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    नेपाल संकट: जेन-जेड प्रदर्शन और पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुषिला कार्की की निजी कहानी फिर आई चर्चा में

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    नेपाल इस समय गहरे राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है। राजधानी काठमांडू और कई अन्य शहरों में जेन-जेड (Gen Z) युवाओं के विरोध-प्रदर्शन तेज़ हो गए हैं। इस संकट के बीच नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश सुषिला कार्की की निजी कहानी और उनके परिवार से जुड़ा एक पुराना किस्सा फिर से सुर्खियों में आ गया है।

    🔹 जेन-जेड का गुस्सा

    • नई पीढ़ी के युवाओं का कहना है कि नेपाल की राजनीति अब पुराने नेताओं और भ्रष्ट तंत्र के सहारे नहीं चल सकती।

    • उनका आंदोलन मुख्य रूप से पारदर्शिता, रोजगार और स्वतंत्र विदेश नीति को लेकर है।

    • हाल के दिनों में ये प्रदर्शन और आक्रामक हो गए हैं, जिससे नेपाल की स्थिरता पर सवाल उठने लगे हैं।

    🔹 सुषिला कार्की की कहानी

    पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुषिला कार्की हमेशा अपने निडर फैसलों और ईमानदार छवि के लिए जानी जाती रही हैं।
    लेकिन मौजूदा संकट के बीच उनके पति से जुड़ी एक पुरानी घटना फिर चर्चा में है।

    • बताया जाता है कि वर्षों पहले उनके पति एक हाईजैक केस में फंसे थे।

    • इस घटना ने न सिर्फ उनके पारिवारिक जीवन को हिला दिया था बल्कि उस दौर में यह नेपाल की राजनीति और न्यायपालिका में भी बड़ी बहस का विषय बना था।

    🔹 मौजूदा हालात से जुड़ाव

    नेपाल के जेन-जेड प्रदर्शनकारी सुषिला कार्की की कहानी का ज़िक्र इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वे इसे व्यवस्था की नाकामी और व्यक्तिगत संघर्ष का प्रतीक मानते हैं।

    • उनका मानना है कि यदि देश की सर्वोच्च न्यायाधीश को भी निजी जीवन में ऐसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, तो आम नागरिकों की स्थिति और भी खराब है।

    • सोशल मीडिया पर कई पोस्ट में यह लिखा जा रहा है कि “नेपाल को नए नेतृत्व और नई सोच की ज़रूरत है।”

    🔹 राजनीतिक विश्लेषण

    विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा संकट सिर्फ सरकार बनाम विपक्ष तक सीमित नहीं है। यह संकट दरअसल पीढ़ियों का टकराव है—जहां युवा वर्ग पुराने नेताओं की नीतियों से पूरी तरह असंतुष्ट है।

    • जेन-जेड का यह आंदोलन नेपाल की राजनीति में नई करवट ला सकता है।

    • हालांकि, अगर हिंसा और अस्थिरता बढ़ी, तो पड़ोसी देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता भी गहरी हो सकती है।


    नेपाल का मौजूदा संकट केवल राजनीतिक अस्थिरता नहीं, बल्कि एक गहरी सामाजिक चेतना का परिणाम है। जेन-जेड के प्रदर्शन इस बात का संकेत हैं कि नेपाल अब नए नेतृत्व और पारदर्शी शासन की मांग कर रहा है। वहीं, सुषिला कार्की की निजी कहानी इस संकट की मानवीय परत को सामने लाती है।

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