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बॉलीवुड और साउथ सिनेमा के मशहूर अभिनेता प्रकाश राज एक बार फिर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स 2025 पर सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है। प्रकाश राज ने दिग्गज अभिनेता ममूटी को उनकी फिल्म ‘ब्रमयुगम’ के लिए नेशनल अवॉर्ड न दिए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि आजकल अवॉर्ड्स प्रतिभा या कला को नहीं, बल्कि “राजनीतिक झुकाव और प्रचार आधारित फिल्मों” को मिल रहे हैं।
प्रकाश राज ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा, “ममूटी जैसे कलाकार को ‘ब्रमयुगम’ जैसी फिल्म के लिए नजरअंदाज किया जाना इस देश की कला संस्कृति पर सवाल है। आज अवॉर्ड्स टैलेंट को नहीं, बल्कि ‘फाइल्स’ और ‘पाइल्स’ को दिए जा रहे हैं।” इस बयान के बाद से सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है।
गौरतलब है कि ममूटी की फिल्म ‘ब्रमयुगम’ को इस साल की सबसे प्रभावशाली मलयालम फिल्मों में गिना गया था। फिल्म में ममूटी ने एक रहस्यमयी और गहराई से भरे किरदार को निभाया था, जिसकी चर्चा सिर्फ केरल ही नहीं बल्कि पूरे देश में हुई। समीक्षकों ने उनके अभिनय को करियर के बेहतरीन प्रदर्शनों में से एक बताया था। लेकिन जब राष्ट्रीय पुरस्कारों की घोषणा हुई, तो ममूटी का नाम किसी भी श्रेणी में नहीं था, जिससे उनके प्रशंसकों और फिल्म इंडस्ट्री के कई कलाकारों में निराशा फैल गई।
प्रकाश राज ने इस मौके पर ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म का भी नाम लिया। उन्होंने कहा, “जब कला और संवेदना की जगह प्रचार और एकतरफा विचारधारा को पुरस्कार मिलने लगे, तो यह फिल्म उद्योग के लिए चिंता की बात है। अब अवॉर्ड्स का मतलब कला का सम्मान नहीं रह गया, बल्कि सत्ता का प्रचार बन गया है।”
यह पहली बार नहीं है जब प्रकाश राज ने सरकार या फिल्म अवॉर्ड्स को लेकर विवादित बयान दिया हो। वे अक्सर सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखते हैं। पहले भी वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना कर चुके हैं, जिसके कारण वे ट्रोल्स के निशाने पर भी रहे हैं।
दूसरी ओर, ममूटी ने अब तक इस विवाद पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उन्होंने अपने अभिनय करियर में पांच दशक से अधिक समय तक काम करते हुए 400 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया है और कई बार नेशनल अवॉर्ड जीत चुके हैं। इस बार ‘ब्रमयुगम’ में उनके काम को लेकर उम्मीद थी कि उन्हें फिर से सम्मान मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
प्रकाश राज के इस बयान के बाद फिल्म इंडस्ट्री दो हिस्सों में बंटती नजर आ रही है। कुछ कलाकारों ने उनका समर्थन किया है, जबकि कुछ ने कहा कि पुरस्कारों को लेकर इस तरह की राजनीति उचित नहीं है। मलयालम इंडस्ट्री के एक वरिष्ठ निर्देशक ने कहा, “ममूटी को अवॉर्ड नहीं मिला, यह वाकई निराशाजनक है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि पूरी चयन प्रक्रिया पर सवाल खड़ा कर दिया जाए।”
फिल्म समीक्षक अंजना पिल्लई ने कहा कि प्रकाश राज का बयान यह दिखाता है कि फिल्म जगत में असंतोष बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, “सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं, समाज का दर्पण है। अगर पुरस्कार राजनीति से प्रेरित लगने लगें तो यह सिनेमा के लिए खतरे की घंटी है।”
इस विवाद ने सोशल मीडिया पर भी खूब सुर्खियां बटोरी हैं। ट्विटर (X) पर #MammoottyDeservesNationalAward और #PrakashRaj ट्रेंड कर रहे हैं। हजारों लोगों ने ममूटी को समर्थन देते हुए कहा कि वे असली कलाकार हैं जिन्हें किसी अवॉर्ड की जरूरत नहीं।
वहीं, कुछ लोगों ने प्रकाश राज पर आरोप लगाया कि वे हर मौके पर विवाद खड़ा करने की कोशिश करते हैं। एक यूज़र ने लिखा, “हर साल अवॉर्ड्स के समय प्रकाश राज को कुछ न कुछ कहना ही होता है। यह उनकी आदत बन गई है।”
बहरहाल, चाहे कोई भी पक्ष सही हो, एक बात तो साफ है कि ममूटी की फिल्म ‘ब्रमयुगम’ और नेशनल अवॉर्ड्स के फैसले ने फिल्म जगत में नई बहस छेड़ दी है। इस विवाद ने यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या भारत में फिल्म पुरस्कार अब कला की बजाय राजनीति और प्रभाव का मंच बनते जा रहे हैं।

		
		
		
		
		
		
		
		
		






