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  • उत्तर प्रदेश में आज से शुरू हुआ मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR), घर-घर पहुंचेंगे बीएलओ, दस्तावेज तैयार रखें

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    उत्तर प्रदेश में आज यानी 4 नवंबर 2025 से मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की प्रक्रिया शुरू हो गई है। राज्य के सभी जिलों में यह अभियान एक साथ चलाया जा रहा है, ताकि आगामी चुनावों से पहले हर पात्र नागरिक का नाम सही तरीके से मतदाता सूची में दर्ज हो सके। यह अभियान भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर चलाया जा रहा है और इसे लेकर सभी जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारी एवं बीएलओ (Booth Level Officers) को सख्त दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

    इस विशेष अभियान के तहत बीएलओ घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी का सत्यापन करेंगे। वे यह जांचेंगे कि मतदाता उसी पते पर निवास कर रहा है या नहीं, उसका नाम मतदाता सूची में सही है या नहीं, और कहीं कोई डुप्लीकेट या मृत मतदाता का नाम तो सूची में नहीं है। यदि कोई नया पात्र व्यक्ति 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुका है, तो उसका नाम भी सूची में जोड़ा जाएगा।

    मतदाता सूची के इस विशेष पुनरीक्षण अभियान की आखिरी तिथि 9 दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है। निर्वाचन आयोग के अनुसार, इस अवधि में नागरिक अपने नाम जोड़ने, सुधार कराने, पता बदलवाने या नाम हटवाने का आवेदन भी कर सकेंगे। यह प्रक्रिया न केवल ऑफलाइन बल्कि ऑनलाइन पोर्टल (www.nvsp.in) और वोटर हेल्पलाइन मोबाइल ऐप के माध्यम से भी की जा सकती है।

    चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस बार अभियान के दौरान विशेष ध्यान उन इलाकों पर दिया जाएगा जहां पिछले पुनरीक्षण में मतदाता सूची में त्रुटियाँ पाई गई थीं। विशेषकर शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में लोगों के पते बदलने, किराएदारों के स्थानांतरण और नए मतदाताओं के नाम न जुड़ने जैसी समस्याएं सामने आई थीं। बीएलओ को यह निर्देश दिया गया है कि वे प्रत्येक मकान तक जाएं और योग्य नागरिकों से व्यक्तिगत संपर्क करें।

    मतदाताओं को क्या करना होगा:
    यदि बीएलओ आपके घर पर आता है, तो आपको अपने जरूरी दस्तावेज तैयार रखने होंगे। इसमें आधार कार्ड, जन्म प्रमाणपत्र, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस या कोई अन्य पहचान पत्र शामिल हो सकता है। जिन लोगों का नाम पहली बार मतदाता सूची में जोड़ा जाना है, उनके लिए आयु का प्रमाणपत्र जरूरी होगा। वहीं, अगर किसी व्यक्ति का नाम या पता गलत दर्ज है, तो सुधार हेतु संबंधित दस्तावेज दिखाना आवश्यक होगा।

    चुनाव आयोग ने लोगों से अपील की है कि वे बीएलओ से सहयोग करें और गलत जानकारी न दें। गलत या भ्रामक दस्तावेज देने पर कार्रवाई भी की जा सकती है। अधिकारियों ने यह भी कहा है कि किसी मृत या स्थानांतरित मतदाता का नाम सूची में दर्ज रहने पर तुरंत सूचना दें, ताकि उसे हटाया जा सके।

    राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि यह अभियान लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और समावेशी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य है कि कोई भी पात्र मतदाता सूची से वंचित न रहे। हर घर तक बीएलओ पहुंचेंगे और हर नागरिक की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।”

    इसके अलावा, चुनाव आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे बीएलओ के कार्यों की सघन निगरानी करें और प्रत्येक सप्ताह प्रगति रिपोर्ट भेजें। साथ ही, विद्यालयों, पंचायत भवनों और सरकारी संस्थानों में ‘वोटर जागरूकता शिविर’ आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि युवा मतदाता और प्रथम बार मतदान करने वाले नागरिक इस प्रक्रिया को बेहतर ढंग से समझ सकें।

    गौरतलब है कि विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के तहत तैयार की गई नई मतदाता सूची को 5 जनवरी 2026 को प्रकाशित किया जाएगा। उसी के आधार पर आगामी विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों में मतदाता पहचान तय की जाएगी।

    चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि यदि किसी नागरिक को बीएलओ के आने की जानकारी नहीं मिलती, तो वे स्वयं अपने बूथ पर जाकर विवरण की पुष्टि कर सकते हैं। बूथ स्तर पर निर्धारित कार्यालयों में फॉर्म-6 (नाम जोड़ने के लिए), फॉर्म-7 (नाम हटाने के लिए), फॉर्म-8 (सुधार के लिए) और फॉर्म-8ए (पता बदलवाने के लिए) उपलब्ध कराए गए हैं।

    उत्तर प्रदेश में इस बार का SIR अभियान तकनीकी रूप से और भी सशक्त बनाया गया है। बीएलओ को मोबाइल एप के माध्यम से डेटा एंट्री की सुविधा दी गई है, जिससे मतदाता सूची के अद्यतन में त्रुटि की संभावना कम होगी। साथ ही, QR कोड आधारित पहचान प्रणाली से भी मतदाताओं के रिकॉर्ड का डिजिटल सत्यापन किया जाएगा।

    राज्य निर्वाचन अधिकारी ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लें। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र की नींव मतदाता हैं। हर नागरिक का नाम मतदाता सूची में होना न केवल अधिकार है बल्कि जिम्मेदारी भी है। बीएलओ जब आपके घर आएं तो सहयोग करें और सही दस्तावेज दिखाएं।”

    उत्तर प्रदेश में शुरू हुआ यह विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान केवल प्रशासनिक औपचारिकता नहीं, बल्कि राज्य में ‘हर मतदाता तक पहुंच’ के लोकतांत्रिक संकल्प को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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