




ऐसे खिलौने जिनकी बाहरी दुनिया तो हमें इशारा करती है कि वक्त स्क्रीन से दूरी की ओर बढ़ रहा है, लेकिन वाली आंतरिक दुनिया एक AI चैटबॉट से जुड़ी है—डिजिटल युग में व्यावसायिक नवाचार की एक अनूठी मिसाल। यह विचार Curio, एक सिलिकॉन वैली आधारित स्टार्टअप ने दिया, जिसने “Grem”, “Grok” और “Gaboo” नामक प्यारे plushie (नरम खिलौने) पेश किए हैं, जिनमें छिपा है एक Wi-Fi-कनेक्टेड वॉइस बॉक्स जो AI भाषा मॉडल से जुड़ कर 3 वर्ष से ऊपर के बच्चों से बातचीत करता है।
स्क्रीन टाइम से “साइडकिक” इंटरेक्शन की ओर?
Curio इसे स्क्रीन-फ्री विकल्प बताते हुए यह तर्क देता है कि ये AI खिलौने बच्चों के मनोरंजन और सीखने के अनुभव को अधिक उत्प्रेरित कर सकते हैं—खासकर जब माता-पिता व्यस्त हों। उनके अनुसार, Grem बच्चों के लिए एक सहज साथी की तरह काम करता है, जिससे कुछ समय डिजिटल डिवाइसों से नजदीकी बचा रहता है।
लेकिन, The New York Times की Amanda Hess ने अपनी रिपोर्ट में यह सवाल उठाया कि क्या यह वाकई “स्क्रीन से दूरी” का विकल्प है, जब वास्तव में ये खिलौने तकनीकी श्रृंखला के अन्य अंत से जुड़ते हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि Grem ने एक दृश्य रहित संदर्भ में “I Spy” जैसे खेल का प्रस्ताव दिया—यह मौजूदगी को जोड़ने वाला संकेत है, जिसमें वही तकनीकी लेनदेन अंततः स्क्रीन जैसा काम करता है।
“Artifical Intimacy”—क्या ये खिलौने भावनात्मक संबंध से पहले कदम हैं?
जब हम बच्चों के पास plushie रखते हैं, तो वह एक भावुक सुरक्षित कनेक्शन जैसा होता है। अब AI-रिक्त plushie उस संबंध को एक बार फेर सुनिश्चित कर रहा है—पर क्या यह वास्तव में बच्चे की कल्पना या भावनात्मक जागरूकता का हिस्सा है, या एक तकनीकी आदत का नया रूप?
पिछले शोधों ने यह दिखाया है कि AI चैटबॉट से जुड़ाव—वह भी ऐसे उपकरणों के माध्यम से जो बच्चे के खेलने का हिस्सा हैं—एक मानसिक “artificial intimacy” का अनुभव दे सकता है। ऐसे संबंध आम मानवीय रिश्तों जैसे आत्मीय भाव रखते हैं, लेकिन यह “anthropomorphism” भी कहलाता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि बच्चे इन उपकरणों को वास्तविक साथी की तरह देख सकते हैं—खासकर जब ये उत्तर समझदार, अप्रभावित और समानुभूतिक होते हैं। हालांकि, इस तरह का जुड़ाव भी उत्पन्न सीमित समय, आत्मियता का भ्रम, और वास्तविक विश्व से दूरी जैसी चुनौतियाँ ला सकता है।
गोपनीयता और नियंत्रण की चिंता—फर्द से अधिक चोरी?
AI खिलौनों पर सिर्फ भावनात्मक चिंताएँ ही नहीं, डेटा सुरक्षा का प्रश्न भी उतना ही अहम है। Curio का दावा है कि ये चैटबॉक्स की सभी बातचीत अभिभावकों की मोबाइल पर ट्रांसक्राइब होती है—लेकिन यह डेटा अन्य AI कंपनियों जैसे OpenAI या Perplexity AI तक भी पहुंच सकता है जैसा कि उनकी प्राइवेसी पॉलिसी में उल्लेखित है।
फिल्मों और कहानी-कहानियों में यह डर निर्मित हो सकता है कि ऐसा कोई दोस्त, जो लगन से सुनता है, असल विश्व में बच्चों के निजी विचारों तक पहुँच कर सूचना का गलत इस्तेमाल कर सकता है।
लाभ और जोखिम का समीकरण
लाभ | जोखिम / चिंताएँ |
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स्क्रीन टाइम कम करना | फर्जी साख, व्यावसायिक डेटा उपयोग की जोखिम भरी पारदर्शिता |
बच्चों को जोड़ने का प्रभावी तरीका | संवेदनशील डेटा का असुरक्षित आदान-प्रदान और मनोवैज्ञानिक पोषण की संभावित कमी |
तकनीकी अनुभव से बच्चा परिचित होता है | भावनात्मक स्वभाव और कल्पना संबंधी विकास में निराशा |
माता-पिता को शांति मिलती है | ऐसे खिलौने वास्तविक संबंधों और रचनात्मक खेल को प्रतिस्थापित कर सकते हैं |
विशेषज्ञों का दृष्टिकोण
Vox की एक रिपोर्ट में यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया है कि माता-पिता को बच्चों के साथ AI उपकरणों का संतुलित उपयोग करना चाहिए। टेक्नोलॉजी को घुसपैठ नहीं, बल्कि पूरक समझा जाना चाहिए। AI-based खिलौने शुरुआती उम्र के बच्चों को डिजिटल कौशल, भाषा और संज्ञानात्मक पैटर्न से परिचित करते हैं, लेकिन उनसे माता-पिता या दोस्तों जैसा संबंध नहीं बनता। इसलिए, वास्तविक विश्व में खेलने और पारिवारिक बातचीत के महत्व को पीछे नहीं होना चाहिए।
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