




नासिक जिले के वडनेर-दुमाला गांव में वन विभाग ने एक बड़े और चुनौतीपूर्ण अभियान के तहत छह वर्षीय नर तेंदुए को सुरक्षित पकड़ा। यह रेस्क्यू ऑपरेशन करीब पांच घंटे तक चला और इसमें वन विभाग के अधिकारी, दो NGO की टीमें और लगभग 40 से अधिक सदस्य शामिल रहे।
यह घटना नासिक जिले के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि पिछले कुछ महीनों से तेंदुओं की मौजूदगी और उनके हमले ग्रामीणों के लिए चिंता का विषय बने हुए थे। खासतौर पर 9 अगस्त 2025 को हुए उस दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया था, जिसमें तीन साल के मासूम बच्चे की तेंदुए के हमले में मौत हो गई थी।
बचाव अभियान की शुरुआत
वन विभाग को ग्रामीणों से सूचना मिली कि वडनेर-दुमाला क्षेत्र में लगातार तेंदुए की हलचल देखी जा रही है। ग्रामीणों में दहशत का माहौल था और वे खेतों तथा आसपास के क्षेत्रों में जाने से कतराने लगे थे। सूचना मिलते ही वन विभाग ने तुरंत टीम गठित की और मौके पर पहुँचा।
रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल अधिकारी और NGO:
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नासिक वन विभाग की स्पेशल रेस्क्यू टीम
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वन्यजीव संरक्षण से जुड़े दो NGO
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पशु चिकित्सकों की टीम
अभियान की शुरुआत सुबह की गई और सबसे पहले ड्रोन तथा कैमरों की मदद से तेंदुए की लोकेशन को ट्रैक किया गया। लगभग दो घंटे की खोजबीन के बाद तेंदुआ एक खेत के पास घनी झाड़ियों में दिखाई दिया।
बेहोश करने के बाद सुरक्षित स्थान पर भेजा गया
तेंदुए को सुरक्षित पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम ने डार्ट गन का इस्तेमाल किया। करीब 45 मिनट की मशक्कत के बाद तेंदुए को बेहोश किया गया और पिंजरे में डालकर सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया।
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तेंदुए को फिलहाल वन विभाग के रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है और उसका पूरा मेडिकल चेकअप किया जा रहा है। स्वास्थ्य परीक्षण के बाद यह तय किया जाएगा कि उसे किस जंगल में छोड़ा जाए।
ग्रामीणों की राहत और डर
ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है, लेकिन अभी भी दहशत पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। वडनेर-दुमाला के सरपंच ने कहा,
“गाँव में पिछले कई महीनों से तेंदुओं की मौजूदगी ने हम सबकी नींद छीन ली थी। छोटे बच्चों और बुजुर्गों को घर से बाहर निकालना मुश्किल हो गया था। वन विभाग का यह कदम सराहनीय है, लेकिन हमें स्थायी समाधान चाहिए।”
वैज्ञानिक परीक्षण की ज़रूरत
वन विभाग ने बताया कि इस तेंदुए का DNA परीक्षण किया जाएगा ताकि यह पता चल सके कि क्या यह वही तेंदुआ है जिसने 9 अगस्त को बच्चे पर हमला किया था। यदि जांच में यह पुष्टि होती है तो ग्रामीणों का डर कुछ हद तक कम हो सकता है।
नासिक में तेंदुओं की बढ़ती मौजूदगी
नासिक जिला पहाड़ी और घने जंगलों से घिरा हुआ है। पिछले कुछ सालों में तेंदुओं की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। अक्सर ये तेंदुए भोजन और पानी की तलाश में गाँवों के पास आ जाते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार:
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खेतों और गाँवों के आसपास छोड़े गए पशुधन पर तेंदुओं का हमला बढ़ा है।
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इंसानी बस्तियों के विस्तार के कारण तेंदुओं का प्राकृतिक आवास कम हो रहा है।
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वन विभाग और ग्रामीणों के बीच समन्वय की कमी से समस्या और गंभीर हो रही है।
विशेषज्ञों की राय
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि तेंदुओं के साथ सह-अस्तित्व की दिशा में ठोस रणनीति की आवश्यकता है।
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जागरूकता अभियान: ग्रामीणों को सुरक्षित रहने और तेंदुओं से बचाव के तरीकों की जानकारी देना।
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अच्छी बाड़बंदी: खेतों और पशुओं को सुरक्षित रखने के लिए मजबूत फेंसिंग की व्यवस्था।
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प्राकृतिक आवास संरक्षण: जंगलों और वन्यजीव क्षेत्रों को अतिक्रमण से बचाना।
प्रशासन और वन विभाग की चुनौतियाँ
वन विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती तेंदुओं को पकड़ने और उन्हें सुरक्षित जंगलों में छोड़ने की है।
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हर रेस्क्यू अभियान में काफी समय और संसाधन लगते हैं।
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ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करना प्राथमिक जिम्मेदारी है।
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साथ ही वन्यजीव संरक्षण के नियमों का पालन करना भी जरूरी है।
वडनेर-दुमाला में छह वर्षीय तेंदुए का सफल बचाव नासिक वन विभाग के लिए बड़ी उपलब्धि है। यह घटना एक ओर वन विभाग की तत्परता और दक्षता को दर्शाती है तो दूसरी ओर यह भी संकेत देती है कि मानव और वन्यजीव के बीच संघर्ष लगातार बढ़ रहा है।
ग्रामीणों को फिलहाल राहत जरूर मिली है, लेकिन दीर्घकालिक समाधान तभी संभव होगा जब प्रशासन, वन विभाग और ग्रामीण समुदाय मिलकर एक स्थायी रणनीति बनाएंगे।