




पश्चिम बंगाल की राजनीति एक बार फिर ‘बंगाली बनाम बाहरी’ बहस से गरमा गई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हालिया बयान को लेकर भाजपा ने उन पर तीखा हमला बोला है। इस बीच टीएमसी सांसद और पूर्व क्रिकेटर युसुफ पठान का नाम भी इस बहस में चर्चा का विषय बन गया है।
🔹 ममता बनर्जी का बयान
हाल ही में ममता बनर्जी ने कहा था कि “बंगाल का नेतृत्व बंगालियों के हाथ में ही रहना चाहिए।”
उनका इशारा भाजपा की उस रणनीति की ओर था, जिसमें बाहरी नेताओं को बंगाल की राजनीति में आगे लाने की कोशिश की जाती है।
🔹 भाजपा का पलटवार
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भाजपा नेताओं ने ममता बनर्जी पर हमला करते हुए कहा कि टीएमसी खुद बाहरी नेताओं को बंगाल से चुनाव लड़ाती है।
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उदाहरण के तौर पर उन्होंने युसुफ पठान का जिक्र किया, जो गुजरात से हैं लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में बंगाल से सांसद बने।
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भाजपा ने आरोप लगाया कि ममता का बयान पूरी तरह दोहरे मानदंड (Double Standard) को दर्शाता है।
🔹 युसुफ पठान की स्थिति
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युसुफ पठान को 2024 के चुनावों में बंगाल की जनता का भरपूर समर्थन मिला था।
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टीएमसी नेताओं का कहना है कि बंगाल की जनता ने उन्हें स्वीकार किया, इसलिए उन्हें ‘बाहरी’ कहना गलत है।
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राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा का यह हमला सीधे तौर पर बंगाल की पहचान की राजनीति को केंद्र में लाने की रणनीति है।
🔹 विशेषज्ञों की राय
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विश्लेषकों का मानना है कि ‘बंगाली बनाम बाहरी’ मुद्दा 2026 के विधानसभा चुनावों में भी एक बड़ा कारक साबित हो सकता है।
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भाजपा इसे टीएमसी की विरोधाभासी राजनीति बताकर जनता तक ले जाना चाहती है।
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वहीं, ममता बनर्जी इसे “बंगाल की अस्मिता” से जोड़कर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती हैं।
ममता बनर्जी के बयान और भाजपा के हमले ने बंगाल की राजनीति को एक बार फिर पहचान और क्षेत्रवाद की बहस में झोंक दिया है। इस बहस में युसुफ पठान का नाम सामने आने से राजनीतिक तकरार और गहरा गया है।