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नासिक — महाराष्ट्र के नासिक शहर में एक बड़े 10 करोड़ रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। एक प्रसिद्ध ऑटो स्पेयर पार्ट्स कंपनी के मालिक और उनकी पत्नी, जो कि पूर्व भाजपा पार्षद रह चुकी हैं, ने आठ लोगों पर धोखाधड़ी और विश्वासघात का गंभीर आरोप लगाया है। यह मामला व्यापारिक साझेदारी और निवेश से जुड़ा बताया जा रहा है।
नासिक पुलिस के अनुसार, शिकायत दर्ज कराने वाले दंपति का कहना है कि उन्होंने अपने व्यावसायिक परिचितों के साथ मिलकर ऑटो पार्ट्स से जुड़ा एक संयुक्त व्यवसाय शुरू किया था। शुरुआत में यह डील भरोसे के आधार पर हुई, लेकिन बाद में उनके साथ वित्तीय अनियमितताओं और फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए करीब 10 करोड़ रुपये की ठगी कर ली गई।
पीड़ित कारोबारी का नाम संजय कुलकर्णी (बदला हुआ नाम) बताया जा रहा है, जो नासिक में एक प्रतिष्ठित ऑटो स्पेयर फर्म के संचालक हैं। उनकी पत्नी नीता कुलकर्णी (पूर्व भाजपा पार्षद) ने भी पुलिस में अलग से बयान दर्ज कराया है। दोनों का कहना है कि आरोपियों ने एक लाभदायक व्यापारिक साझेदारी का लालच देकर उन्हें निवेश करने के लिए प्रेरित किया था।
शिकायत के अनुसार, 2021 में शुरू हुए इस व्यापारिक समझौते में आठ आरोपियों ने कई झूठे वादे किए और समय-समय पर कंपनी के वित्तीय दस्तावेजों में गड़बड़ियां कीं। जब पीड़ितों ने खातों की जांच की मांग की तो उन्हें गुमराह किया गया और कंपनी के अकाउंट्स तक पहुंच रोक दी गई।
नीता कुलकर्णी ने पुलिस को बताया कि इस धोखाधड़ी में फर्जी चेक, झूठे अनुबंध पत्र और निवेश दस्तावेज़ों का इस्तेमाल किया गया है। जब उन्होंने रिटर्न मांगने की कोशिश की तो आरोपियों ने धमकाने और दबाव डालने का प्रयास किया।
नासिक के गंगापुर पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि प्रारंभिक जांच में व्यापारिक दस्तावेजों की गहन जांच की जा रही है। आरोपी पक्ष पर धोखाधड़ी (IPC धारा 420), आपराधिक विश्वासघात (धारा 406) और साजिश रचने (धारा 120B) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपियों में से कुछ स्थानीय कारोबारी हैं, जबकि कुछ मुंबई से जुड़े हैं। पुलिस ने कहा कि वे बैंक खातों, निवेश रिकॉर्ड्स और डिजिटल ट्रांजेक्शन की जांच कर रहे हैं ताकि पैसों के प्रवाह का पता लगाया जा सके।
दंपति ने आरोप लगाया है कि धोखेबाजों ने शुरुआत में भारी मुनाफे का वादा किया था, जिससे उन्हें विश्वास हुआ कि यह सौदा सुरक्षित है। परंतु बाद में यह एक जाल साबित हुआ। उन्होंने कहा कि “हमने अपना खून-पसीने की कमाई का पैसा इस डील में लगाया था। अब आरोपी इसे वापस करने से बच रहे हैं और लगातार टालमटोल कर रहे हैं।”
पूर्व पार्षद नीता कुलकर्णी ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को अब सार्वजनिक इसलिए किया है ताकि अन्य कारोबारी भी ऐसे जाल में फंसने से बच सकें। उन्होंने कहा कि “राजनीति में होने के नाते कई लोगों ने हमारे विश्वास का दुरुपयोग किया। अब हमें न्याय चाहिए।”
इस मामले ने नासिक के व्यावसायिक जगत में हलचल मचा दी है। शहर के ऑटो मार्केट में यह चर्चा का प्रमुख विषय बन गया है। स्थानीय व्यापारिक संघों ने भी प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, जांच में आरोपियों के बीच हुए ईमेल संवाद और बैंक ट्रांजेक्शन से कुछ अहम सबूत मिले हैं। इनमें से कुछ दस्तावेज़ यह दर्शाते हैं कि बड़ी रकम फर्जी कंपनियों के खातों में ट्रांसफर की गई थी। पुलिस अब उन खातों को फ्रीज करने की प्रक्रिया में जुटी है।
नासिक पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह मामला जटिल आर्थिक अपराध का है, जिसमें कई राज्यों से जुड़े एंगल सामने आ सकते हैं। जांच में वित्तीय विशेषज्ञों की भी मदद ली जाएगी।”
फिलहाल पुलिस ने सभी आठों आरोपियों को समन भेजा है और आने वाले दिनों में उनसे पूछताछ की जाएगी। वहीं, पीड़ित दंपति ने अदालत से भी गुहार लगाई है कि आरोपियों की संपत्ति सील की जाए ताकि उन्हें उनका पैसा वापस मिल सके।
यह मामला नासिक में बढ़ते कॉर्पोरेट फ्रॉड्स और बिजनेस धोखाधड़ी के ताजा उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है। बीते कुछ महीनों में महाराष्ट्र में इस तरह के कई मामले सामने आए हैं, जिसमें कारोबारी साझेदारों के बीच विश्वास टूटने से बड़ी वित्तीय हानि हुई है।

		
		
		
		
		
		
		
		
		






