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मेरठ में सांस लेना अब मुश्किल होता जा रहा है। शहर की हवा में इतना जहर घुल चुका है कि यह उत्तर प्रदेश का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है और पूरे देश में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, मेरठ का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 394 तक पहुंच गया, जो ‘गंभीर श्रेणी’ में आता है। इसका सीधा मतलब है कि शहर की हवा सांसों के लिए जानलेवा बन चुकी है।
सबसे ज्यादा प्रदूषण का स्तर पल्लवपुरम इलाके में दर्ज किया गया, जहां AQI 394 रिकॉर्ड हुआ। वहीं जयभीम नगर में 387, दिल्ली रोड पर 377, बेगमपुल पर 361 और गंगानगर में 356 AQI दर्ज किया गया। यह आंकड़े बताते हैं कि शहर का कोई भी कोना अब प्रदूषण से अछूता नहीं बचा।
धूल, धुआं और ट्रैफिक जाम की वजह से मेरठ की हवा लगातार जहरीली होती जा रही है। सुबह और शाम के वक्त जब सड़कों पर गाड़ियों की भीड़ होती है, तो शहर धुंध की मोटी परत से ढक जाता है। हालत यह है कि लोगों की आंखों में जलन और गले में खराश की शिकायतें बढ़ गई हैं। डॉक्टरों का कहना है कि लगातार इस तरह की हवा में सांस लेना अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और हार्ट डिजीज के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।
डॉक्टरों की चेतावनी:
मेरठ मेडिकल कॉलेज के पल्मोनोलॉजी विभाग के डॉ. रवि त्यागी के अनुसार, “AQI का स्तर 300 से ऊपर जाने पर सामान्य व्यक्ति को भी सांस लेने में दिक्कत होती है। लेकिन मेरठ में स्थिति 390 के पार है। ऐसे में बुजुर्गों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए।”
प्रदूषण के बढ़ने के मुख्य कारण
विशेषज्ञों के मुताबिक, मेरठ में प्रदूषण की बढ़ती समस्या के पीछे कई कारण हैं। सड़कों पर भारी वाहन, निर्माण कार्यों से उठती धूल, खुले में कूड़ा जलाना और औद्योगिक इकाइयों से निकलता धुआं – ये सब मिलकर शहर को गैस चेंबर बना रहे हैं। इसके अलावा, ठंडी हवाओं और मौसम में बदलाव के चलते हवा में मौजूद प्रदूषक तत्व नीचे की ओर जमा हो रहे हैं, जिससे हालात और भी गंभीर हो गए हैं।
प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल
हालांकि, प्रशासन की तरफ से प्रदूषण नियंत्रण के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन जमीन पर तस्वीर कुछ और ही दिखती है। ना तो सड़क किनारे धूल रोकने के लिए पानी का छिड़काव हो रहा है, और ना ही खुले में कूड़ा जलाने वालों पर कोई सख्त कार्रवाई। पर्यावरण विभाग के पास भी इस स्थिति से निपटने की कोई ठोस रणनीति नहीं दिख रही है।
लोगों में बढ़ी नाराजगी
स्थानीय नागरिकों ने नगर निगम और प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। जयभीम नगर के निवासी अंकित शर्मा कहते हैं, “हर साल सर्दी आते ही यह समस्या बढ़ जाती है, लेकिन सरकार और प्रशासन केवल बयानबाजी में व्यस्त रहते हैं। किसी को भी नागरिकों के स्वास्थ्य की चिंता नहीं है।”
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का दावा
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) का कहना है कि शहर के विभिन्न हिस्सों में एयर क्वालिटी पर नजर रखी जा रही है और जल्द ही प्रदूषण कम करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। हालांकि, नागरिक संगठनों का कहना है कि केवल मॉनिटरिंग से बात नहीं बनेगी, जब तक जमीनी स्तर पर कचरा प्रबंधन और ट्रैफिक सुधार नहीं किए जाते।
सामाजिक संगठनों की चेतावनी
पर्यावरणविद् और एनजीओ से जुड़े कार्यकर्ता राजीव मलिक का कहना है, “अगर हालात ऐसे ही रहे, तो आने वाले हफ्तों में मेरठ का AQI 400 से ऊपर जा सकता है। यह शहर के लोगों के लिए स्वास्थ्य आपातकाल जैसी स्थिति होगी।”








