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    इसरो ने रचा नया इतिहास: श्रीहरिकोटा से लॉन्च हुआ अब तक का सबसे भारी सैटेलाइट CMS-03, जानिए क्या हैं इसके फायदे

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    भारत के अंतरिक्ष मिशनों की श्रृंखला में इसरो ने एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाते हुए अब तक का सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट CMS-03 सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इस सैटेलाइट को LVM3-M5 रॉकेट के जरिये अंतरिक्ष में भेजा गया। इस लॉन्च के साथ ही भारत ने न केवल अपनी तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन किया, बल्कि दूरसंचार और डिजिटल सेवाओं के क्षेत्र में एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है।

    इसरो के वैज्ञानिकों के मुताबिक, CMS-03 सैटेलाइट का वजन लगभग 6,200 किलोग्राम है, जो अब तक का सबसे भारी भारतीय कम्युनिकेशन सैटेलाइट है। यह सैटेलाइट जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में स्थापित किया गया है और अगले 15 साल तक भारत सहित समुद्री इलाकों में डिजिटल और नेटवर्क सेवाएं प्रदान करेगा।

    लॉन्च के बाद इसरो प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा कि “CMS-03 हमारे देश के संचार नेटवर्क को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। यह मिशन ग्रामीण और समुद्री क्षेत्रों में इंटरनेट व मोबाइल कनेक्टिविटी को मजबूत बनाएगा, जिससे ‘डिजिटल इंडिया’ का सपना और सशक्त होगा।”

    CMS-03 को खासतौर पर भारत के संचार इंफ्रास्ट्रक्चर को और मज़बूत करने के लिए तैयार किया गया है। देश के कई दूरदराज इलाकों में जहां अब तक नेटवर्क या टीवी सिग्नल पहुंचना मुश्किल था, वहां यह सैटेलाइट अहम भूमिका निभाएगा। यह हाई-थ्रूपुट तकनीक (High Throughput Technology) से लैस है, जो ज्यादा बैंडविड्थ और तेज़ इंटरनेट स्पीड देने में सक्षम है।

    सैटेलाइट की एक बड़ी खासियत यह है कि यह केवल जमीन पर ही नहीं, बल्कि समुद्री इलाकों में भी नेटवर्क उपलब्ध कराएगा। भारत के तटीय क्षेत्रों और समुद्री सीमाओं में काम करने वाले जहाजों को इससे बेहतर संचार और आपात स्थिति में तुरंत सहायता मिल सकेगी। इसके अलावा, आपदा प्रबंधन में भी यह सैटेलाइट अहम योगदान देगा।

    इसरो के अधिकारियों के अनुसार, CMS-03 सैटेलाइट की मदद से देश के दूरदराज के इलाकों में डिजिटल शिक्षा, ई-गवर्नेंस और टेलीमेडिसिन जैसी सेवाओं को भी आसानी से पहुंचाया जा सकेगा। इससे न केवल ग्रामीण भारत में डिजिटल पहुंच बढ़ेगी, बल्कि आर्थिक और सामाजिक विकास की गति भी तेज़ होगी।

    LVM3-M5 रॉकेट के सफल प्रक्षेपण से इसरो ने एक बार फिर अपनी विश्वसनीयता साबित की है। यह वही रॉकेट है जिसे भारत के सबसे महत्वाकांक्षी मिशन — चंद्रयान-3 और आदित्य-L1 — में भी इस्तेमाल किया गया था। इस लॉन्च ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अब अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और वैश्विक स्तर पर अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

    CMS-03 की लॉन्चिंग के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो टीम को बधाई देते हुए कहा, “यह मिशन भारत की वैज्ञानिक क्षमता और तकनीकी प्रगति का प्रतीक है। इससे देश के करोड़ों लोगों तक डिजिटल सेवाएं और कनेक्टिविटी पहुंचाने में मदद मिलेगी।”

    इसरो अब भविष्य में ऐसे कई हाई-थ्रूपुट सैटेलाइट्स की योजना बना रहा है, जो भारत को अंतरिक्ष संचार के क्षेत्र में और मजबूत बनाएंगे। संगठन की योजना है कि आने वाले वर्षों में भारत न केवल अपने नागरिकों के लिए बल्कि पड़ोसी देशों को भी सैटेलाइट संचार सेवाएं प्रदान कर सके।

    CMS-03 की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि भारत केवल अंतरिक्ष अन्वेषण में ही नहीं, बल्कि कम्युनिकेशन और तकनीकी इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भी दुनिया की अग्रणी ताकत बन चुका है।

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