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    सिंहस्थ कुंभ 2027 के लिए सरकार ने ₹25,000 करोड़ की योजना शुरू की, प्रदूषण नियंत्रण और गोदावरी की स्वच्छता शीर्ष एजेंडे में

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    महाराष्ट्र सरकार ने सिंहस्थ कुंभ 2027 की तैयारियों को लेकर एक महत्वाकांक्षी ₹25,000 करोड़ के विकास प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य है — गोदावरी नदी को प्रदूषण मुक्त बनाना, शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना, यातायात प्रबंधन को दुरुस्त करना और पर्यावरण-संवेदनशील कुंभ आयोजन सुनिश्चित करना।

    मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में लोक निर्माण विभाग, नगर विकास मंत्रालय, पर्यावरण विभाग और नाशिक म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। सरकार का मानना है कि आने वाला कुंभ न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक होगा बल्कि यह “ग्रीन और स्मार्ट कुंभ” के रूप में भी मिसाल पेश करेगा।

    गोदावरी की स्वच्छता सर्वोच्च प्राथमिकता
    सरकार ने गोदावरी नदी को “जीवंत नदी” के रूप में पुनर्स्थापित करने की योजना बनाई है। नदी के किनारे सैकड़ों धार्मिक स्थल और घाट हैं, जहां हर दिन हजारों श्रद्धालु स्नान करते हैं। लेकिन बढ़ते प्रदूषण और सीवेज बहाव के कारण गोदावरी की स्थिति चिंताजनक हो गई थी।

    इस योजना के तहत गोदावरी रिवर क्लीनिंग मिशन को नए रूप में शुरू किया जाएगा। इसमें 35 से अधिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) और मॉडर्न वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम स्थापित किए जाएंगे। इसके साथ ही घाटों की सफाई, जैविक अपशिष्ट नियंत्रण और ड्रेनेज नेटवर्क के पुनर्गठन पर भी कार्य किया जाएगा।

    पर्यावरण मंत्री ने कहा —

    “कुंभ के दौरान गोदावरी में करोड़ों लोग स्नान करेंगे। इसलिए नदी को प्रदूषण मुक्त रखना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। हम तकनीकी और जैविक दोनों स्तरों पर इसे स्वच्छ बनाने के लिए काम कर रहे हैं।”

    शहर में होंगे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड
    कुंभ 2027 के दौरान नाशिक में करोड़ों श्रद्धालुओं के आगमन की संभावना है। इसीलिए शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर में व्यापक सुधार की योजना बनाई गई है। इस प्रोजेक्ट में नए पुलों का निर्माण, स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम, रोड चौड़ीकरण, मल्टी-लेवल पार्किंग और नए बस टर्मिनल शामिल हैं।

    PWD मंत्री ने बताया कि नाशिक एयरपोर्ट को भी विस्तार दिया जा रहा है और नया टर्मिनल बिल्डिंग तैयार किया जाएगा ताकि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा मिले। इसके साथ ही रेलवे स्टेशन और बस अड्डे के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।

    ग्रीन कुंभ का विज़न — पर्यावरण संरक्षण पर जोर
    सरकार इस बार के कुंभ को “ग्रीन कुंभ” बनाने की दिशा में काम कर रही है। योजना में सोलर पैनल से ऊर्जा आपूर्ति, इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग स्टेशन, वेस्ट से एनर्जी प्रोजेक्ट और प्लास्टिक-फ्री जोन जैसी पहलें शामिल की गई हैं।

    शहरी विकास विभाग के अधिकारियों के अनुसार, नाशिक शहर के प्रमुख 15 किलोमीटर क्षेत्र को “ग्रीन जोन” घोषित किया जाएगा, जहां केवल पर्यावरण-अनुकूल तकनीक और उत्पादों का उपयोग होगा।

    ट्रैफिक और लॉजिस्टिक्स पर भी फोकस
    कुंभ के दौरान ट्रैफिक प्रबंधन एक बड़ी चुनौती होती है। इस बार ट्रैफिक व्यवस्था को डिजिटल रूप से नियंत्रित करने की तैयारी की जा रही है। GPS आधारित ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम, स्मार्ट सिग्नलिंग और लाइव रूट अपडेट्स जैसी सुविधाएं लागू की जाएंगी।

    नाशिक म्यूनिसिपल कमिश्नर ने बताया कि शहर में अस्थायी टेंट सिटी, फूड ज़ोन, मेडिकल कैंप और सुरक्षा चौकियां स्थापित की जाएंगी। इसके लिए सुरक्षा एजेंसियों, स्वास्थ्य विभाग और फायर ब्रिगेड की टीमों को पहले से प्रशिक्षित किया जा रहा है।

    स्थानीय लोगों की सहभागिता पर जोर
    सरकार चाहती है कि कुंभ की सफलता केवल प्रशासनिक नहीं बल्कि सामुदायिक पहल बने। इसके लिए नागरिक समाज, धार्मिक संगठनों और युवाओं को भी अभियान में जोड़ा जाएगा। स्वच्छता मिशन और नदी बचाओ अभियान के तहत स्कूली बच्चों और कॉलेज के छात्रों को शामिल किया जाएगा।

    केंद्र सरकार का सहयोग भी तय
    राज्य सरकार ने इस मेगा प्रोजेक्ट के लिए केंद्र से तकनीकी और वित्तीय सहायता मांगी है। उम्मीद है कि शहरी विकास मंत्रालय और पर्यावरण मंत्रालय आने वाले महीनों में इस योजना के कुछ हिस्सों को “राष्ट्रीय महत्व की परियोजना” का दर्जा देगा।

    कुंभ 2027 — ‘ग्रीन, क्लीन और टेक्नोलॉजी ड्रिवन’ आयोजन की ओर
    इस योजना के साथ महाराष्ट्र सरकार का लक्ष्य है कि नाशिक कुंभ 2027 न केवल भारत बल्कि दुनिया के सबसे स्वच्छ और संगठित धार्मिक आयोजनों में से एक बने। प्रशासन का कहना है कि यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि “शहरी नवाचार और पर्यावरण प्रबंधन” का उदाहरण भी होगा।

    कुल मिलाकर, ₹25,000 करोड़ की यह योजना नाशिक के विकास और पर्यावरण संरक्षण का एक अभूतपूर्व समन्वय साबित हो सकती है। कुंभ 2027 अब केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि एक ‘सस्टेनेबल फ्यूचर मॉडल’ की ओर बढ़ता कदम है।

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