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मुंबई के पवई इलाके में गुरुवार को हुए सनसनीखेज बंधक कांड में पुलिस ने अब पूरे घटनाक्रम पर बड़ा खुलासा किया है। पुलिस के अनुसार, आरोपी रोहित आर्या ने पहले फायरिंग की थी, जिसके बाद जवाबी कार्रवाई में उसे गोली लगी। गोली उसके सीने में लगी, जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस ने यह भी पुष्टि की कि घटना के दौरान कुल 19 लोगों को बंधक बनाया गया था, जिनमें 17 बच्चे, एक बुजुर्ग महिला और एक अन्य व्यक्ति शामिल थे।
घटना पवई के आर.ए. स्टूडियो कॉम्प्लेक्स में हुई, जहां आरोपी रोहित आर्या एक एक्टिंग क्लास चलाता था। गुरुवार दोपहर अचानक उसने क्लास के अंदर मौजूद बच्चों को बंद कर दिया और किसी को भी बाहर नहीं जाने दिया। जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो उसने खुद को अंदर से बंद कर लिया और कहा कि अगर कोई अंदर आया तो वह “सबको उड़ा देगा”।
गोलीबारी की शुरुआत आरोपी ने की – पुलिस
मुंबई पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर विश्वजीत पाटिल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया,
“जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि रोहित आर्या ने पहले फायरिंग की थी। उसने पुलिस टीम पर गोली चलाई। आत्मरक्षा में जवाबी फायरिंग की गई, जिसमें एक गोली उसके सीने में लगी।”
पुलिस ने बताया कि आरोपी के पास से एक देशी पिस्टल, तीन कारतूस और पेट्रोल की बोतलें बरामद की गईं। शुरुआती जांच से पता चला है कि वह पिछले कुछ हफ्तों से मानसिक तनाव में था और सोशल मीडिया पर बार-बार “फेम और धोखे” से जुड़े वीडियो पोस्ट कर रहा था।
घटनास्थल पर अफरातफरी, बच्चों की रोने की आवाजें
घटना के समय एक्टिंग क्लास में मौजूद बच्चों के माता-पिता स्टूडियो के बाहर जमा हो गए थे। अंदर से लगातार बच्चों के रोने और मदद की आवाजें आ रही थीं। करीब दो घंटे तक पुलिस ने आरोपी को समझाने की कोशिश की, लेकिन जब उसने अचानक फायरिंग की और पेट्रोल की बोतल से आग लगाने की धमकी दी, तब पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई में सभी बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। मुंबई पुलिस की क्विक रिस्पॉन्स टीम (QRT) और बम निरोधक दस्ते ने मिलकर स्टूडियो को घेर लिया था।
रोहित आर्या का प्रोफाइल – एक्टर से यूट्यूबर तक का सफर
रोहित आर्या खुद को सोशल मीडिया पर “एक्टर और मोटिवेशनल यूट्यूबर” बताता था। उसके यूट्यूब चैनल पर कई ऐसे वीडियो हैं जिनमें वह फिल्म इंडस्ट्री में अपनी असफलताओं और धोखे की बात करता दिखाई देता है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, कुछ दिनों पहले उसका एक विवाद स्थानीय प्रोडक्शन हाउस से हुआ था, जिसके बाद से वह काफी परेशान था। घटना के दिन उसने सुबह ही सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था —
“अब सबको सच्चाई दिखेगी…”
यह पोस्ट अब वायरल हो रहा है और पुलिस इसकी भी जांच कर रही है कि क्या उसने यह सब पहले से प्लान किया था।
पुलिस की वीरता से टली बड़ी त्रासदी
अगर पुलिस समय रहते कार्रवाई नहीं करती तो यह घटना एक बड़े नरसंहार में बदल सकती थी। पुलिस कमिश्नर विवेक फणसे ने बताया कि टीम ने धैर्य और रणनीति से काम लिया।
“हमारा मकसद बच्चों को सुरक्षित निकालना था। जब उसने गोली चलाई, तो हमें जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। आत्मरक्षा में की गई फायरिंग में वह घायल हुआ और अस्पताल ले जाते वक्त उसकी मौत हो गई।”
मुंबई पुलिस ने इस ऑपरेशन को “Operation Safe Kids” नाम दिया। करीब 60 मिनट तक चले इस ऑपरेशन में 40 से अधिक पुलिसकर्मी शामिल थे।
घटना के बाद राजनीतिक हलचल
इस घटना के बाद महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई पुलिस की त्वरित कार्रवाई की सराहना की। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ट्वीट कर कहा —
“मुंबई पुलिस ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जब बात नागरिकों की सुरक्षा की आती है, तो वे हमेशा चौकस रहते हैं। सभी बच्चों के सुरक्षित बचाव के लिए पुलिस टीम को सलाम।”
वहीं, महाराष्ट्र कांग्रेस ने इस घटना के बहाने मुंबई में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर रोहित आर्या की मानसिक स्थिति पर समय रहते ध्यान दिया जाता तो यह घटना टाली जा सकती थी।
जांच जारी, सोशल मीडिया एक्टिविटी की हो रही स्कैनिंग
पुलिस अब आरोपी के मोबाइल, लैपटॉप और सोशल मीडिया अकाउंट की जांच कर रही है। शुरुआती जांच में पता चला है कि वह कुछ समय से “इंडस्ट्री में बदले की भावना” से पोस्ट कर रहा था।
अधिकारियों ने बताया कि उसकी मानसिक स्थिति को लेकर मनोवैज्ञानिकों की एक टीम रिपोर्ट तैयार करेगी ताकि यह पता चल सके कि घटना के पीछे क्या वजह थी।
अंतिम शब्द: एक सवाल बाकी
रोहित आर्या की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं — क्या मुंबई जैसे शहरों में मानसिक तनाव और सोशल मीडिया के दबाव ने युवाओं को चरम पर पहुंचा दिया है? क्या इस तरह की घटनाएं आगे और खतरनाक रूप ले सकती हैं?
पवई की यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि समाज के उस चेहरे को दिखाती है जहां असफलता और तनाव के बीच इंसान खुद को खो देता है।

 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		






