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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में मोदी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने अपने लिखित प्रश्न का हवाला देते हुए दावा किया कि सरकार के पास जाति जनगणना को लेकर कोई ठोस रूपरेखा या योजना नहीं है। राहुल गांधी ने इसे देश के बहुजनों के साथ खुला विश्वासघात बताया।
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपने बयान में लिखा कि संसद में उन्होंने सरकार से जाति जनगणना पर सवाल पूछा था। उनके अनुसार, सरकार का जवाब चौंकाने वाला था। उन्होंने कहा कि न तो कोई ठोस रूपरेखा है, न समयबद्ध योजना है, न संसद में इस पर चर्चा हुई और न ही जनता से संवाद किया गया। उनके अनुसार यह स्थिति बहुजन समुदाय के हितों के लिए चिंता का विषय है।
राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार दूसरे राज्यों में हुई सफल जाति जनगणनाओं से सीखने की कोई इच्छा नहीं दिखा रही है। उनका कहना है कि यदि केंद्र सरकार इस मामले में सक्रिय और पारदर्शी होती, तो जाति जनगणना का कार्य शीघ्र और प्रभावी तरीके से पूरा किया जा सकता था। उन्होंने इसे भारत के बहुजनों के साथ एक सामाजिक और राजनीतिक विश्वासघात करार दिया।
कांग्रेस नेता ने स्पष्ट किया कि जाति जनगणना केवल सांख्यिकीय प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह सामाजिक न्याय और समान अवसर सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। उनका कहना है कि जातिगत आंकड़े नीति निर्माण, आरक्षण, विकास योजनाओं और संसाधनों के वितरण में आधारभूत भूमिका निभाते हैं। ऐसे में यदि केंद्र सरकार इस प्रक्रिया को लेकर निष्क्रिय रहती है, तो इसका सीधा असर बहुजन समुदाय और पिछड़े वर्गों पर पड़ता है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि राहुल गांधी का यह आरोप केंद्र सरकार की सामाजिक और आर्थिक योजनाओं की पारदर्शिता को लेकर बहस को और तेज कर सकता है। पिछले कुछ वर्षों में जाति जनगणना को लेकर देशभर में अनेक बार चर्चा हुई है, लेकिन किसी ठोस निष्कर्ष पर अभी तक पहुंचा नहीं गया है। राहुल गांधी ने इसे केंद्र सरकार की जनता से संवादहीनता का उदाहरण बताते हुए इसे एक गंभीर मामला करार दिया।
राहुल गांधी ने कहा कि यदि सरकार समय रहते जाति जनगणना की रूपरेखा और योजना तैयार करती, तो यह बहुजन समुदाय के विकास और सामाजिक न्याय के लक्ष्यों को तेजी से आगे बढ़ाने में सहायक होती। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह इस महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर जल्द सुलझाए और जनता के सामने पारदर्शी रूप से प्रस्तुत करे।
इस बयान के बाद राजनीतिक दलों और मीडिया में जाति जनगणना को लेकर बहस तेज हो गई है। कांग्रेस का दावा है कि यह कदम बहुजनों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों और सामाजिक सुरक्षा से जुड़ा है। वहीं, सरकार की प्रतिक्रिया आने वाली है, जो इस पूरे मामले की दिशा और आगे की कार्रवाई तय करेगी।
राहुल गांधी के इस बयान ने जाति जनगणना के मुद्दे को फिर से राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया है। इसे लेकर आने वाले दिनों में संसद और राजनीतिक मंचों पर और तीव्र बहस की संभावना है, जिससे बहुजन समाज के हित और सामाजिक न्याय के प्रश्नों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।








