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नासिक के तपोवन परिसर में सिम्हस्थ कुंभमेळा 2027 की तैयारियों के लिए प्रस्तावित वृक्षतोड के निर्णय ने राजनीतिक और सामाजिक बहस को तेज कर दिया है। नासिक नगर प्रशासन की ओर से जारी प्रस्ताव में कुंभमेळा के दौरान बढ़ने वाली भीड़ और आवश्यक अधोसंरचना के विस्तार के लिए कुछ क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई की अनुमति मांगी गई है। इस मुद्दे पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सरकार की ओर से स्पष्ट और पक्षपातरहित रुख पेश किया है।
देवेंद्र फडणवीस ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कुंभमेळा जैसे विशाल धार्मिक आयोजन के लिए आवश्यक सुविधाओं का निर्माण करना बेहद जरूरी है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पर्यावरण संरक्षण उतना ही महत्वपूर्ण है, इसलिए दोनों के बीच संतुलन बनाए रखना सरकार की प्राथमिकता है। फडणवीस ने कहा कि यदि पेड़ कटाई आवश्यक होगी तो उसकी भरपाई के लिए बड़े स्तर पर पुनर्वनीकरण किया जाएगा और जितने पेड़ हटाए जाएंगे, उससे कई गुना अधिक पौधे लगाए जाएंगे।
हालांकि विपक्ष और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने सरकार के इस रुख पर सवाल खड़े किए हैं। विरोधी दलों का कहना है कि विकास कार्यों के नाम पर पर्यावरण का नुकसान लगातार बढ़ता जा रहा है और तपोवन जैसा हरित क्षेत्र नासिक की पर्यावरणीय पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन ने पेड़ कटाई के विकल्पों पर पर्याप्त विचार नहीं किया और वैकल्पिक योजना—जैसे भूमि का पुनर्गठन या निर्माण का अलग मॉडल—कभी गंभीरता से पेश नहीं किया गया।
सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर व्यापक चर्चा देखने को मिल रही है। कई नागरिकों का कहना है कि कुंभमेळा के लिए अवसंरचना निर्माण आवश्यक है, लेकिन पेड़ों की कटाई अंतिम विकल्प होना चाहिए। वहीं कुछ लोग मानते हैं कि इस विशाल धार्मिक आयोजन से नासिक को आर्थिक और सामाजिक लाभ मिलेगा, इसलिए आवश्यक सुविधाओं का विस्तार समय की मांग है।
सरकारी अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि वर्तमान में यह सिर्फ प्रस्ताव का चरण है और अंतिम रूप से निर्णय विशेषज्ञ समिति की अनुमोदन रिपोर्ट के बाद ही लिया जाएगा। इस समिति में पर्यावरण वैज्ञानिक, वन विभाग के विशेषज्ञ, नगर नियोजन अधिकारी और कुंभमेळा प्राधिकरण के प्रतिनिधि शामिल होंगे। समिति का दायित्व यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी निर्णय में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी जाए और न्यूनतम नुकसान के साथ आवश्यक विकास कार्य पूरे हों।
इस बीच, नागरिक संगठनों ने स्थानीय प्रशासन से अपील की है कि पेड़ों की कटाई के बजाय वैकल्पिक समाधान खोजे जाएं, ताकि कुंभमेळा के लिए आवश्यक तैयारियां भी पूरी हों और शहर का पर्यावरणीय संतुलन भी बना रहे। पर्यावरणविदों का कहना है कि नासिक पहले ही हरित क्षेत्र के घटने से जूझ रहा है, ऐसे में तपोवन में बड़े पैमाने पर पेड़ हटाना शहर के लिए दीर्घकालिक नुकसान का कारण बन सकता है।
आने वाले दिनों में विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के बाद इस विवाद पर अंतिम निर्णय सामने आएगा। फिलहाल, नासिक और राज्य की राजनीति में तपोवन वृक्षतोड फैसला एक संवेदनशील मुद्दे के रूप में चर्चा के केंद्र में बना हुआ है।








