




कहते हैं कि अगर सोच अलग हो और मेहनत सच्ची, तो किसी भी साधारण आइडिया से बड़ा बिज़नेस खड़ा किया जा सकता है। मुंबई के दो युवाओं ने यह साबित कर दिखाया। दोनों दोस्तों ने पुराने जूते बेचने का काम शुरू किया और आज उनकी कंपनी करोड़ों रुपये का टर्नओवर कर रही है।
🔹 कैसे शुरू हुआ सफर?
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ये कहानी मुंबई के दो दोस्तों की है, जो नौकरी के साथ-साथ उद्यमिता (Entrepreneurship) की तलाश में थे।
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उन्होंने देखा कि शहर में लाखों पुराने जूते हर साल फेंक दिए जाते हैं, जबकि उनमें से कई रीसायकल या रीफर्बिश किए जा सकते हैं।
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2020 में दोनों ने मिलकर एक छोटा-सा स्टार्टअप शुरू किया – “पुराने जूते, नई पहचान” (नाम बदला जा सकता है)।
🔹 बिज़नेस मॉडल
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दोनों दोस्तों ने पुराने जूते ऑनलाइन और ऑफलाइन कलेक्ट करने शुरू किए।
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उन जूतों को क्लीनिंग, रिपेयर और रिडिज़ाइन कर फिर से मार्केट में उतारा।
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उन्होंने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और खुद की वेबसाइट के ज़रिए यह बिज़नेस तेजी से बढ़ाया।
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खास बात यह रही कि उनके जूते सस्ते भी थे और स्टाइलिश भी, जिससे युवा ग्राहक जुड़ते गए।
🔹 आज की सफलता
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आज उनकी कंपनी का टर्नओवर करोड़ों में पहुँच चुका है।
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कई विदेशी खरीदार भी उनसे जुड़ चुके हैं और सस्टेनेबल फैशन के नाम पर उनके जूतों की डिमांड बढ़ रही है।
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इन दोनों युवाओं ने कई युवाओं को रोजगार भी दिया है।
🔹 लोगों के लिए प्रेरणा
यह कहानी इस बात का सबूत है कि इनोवेशन और पर्यावरण के प्रति जागरूकता से भी बड़ा बिज़नेस खड़ा किया जा सकता है।
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जहां एक ओर लोग पुराने जूतों को कचरे में फेंक देते थे, वहीं इन दोनों ने इसे कमाई और सस्टेनेबिलिटी का जरिया बना लिया।
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अब ये दोनों उद्यमी मुंबई ही नहीं बल्कि भारत के अलग-अलग शहरों में विस्तार की योजना बना रहे हैं।
मुंबई के इन दो दोस्तों की सफलता की कहानी बताती है कि “जुगाड़ और जुनून” के मेल से किसी भी छोटे आइडिया को बड़ा बिज़नेस बनाया जा सकता है। आज ये दोनों न सिर्फ़ करोड़पति हैं, बल्कि समाज में रिसाइक्लिंग और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी फैला रहे हैं।