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भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले जा रहे दूसरे टी20 मुकाबले में एक दिलचस्प पैटर्न ने क्रिकेट प्रेमियों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। हर बार की तरह इस बार भी मिचेल मार्श ने टॉस जीतकर वही पुराना फैसला दोहराया है। यह कोई इत्तेफाक नहीं बल्कि एक लगातार चलने वाला संयोग बन गया है। मार्श ने अब तक अपने कप्तानी करियर में 19 बार टॉस जीता है और हर बार उन्होंने एक जैसा ही निर्णय लिया है — और यही बात अब सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन चुकी है।
आज मेलबर्न के मैदान पर खेले जा रहे दूसरे टी20 में भारत के कप्तान सूर्यकुमार यादव ने टॉस जीता और पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। लेकिन, ध्यान देने वाली बात यह रही कि अगर टॉस मार्श जीतते, तो शायद वे भी वही फैसला लेते — पहले गेंदबाजी का। क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि मार्श की यह रणनीति उनकी टीम की सोच और मैच की परिस्थितियों को भली-भांति दर्शाती है।
मिचेल मार्श के टॉस रिकॉर्ड पर नजर डालें तो यह किसी दिलचस्प आंकड़े से कम नहीं है। उन्होंने जब भी टॉस जीता है, उन्होंने हमेशा पहले गेंदबाजी करने का विकल्प चुना है। इस तरह का एकतरफा फैसला आधुनिक टी20 क्रिकेट में कम ही देखने को मिलता है, लेकिन मार्श इसके अपवाद साबित हुए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि मार्श की रणनीति स्पष्ट है — वे चाहते हैं कि उनकी टीम लक्ष्य का पीछा करते हुए खेले। आज के टी20 फॉर्मेट में यह रणनीति कई टीमों द्वारा अपनाई जाती है क्योंकि पिच की स्थिति और ड्यू फैक्टर का असर दूसरे पारी में बल्लेबाजी करने वाली टीम के पक्ष में रहता है। ऑस्ट्रेलिया की टीम में कई आक्रामक बल्लेबाज हैं जो बड़े स्कोर का पीछा करने में माहिर हैं, और शायद यही कारण है कि मार्श इस नीति से कभी नहीं हटते।
हालांकि, क्रिकेट फैंस के बीच यह विषय बहस का मुद्दा बन गया है। कई लोगों का कहना है कि यह “लकी टॉस फॉर्मूला” है जो मार्श के लिए अब तक कई बार काम कर गया है, जबकि कुछ का मानना है कि यह रणनीतिक जिद है जो हर बार सही साबित नहीं होती। खासकर तब, जब पिच बल्लेबाजी के लिए बेहतर होती है और पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम का फायदा हो सकता है।
ऑस्ट्रेलियाई कप्तान मिचेल मार्श अपने शांत स्वभाव और ठोस नेतृत्व के लिए जाने जाते हैं। वे हर निर्णय तथ्यों और आंकड़ों के आधार पर लेते हैं। क्रिकेट विश्लेषकों का कहना है कि मार्श अपने आंकड़ों पर बहुत भरोसा करते हैं। उनका मानना है कि आधुनिक टी20 क्रिकेट में लक्ष्य का पीछा करना टीमों के लिए ज्यादा आसान होता है क्योंकि पिच की स्थिति और रन रेट की जरूरत मैच के दौरान साफ दिखाई देती है।
पिछले कुछ मैचों में देखा गया है कि जब भी ऑस्ट्रेलिया ने पहले गेंदबाजी की है, उनके गेंदबाजों ने पिच की मदद से विपक्षी टीम को सीमित करने में सफलता हासिल की है। वहीं, बल्लेबाजों ने रन चेज के दौरान बेहतरीन प्रदर्शन किया है। यही सिलसिला शायद मिचेल मार्श की सोच को और मजबूत बनाता है।
क्रिकेट फैंस का कहना है कि अगर मार्श की टीम लगातार जीत हासिल करती रही, तो यह ‘टॉस से जीत तक’ की रणनीति के रूप में जानी जाएगी। दूसरी ओर, अगर परिणाम उलटे आने लगे तो शायद मार्श को भी अपनी नीति पर पुनर्विचार करना पड़ेगा।
दूसरा टी20 मुकाबला मेलबर्न में बारिश के बीच खेला जा रहा है, जिससे मैच छोटा होने की संभावना बनी हुई है। ऐसे में टॉस का महत्व और बढ़ गया है क्योंकि DLS (डकवर्थ लुईस) नियमों के तहत लक्ष्य का पीछा करने वाली टीम को अक्सर फायदा मिलता है। यही वजह है कि कप्तान पहले गेंदबाजी को प्राथमिकता दे रहे हैं।
कुल मिलाकर, मिचेल मार्श का यह लगातार 19वां एक जैसा फैसला क्रिकेट इतिहास में एक दिलचस्प आंकड़ा बन गया है। जहां एक ओर यह रणनीति उनके आत्मविश्वास को दिखाती है, वहीं दूसरी ओर यह सवाल भी उठाती है कि क्या यह साहस है या अंधा भरोसा? फिलहाल इतना तय है कि मार्श के इस निर्णय ने एक बार फिर क्रिकेटप्रेमियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर हर बार टॉस जीतने के बाद वे एक ही फैसला क्यों करते हैं।

 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		






