




नासिक में मंगलवार रात से तेज बारिश का सिलसिला शुरू हुआ, जो बुधवार तक लगातार जारी रहा। इस बारिश ने शहर की सड़कों को पानी से भर दिया और गोदावरी नदी के जलस्तर में तेज वृद्धि देखी गई। बारिश के कारण कई इलाकों में ट्रैफिक बाधित हुआ, छोटे मंदिर जलमग्न हो गए और स्थानीय लोगों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा।
बारिश का असर गोदावरी नदी पर
नासिक में हुई इस मूसलधार बारिश का सबसे बड़ा असर गोदावरी नदी पर देखने को मिला। लगातार हो रही तेज बारिश से नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ा और स्थानीय प्रसिद्ध स्थल दुतोंड्या मरुती की मूर्ति का सीना पानी में डूब गया। इस मानसून सीजन में यह तीसरी बार हुआ है, जो नासिक में बाढ़ की गंभीरता का संकेत देता है।
बारिश का आंकड़ा भी चौंकाने वाला रहा। सिर्फ 24 घंटों में नासिक शहर में 66.4 मिमी बारिश दर्ज की गई। बारिश के बाद गंगापुर बांध से पानी का डिस्चार्ज केवल 500 क्यूसिक से बढ़कर 7,372 क्यूसिक तक पहुंच गया। इसी तरह, रामकुंड क्षेत्र में अहिल्याबाई होल्कर ब्रिज के पास वेयर से पानी का प्रवाह 644 क्यूसिक से बढ़कर 10,854 क्यूसिक तक दर्ज किया गया। यह साफ दिखाता है कि नासिक में बारिश ने जल संसाधनों पर जबरदस्त दबाव डाल दिया है।
जलमग्न मंदिर और सड़कें
बारिश के कारण नासिक के कई छोटे मंदिर जलमग्न हो गए। गोदावरी नदी के बढ़ते जलस्तर ने मंदिरों के रास्तों को डुबो दिया, जिससे श्रद्धालुओं की आवाजाही बाधित हुई। शहर की मुख्य सड़कें और छोटे मोहल्लों की गलियाँ पानी से भर गईं। जगह-जगह जलभराव के कारण लोगों को घरों से निकलना मुश्किल हो गया और गाड़ियों का फँसना आम दृश्य बन गया। नासिक में बारिश की वजह से ट्रैफिक जाम ने नागरिकों की परेशानियों को और बढ़ा दिया।
प्रशासन की अलर्ट मोड पर तैयारी
बारिश के चलते नासिक नगर निगम की फायर ब्रिगेड ने तुरंत फ्लड अलर्ट जारी किया। गोदावरी किनारे और निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को समय रहते सतर्क किया गया और सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई। प्रशासन का कहना है कि यदि बारिश का यही सिलसिला जारी रहा तो स्थिति और गंभीर हो सकती है।
नगर निगम ने नागरिकों से अपील की है कि वे गोदावरी किनारे और जलमग्न इलाकों में न जाएँ और मौसम अपडेट्स पर नजर रखें। बारिश के दौरान फायर ब्रिगेड और राहत दल को हरदम सक्रिय रखा गया है।
मौसम विभाग की चेतावनी
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने नासिक समेत धुले, जळगाँव, नंदुरबार और अहमदनगर जिलों में अगले तीन दिनों तक हल्की से मध्यम बारिश की संभावना जताई है। नासिक जिले के घाट क्षेत्रों के लिए यलो अलर्ट जारी किया गया है। इसका मतलब है कि इन इलाकों में बारिश की तीव्रता अधिक हो सकती है, जिससे भूस्खलन या सड़कों पर जलभराव की स्थिति पैदा हो सकती है।
पिछले आँकड़े और मौजूदा हालात
नासिक में बारिश और गोदावरी नदी के उफान का यह पहला मौका नहीं है। मानसून के शुरुआती दौर में भी नदी का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ा था। इस साल अब तक दुतोंड्या मरुती की मूर्ति तीन बार डूब चुकी है – पहली बार 19 जून, दूसरी बार 5 जुलाई और अब अगस्त के इस दौर में। यह दर्शाता है कि नासिक में बारिश का रुझान लगातार गंभीर रहा है।
संभावित प्रभाव और चुनौतियाँ
तेज बारिश के कारण नासिक में जलभराव की समस्या हर बार गंभीर रूप लेती है। ड्रेनेज सिस्टम की कमज़ोरी और अव्यवस्थित जल निकासी इसका मुख्य कारण मानी जाती है। इस बार की बारिश ने एक बार फिर प्रशासन को सचेत किया है कि यदि समय रहते स्थायी समाधान नहीं निकाला गया तो आने वाले वर्षों में स्थिति और भी खतरनाक हो सकती है।
लोगों का कहना है कि नासिक में बारिश हर साल गोदावरी किनारे के बस्तियों को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है। गरीब और निम्नवर्गीय परिवार सबसे ज्यादा परेशानी झेलते हैं क्योंकि उनका रहन-सहन नदी किनारे ही होता है।
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