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महाराष्ट्र के नासिक शहर में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जयंती के अवसर पर शिक्षा और ज्ञान का एक नया उत्सव देखने को मिला। शहर के कई स्कूलों, कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों में ‘रीडिंग डे’ मनाया गया, जहां छात्रों को पढ़ने, सोचने और नवाचार के रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया गया। भारत के पूर्व राष्ट्रपति और ‘मिसाइल मैन’ कहलाए जाने वाले डॉ. कलाम का जन्मदिन हर साल देशभर में “विश्व विद्यार्थी दिवस” के रूप में मनाया जाता है, और इस बार नासिक में इसका खास प्रभाव देखने को मिला।
शहर के कई शैक्षणिक संस्थानों — जैसे कि नासिक पब्लिक स्कूल, जी.एच. रायसोनी कॉलेज और के.के. वाघ इंस्टिट्यूट — में विशेष आयोजन किए गए। इन कार्यक्रमों में छात्रों ने न केवल डॉ. कलाम के विचारों पर आधारित भाषण दिए, बल्कि उनकी पुस्तकों के अंश भी पढ़े। शिक्षकों और प्राचार्यों ने छात्रों से कहा कि “अगर आप देश बदलना चाहते हैं, तो सबसे पहले खुद को ज्ञान से बदलिए।”
नासिक के प्रमुख स्कूलों में आयोजित इस समारोह में छात्रों ने ‘इंस्पायर टू रीड’ थीम पर आधारित पोस्टर और निबंध प्रतियोगिताओं में भाग लिया। छात्रों को डॉ. कलाम की प्रसिद्ध पुस्तक “विंग्स ऑफ फायर” से प्रेरणा लेकर अपने जीवन के लक्ष्यों के बारे में लिखने को कहा गया। कई बच्चों ने बताया कि कलाम की कहानी उन्हें यह सिखाती है कि सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखे जा सकते हैं।
जी.एच. रायसोनी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मिलिंद देशमुख ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. कलाम का जीवन इस बात का प्रतीक है कि सफलता सिर्फ ज्ञान से नहीं, बल्कि ईमानदारी और मेहनत से भी मिलती है। उन्होंने कहा, “कलाम साहब ने विज्ञान को आम लोगों की भाषा में समझाया। उनकी सबसे बड़ी ताकत यह थी कि वे हर बच्चे में एक वैज्ञानिक देखते थे।”
कार्यक्रमों में छात्रों ने डॉ. कलाम के प्रसिद्ध कथनों का पाठ किया, जिनमें से एक— “You have to dream before your dreams can come true” — बार-बार गूंजता रहा। शिक्षकों ने छात्रों को सलाह दी कि वे डिजिटल दुनिया के आकर्षण में फंसने के बजाय किताबों को अपना सबसे अच्छा दोस्त बनाएं।
कुछ संस्थानों में ‘रीडिंग चैलेंज’ भी शुरू किया गया, जिसके तहत छात्रों को अगले 30 दिनों में कम से कम तीन किताबें पढ़ने की शपथ दिलाई गई। इस पहल को अभिभावकों ने भी खूब सराहा। अभिभावकों का कहना है कि डॉ. कलाम की जयंती जैसे अवसर बच्चों में ज्ञान और जिम्मेदारी की भावना जागृत करते हैं।
नासिक महानगरपालिका स्कूलों में भी विशेष सत्र आयोजित किए गए, जहां छात्रों को विज्ञान और नैतिक शिक्षा के महत्व के बारे में बताया गया। शिक्षकों ने डॉ. कलाम के जीवन के संघर्षों का उदाहरण देते हुए कहा कि असफलता अंत नहीं है, बल्कि सफलता की शुरुआत है।
कार्यक्रमों के अंत में सभी छात्रों और शिक्षकों ने एक सामूहिक संकल्प लिया कि वे हर दिन कुछ नया सीखेंगे और डॉ. कलाम के ‘ज्ञान से सशक्त भारत’ के सपने को साकार करेंगे।
डॉ. कलाम की जयंती पर नासिक के इन आयोजनों ने यह एक बार फिर साबित कर दिया कि उनकी सोच आज भी युवाओं के दिलों में जीवित है। उन्होंने जो सपना देखा था — “एक विकसित, पढ़ने वाला और सोचने वाला भारत” — उसकी दिशा में ये युवा कदम बढ़ा रहे हैं।








