




नेपाल में जारी Gen Z क्रांति ने अब एक नया चेहरा और नया नेतृत्व पा लिया है। युवा नेता सुदन गुरंग (Sudan Gurang) इस आंदोलन के फ्रंटलाइन पर आ गए हैं। आंदोलन का मुख्य एजेंडा है— सोशल मीडिया बैन का विरोध और भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष।
🔹 सोशल मीडिया बैन पर युवाओं का गुस्सा
नेपाल सरकार ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर कड़ी पाबंदियाँ लगाने का ऐलान किया था।
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इसका सीधा असर छात्रों, क्रिएटिव इंडस्ट्री और युवा उद्यमियों पर पड़ा।
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युवाओं का कहना है कि यह आवाज़ दबाने और लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश है।
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सुदन गुरंग ने साफ कहा, “हमारी पीढ़ी को चुप कराना आसान नहीं। सोशल मीडिया हमारी आवाज़ है।”
🔹 भ्रष्टाचार के खिलाफ लहर
Gen Z आंदोलन का दूसरा बड़ा मुद्दा है सरकारी भ्रष्टाचार।
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युवाओं का आरोप है कि सत्ता में बैठे नेता विकास योजनाओं का पैसा अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।
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शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की स्थिति लगातार बिगड़ रही है।
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गुरंग ने कहा कि अब समय आ गया है कि नई पीढ़ी सत्ता को आईना दिखाए।
🔹 आंदोलन का फैलाव
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यह आंदोलन राजधानी काठमांडू से निकलकर पोखरा, भरतपुर और ललितपुर तक पहुंच गया है।
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छात्र संगठन, स्टार्टअप उद्यमी और कलाकार खुलकर समर्थन दे रहे हैं।
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जगह-जगह “No Ban, No Corruption” के पोस्टर और नारों से माहौल गर्म है।
🔹 सुदन गुरंग क्यों खास?
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गुरंग को सोशल मीडिया पर पहले से ही बड़ी फॉलोइंग हासिल है।
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वे युवाओं के बीच पारदर्शिता और टेक्नोलॉजी-ड्रिवेन राजनीति के पक्षधर माने जाते हैं।
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उनका नेतृत्व नेपाल की राजनीति में एक नई दिशा दे सकता है।
🔹 अंतरराष्ट्रीय नजरें
नेपाल की यह युवा क्रांति सिर्फ देश के भीतर ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बनी है।
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पड़ोसी देशों की मीडिया इसे “युवा जागरण” बता रही है।
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विश्लेषकों का मानना है कि अगर आंदोलन मजबूत हुआ तो यह नेपाल की राजनीति में ऐतिहासिक बदलाव ला सकता है।
नेपाल की Gen Z क्रांति अब सिर्फ एक आंदोलन नहीं, बल्कि एक नई राजनीतिक चेतना बनती जा रही है। सुदन गुरंग का नेतृत्व इस क्रांति को और मजबूती दे रहा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार युवाओं की आवाज़ को सुनेगी या दमन की राह अपनाएगी।