• Create News
  • इंडिया फाउंडेशन का इंटेलेक्चुअल कॉन्क्लेव: शांति और करुणा के संदेश से भारत को healing की ओर

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

    इंडिया फाउंडेशन ने हाल ही में अपने वार्षिक इंटेलेक्चुअल कॉन्क्लेव का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य भारत को शांति, करुणा और सहिष्णुता के मूल्यों के माध्यम से healing की दिशा में ले जाना है। इस सम्मेलन में देश-विदेश के जाने-माने बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया और विभिन्न सत्रों में अपने विचार साझा किए।

    कॉन्क्लेव का मुख्य विषय था “Prophetic Message of Peace and Compassion”, यानी भविष्यदर्शी संदेश के माध्यम से शांति और करुणा को बढ़ावा देना। आयोजकों का कहना था कि आज के समय में समाज में बढ़ती असहिष्णुता और तनाव को कम करने के लिए ऐसे विचार मंच बेहद जरूरी हैं।

    सम्मेलन में विशेषज्ञों ने कहा कि भारत की विविधता ही इसकी शक्ति है और इसे बनाए रखने के लिए शांति और सहिष्णुता को बढ़ावा देना आवश्यक है। विभिन्न सत्रों में शिक्षा, सामाजिक समावेश, महिला सशक्तिकरण, सांस्कृतिक विरासत और नैतिक मूल्यों पर चर्चा हुई।

    कॉन्क्लेव के उद्घाटन सत्र में इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष ने कहा, “हमारा उद्देश्य केवल विचार साझा करना नहीं है, बल्कि इन विचारों को व्यवहार में लाना है। जब समाज के सभी वर्गों में करुणा और सहिष्णुता की भावना फैलेगी, तभी भारत वास्तव में healing की प्रक्रिया की ओर बढ़ सकेगा।”

    सम्मेलन के दौरान, पैनलिस्टों ने सुझाव दिए कि शांति और सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में सामाजिक शिक्षा पर जोर दिया जाना चाहिए। इसके अलावा, मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर नागरिकों को जागरूक करने पर भी जोर दिया गया।

    इंटेलेक्चुअल कॉन्क्लेव में यह भी विचार विमर्श हुआ कि कैसे धार्मिक और सांस्कृतिक भिन्नताओं के बावजूद देशवासियों को एक साझा दृष्टिकोण के तहत जोड़कर राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया जा सकता है। पैनलिस्टों ने जोर देकर कहा कि करुणा और सहिष्णुता केवल व्यक्तिगत गुण नहीं, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय विकास के लिए आवश्यक मूल्य हैं।

    सम्मेलन में युवाओं की भागीदारी को विशेष महत्व दिया गया। युवा प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार साझा किए कि कैसे वे अपने स्तर पर समाज में शांति और सहिष्णुता को बढ़ावा दे सकते हैं। इसके अलावा, कई NGO और सामाजिक संगठन भी सम्मेलन में शामिल हुए और अपनी सफल पहलों का अनुभव साझा किया।

    इंडिया फाउंडेशन के इस कॉन्क्लेव ने एक सकारात्मक संदेश दिया कि आज के समय में राष्ट्र की healing और सामाजिक सौहार्द केवल नीति निर्माण या कानूनों से नहीं, बल्कि नागरिकों के बीच करुणा, सहिष्णुता और शांति की भावना फैलाने से संभव है।

    आयोजकों का मानना है कि इस तरह के विचार मंच समाज में जागरूकता बढ़ाते हैं और लंबी अवधि में सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करते हैं। कॉन्क्लेव के अंत में सभी पैनलिस्टों और प्रतिभागियों ने साझा घोषणा की कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में शांति और करुणा के संदेश को लागू करेंगे और इसे एक आंदोलन का रूप देंगे।

    इस सम्मेलन ने साबित किया कि विचारशील संवाद और नैतिक नेतृत्व समाज के Healing Process में अहम भूमिका निभा सकते हैं। इंडिया फाउंडेशन का यह प्रयास न केवल बुद्धिजीवियों के लिए प्रेरणा बन गया है, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी सामाजिक सौहार्द और करुणा के महत्व को उजागर करता है।

  • Related Posts

    ‘अपने घमंड को ड्रेसिंग रूम से दूर रखो’: सुनील गावस्कर ने गौतम गंभीर को दी टेस्ट क्रिकेट की अहम सीख

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। भारतीय क्रिकेट टीम के कोलकाता टेस्ट में साउथ अफ्रीका के खिलाफ मिली हार के बाद टीम इंडिया का हरफनमौला प्रदर्शन…

    Continue reading
    BCCI ने दी खबर: शुबमन गिल दूसरी भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका टेस्ट में खेलेंगे या नहीं?

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच दूसरा टेस्ट मैच 21 नवंबर, 2025 को गुवाहाटी में खेला जाएगा। इस अहम मुकाबले…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *