




भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने भारतीय नौसेना को पहला स्वदेशी नेवल 3D एयर सर्विलांस रडार सौंपा है। इस रडार के मिलने से नौसेना की हवाई निगरानी, टारगेट ट्रैकिंग और समुद्री सुरक्षा क्षमता में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी।
🔹 क्या है यह 3D रडार?
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यह रडार अत्याधुनिक तकनीक से बना है और 100 किलोमीटर से भी अधिक दूरी तक हवाई खतरों को पहचानने में सक्षम है।
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यह एक साथ कई हवाई लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है, चाहे वह फाइटर जेट, ड्रोन या हेलिकॉप्टर ही क्यों न हों।
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इसे खासतौर पर नौसैनिक जहाजों पर तैनात करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
🔹 नौसेना के लिए महत्व
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भारतीय नौसेना अब बाहरी तकनीक पर निर्भर हुए बिना अपनी हवाई सुरक्षा मजबूत कर सकेगी।
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यह रडार समुद्र में दुश्मन के हवाई हमलों और निगरानी गतिविधियों को पहले से भांपकर सतर्कता बढ़ाने में मदद करेगा।
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साथ ही यह मेक इन इंडिया पहल को भी मजबूती देगा।
🔹 रक्षा मंत्री की प्रतिक्रिया
रक्षा मंत्री ने कहा कि यह उपलब्धि भारतीय वैज्ञानिकों की क्षमता और स्वदेशी तकनीक के प्रति देश की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
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उन्होंने इसे नौसेना की सुरक्षा रणनीति में एक महत्वपूर्ण पड़ाव बताया।
🔹 भविष्य की योजनाएं
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DRDO का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में और भी आधुनिक रडार सिस्टम विकसित कर नौसेना और वायुसेना को सौंपे जाएं।
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इससे भारत की आत्मनिर्भर रक्षा क्षमता और मजबूत होगी।
स्वदेशी नेवल 3D एयर सर्विलांस रडार के साथ भारतीय नौसेना अब और ज्यादा सक्षम और आत्मनिर्भर हो गई है। यह कदम न सिर्फ सुरक्षा के लिहाज़ से बल्कि भारत के रक्षा उद्योग के लिए भी एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।