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OECD (Organization for Economic Co-operation and Development) की नई रिपोर्ट ‘इंटरनेशनल माइग्रेशन आउटलुक 2025’ ने भारतीय नागरिकों की विदेश नागरिकता हासिल करने की क्षमता को लेकर रोचक तथ्य सामने लाए हैं। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि विकसित देशों की नागरिकता पाने में भारतीय नागरिक सबसे आगे हैं। चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य एशियाई देशों के नागरिकों की तुलना में भारतीय सबसे ज्यादा विदेशी नागरिकता हासिल करने में सक्षम हुए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पाँच वर्षों में भारतियों ने विभिन्न यूरोपीय, अमेरिकी और कनाडाई देशों की नागरिकता हासिल करने में सबसे अधिक तेजी दिखाई है। इसमें शिक्षा, रोजगार और निवेश के कारण बड़ी संख्या में भारतीयों का प्रवास शामिल है। खासतौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के देशों में भारतीय नागरिकों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के नागरिक विकसित देशों की नागरिकता हासिल करने में इसलिए आगे हैं क्योंकि भारतीय युवाओं और पेशेवरों का अंतरराष्ट्रीय शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में दबदबा है। उच्च शिक्षा, IT और स्वास्थ्य सेवाओं में भारतीय विशेषज्ञों की मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे उन्हें स्थायी निवास और नागरिकता के अवसर मिल रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन को पीछे छोड़ना इस बात का संकेत है कि भारत का वैश्विक रोजगार और शिक्षा नेटवर्क कितना मजबूत हुआ है। OECD की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के नागरिकों की विदेशी नागरिकता हासिल करने की दर पिछले दशक में दोगुनी हो गई है। इसमें निवेश, व्यवसाय और उच्च कौशल वाले श्रमिकों की भूमिका प्रमुख रही है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि भारतीय नागरिकों ने केवल शिक्षा और रोजगार के माध्यम से ही नागरिकता हासिल नहीं की, बल्कि निवेश और व्यवसाय से भी विदेशी नागरिकता प्राप्त करने का रुझान बढ़ा है। विशेषकर यूरोप और उत्तरी अमेरिका में निवेश के माध्यम से नागरिकता पाने की प्रक्रिया में भारतीयों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा रही है।
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय पहचान, आर्थिक विकास और वैश्विक रोजगार अवसरों ने नागरिकों को विदेशों में स्थायी जीवन की ओर आकर्षित किया है। इससे न केवल भारत की अंतरराष्ट्रीय पहचान मजबूत हुई है, बल्कि भारतीय प्रवासियों का वैश्विक प्रभाव भी बढ़ा है।
रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया है कि भारत के अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों के नागरिक भी विदेशी नागरिकता प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन उनकी संख्या भारत के मुकाबले काफी कम है। चीन, जो पहले वैश्विक माइग्रेशन में अग्रणी था, अब पीछे रह गया है। OECD का कहना है कि यह बदलाव वैश्विक आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियों का परिणाम है।
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत के नागरिकों का विदेशी नागरिकता में बढ़ता रुझान देश की आर्थिक और शैक्षिक ताकत को भी दर्शाता है। विदेशी नागरिकता पाने वाले भारतीयों की संख्या में वृद्धि से वैश्विक स्तर पर भारत का सकारात्मक प्रभाव बढ़ा है। यह प्रवासियों के लिए अवसरों के साथ-साथ भारत की छवि को भी मजबूत करता है।
कुल मिलाकर OECD की रिपोर्ट से यह स्पष्ट हुआ है कि भारतीय नागरिक विकसित देशों की नागरिकता पाने में सबसे आगे हैं। चीन, पाकिस्तान और अन्य एशियाई देशों को पीछे छोड़ते हुए भारतियों ने वैश्विक नागरिकता में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यह प्रवास और अंतरराष्ट्रीय अवसरों के मामले में भारत की बढ़ती ताकत और वैश्विक प्रभाव का प्रमाण है।

		
		
		
		
		
		
		
		
		






