इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में बिजली विभाग के बबेरू उपखंड कार्यालय में बड़ा घोटाला सामने आया है। विभाग के एक टीजी-2 कर्मचारी ने उपभोक्ताओं से वसूली गई 14 लाख रुपये की राशि जमा न कर गबन कर लिया। मामला सार्वजनिक होते ही विभाग में हड़कंप मच गया और अधीक्षण अभियंता ने तत्काल सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए।
बताया जा रहा है कि आरोपी कर्मचारी ने लंबे समय तक उपभोक्ताओं से बिल वसूली करने के बाद राशि जमा नहीं की और फरार हो गया। इस कार्रवाई से विभाग की साख को गंभीर नुकसान हुआ और उपभोक्ताओं में भी नाराजगी देखी गई।
सख्त प्रशासनिक कार्रवाई
अधीक्षण अभियंता ने मामले की गंभीरता को देखते हुए टीजी-2 कर्मचारी को निलंबित कर दिया है। इसके अलावा, तत्कालीन एक्सईएन और लेखाकार पर भी कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की लापरवाही और गबन किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि न केवल कर्मचारी से राशि की पूरी रिकवरी की जाएगी, बल्कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त निगरानी और ऑडिट प्रक्रिया लागू की जाएगी।
उपभोक्ताओं में रोष
बबेरू उपखंड के कई उपभोक्ताओं ने शिकायत की थी कि उनके जमा किए गए बिलों की राशि के सही रसीद नहीं दी गई। इस मामले का खुलासा होने के बाद उपभोक्ताओं में भारी रोष देखा गया। कई लोग इस बात पर नाराज हैं कि सरकारी विभागों में भी भ्रष्टाचार की घटनाएं घटित हो रही हैं।
पिछले मामलों का हवाला
उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग में इससे पहले भी कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं जहां कर्मचारियों ने उपभोक्ताओं से वसूली की गई राशि का गबन किया। अधिकारी इस बार यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि गबनकर्ता को पकड़ने और राशि की वसूली के लिए सभी कानूनी उपाय अपनाए जाएं।
रिकवरी प्रक्रिया और आगे की योजना
अधिकारियों ने बताया कि निलंबित कर्मचारी की संपत्ति और बैंक खाते की जांच की जाएगी। यदि राशि आंशिक रूप से भी जमा होती है, तो उसे तुरंत विभाग में लौटाया जाएगा। इसके साथ ही, विभाग ने अन्य कर्मचारियों के खिलाफ भी ऑडिट और निगरानी बढ़ा दी है, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
विभागीय सुधारों की दिशा
इस घटना के बाद बांदा बिजली विभाग ने अपने संचालन में सुधार करने की योजना बनाई है। इसमें डिजिटल वसूली, रसीदें और लेन-देन का पारदर्शी रिकॉर्ड रखना शामिल है। अधिकारी मानते हैं कि तकनीक के इस्तेमाल से इस प्रकार की घटनाओं पर रोक लगाई जा सकती है।








