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महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों के मद्देनजर ‘लाडकी बहिण योजना’ एक बार फिर चर्चा का केंद्र बन गई है। कुछ दिन पहले बीजेपी के मंत्री जयकुमार गोरे ने इस योजना का जिक्र करते हुए कहा था कि “आपके पति 100 रुपये भी नहीं देते हैं, जबकि मुख्यमंत्री 1,500 रुपये दे रहे हैं।” उनके इस बयान के माध्यम से योजना का श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को दिया गया था।
हाल ही में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस योजना पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि लाडकी बहिण योजना का उद्देश्य केवल आर्थिक सहायता प्रदान करना नहीं है। इसका असली मकसद बेटियों और महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण को सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि इस योजना के माध्यम से महिलाओं और लड़कियों के हित में कई सकारात्मक बदलाव हुए हैं और इसे राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल किया गया है।
शिंदे ने आगे बताया कि योजना केवल वित्तीय मदद तक सीमित नहीं है। यह महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और सामाजिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक पहल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार लगातार इस योजना को प्रभावी बनाने और बेटियों के कल्याण के लिए आवश्यक कदम उठाने में जुटी हुई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चुनावी माहौल में इस तरह के बयान योजनाओं की प्रभावशीलता और जनसंपर्क को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाते हैं। स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बयानबाज़ी आम होती है, और योजनाओं का लाभ और प्रभाव जनता के बीच चर्चा का विषय बन जाता है।
महाराष्ट्र की जनता में इस योजना पर बहस और अधिक तेज हो गई है। आम लोगों का कहना है कि 1,500 रुपये की आर्थिक मदद घरेलू खर्चों में सहायक तो है, लेकिन बेटियों की शिक्षा, सुरक्षा और समाज में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। योजना के माध्यम से महिलाओं को उनके अधिकारों और संसाधनों के प्रति जागरूक किया जा रहा है।
लाडकी बहिण योजना के अंतर्गत राज्य सरकार ने कई जिलों में जागरूकता कार्यक्रम और प्रशिक्षण कार्यशालाएँ आयोजित की हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य महिलाओं और लड़कियों को उनके अधिकारों और उपलब्ध अवसरों के प्रति जानकारी देना है। इससे उन्हें न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है, बल्कि समाज में उनकी भूमिका और सुरक्षा के प्रति भी जागरूक किया जा रहा है।
चुनावी और सामाजिक समीकरणों के बीच, लाडकी बहिण योजना ने राजनीतिक बहस में महत्वपूर्ण जगह बना ली है। शिंदे के बयान ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार का ध्यान केवल आर्थिक सहायता तक सीमित नहीं है, बल्कि बेटियों और महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा और सामाजिक भागीदारी को सुनिश्चित करना भी उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है। इस पहल को राज्य सरकार का एक प्रमुख सामाजिक कार्यक्रम माना जा रहा है और स्थानीय निकाय चुनावों में इसका असर जनता की सोच और मतदान पर देखने को मिल सकता है।








