम कर रही हैं।
उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे सेना को केवल परंपरागत दृष्टिकोण से न देखें, बल्कि इसे “नवाचार और तकनीक के केंद्र” के रूप में भी समझें।
“आज की सेना केवल हथियारों से नहीं, बल्कि कोडिंग, डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी क्षमताओं से भी सशक्त होती है,”
उन्होंने कहा।
फोरम में मौजूद युवाओं ने जनरल द्विवेदी से सवाल किए जिनका उन्होंने खुले दिल से जवाब दिया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती है “सूचना युद्ध” यानी गलत सूचनाओं और फेक न्यूज के जरिए समाज में अस्थिरता फैलाना। उन्होंने कहा कि इसके लिए हर नागरिक को डिजिटल जिम्मेदारी का पालन करना होगा।
उन्होंने कहा —
“आज का युवा ‘डिजिटल योद्धा’ है। उसे यह समझना होगा कि सोशल मीडिया पर साझा की गई हर बात का प्रभाव राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ सकता है। जागरूक और जिम्मेदार डिजिटल नागरिक ही भारत को मजबूत बना सकते हैं।”
सत्र के अंत में आर्मी चीफ ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि उन्हें खुद को “सिर्फ नौकरी खोजने वाला नहीं, बल्कि देश बनाने वाला” मानना चाहिए। उन्होंने बताया कि भारतीय सेना युवा इनोवेटर्स और टेक्नोलॉजिस्ट्स के लिए कई अवसर प्रदान कर रही है — जैसे AI research, drone technology, robotics और cybersecurity से जुड़ी परियोजनाएं।
जनरल द्विवेदी का यह संबोधन उस समय आया है जब भारत साइबर खतरों और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों के नए युग में प्रवेश कर रहा है। उनकी यह बात कि “नए युद्ध क्षेत्र के केंद्र में Gen Z है” न केवल सेना की दृष्टि को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि भविष्य की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में युवाओं की भूमिका कितनी अहम होगी।
कार्यक्रम के अंत में उन्होंने कहा —
“युवा शक्ति ही भारत की असली शक्ति है। अगर हमने इस शक्ति को सही दिशा दी, तो कोई भी ताकत भारत को रोक नहीं सकती।”
इस भाषण को देशभर के युवाओं और रक्षा विशेषज्ञों ने “दूरदर्शी और प्रेरक” बताया है। सोशल मीडिया पर भी जनरल द्विवेदी के विचारों को व्यापक सराहना मिल रही है।

 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		






