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नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की ताजा रिपोर्ट ने एक गंभीर आर्थिक सचाई उजागर की है। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ और व्यापारिक तनाव के कारण भारतीय शेयर बाजार में नए निवेशकों की संख्या में गिरावट देखने को मिल रही है। यह स्थिति न केवल घरेलू निवेशकों बल्कि विदेशी निवेशकों के लिए भी चुनौतीपूर्ण साबित हो रही है।
🔹 नए निवेशक क्यों घट रहे हैं
NSE की रिपोर्ट में बताया गया है कि नए निवेशक पहले की तुलना में बाजार में कम सक्रिय हो रहे हैं। इसके मुख्य कारण हैं:
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अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ जिनसे भारत से अमेरिका में निर्यात महंगा हो गया है।
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वैश्विक व्यापार अस्थिरता और विदेशी निवेशकों में अनिश्चितता।
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स्टॉक मार्केट में मंदी की संभावना के चलते नए निवेशकों का जोखिम लेने से हिचक।
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी टैरिफ का असर सीधे भारतीय कंपनियों की आय और लाभ पर पड़ रहा है। यह निवेशकों के मनोबल को प्रभावित कर रहा है और नए निवेशक अभी बाजार में प्रवेश करने से कतर रहे हैं।
🔹 NSE की रिपोर्ट के आंकड़े
रिपोर्ट के प्रमुख आंकड़े यह दर्शाते हैं:
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2025 की पहली छमाही में नए निवेशकों की संख्या में लगभग 15% की गिरावट दर्ज की गई।
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पिछले साल की तुलना में यह कमी सबसे अधिक IT और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में देखी गई।
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विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की प्रविष्टियाँ भी सीमित हो गई हैं।
🔹 भारतीय इक्विटी बाजार पर असर
नए निवेशकों की कमी का सबसे बड़ा असर बाजार के लीक्विडिटी और वॉल्यूम पर पड़ा है।
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छोटे और मिड कैप स्टॉक्स में ट्रेडिंग में कमी आई।
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निवेशकों की अनिश्चितता के कारण मार्केट वॉलेट और पूंजी प्रवाह प्रभावित हुआ।
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विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह प्रवृत्ति जारी रही, तो भारतीय शेयर मार्केट की ग्रोथ रेट पर दीर्घकालिक असर पड़ सकता है।
🔹 सरकार और RBI की प्रतिक्रिया
वित्त मंत्रालय और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने स्थिति को गंभीरता से लिया है।
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वित्त मंत्रालय ने कहा कि भारत अमेरिकी टैरिफ और अंतरराष्ट्रीय व्यापार अस्थिरता को देखते हुए नए उपायों पर विचार कर रहा है।
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RBI ने भी संकेत दिए कि अगर निवेशकों की संख्या में गिरावट जारी रही, तो मार्केट में स्थिरता बनाए रखने के लिए नीति समर्थन दिया जाएगा।
🔹 विशेषज्ञों की राय
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि:
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अमेरिकी टैरिफ का असर अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर पड़ रहा है, जो भारतीय कंपनियों की एक्सपोर्ट आय को प्रभावित कर रहा है।
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घरेलू निवेशकों को विश्वास में लेने के लिए सरकारी प्रोत्साहन और निवेश जागरूकता कार्यक्रम जरूरी हैं।
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लंबी अवधि में भारतीय इक्विटी बाजार अभी भी आकर्षक है, लेकिन वर्तमान स्थिति में नए निवेशकों की संख्या घटना स्वाभाविक है।
🔹 नए निवेशकों को बनाए रखने की चुनौती
विशेषज्ञों का कहना है कि NSE और SEBI को मिलकर उपाय करने होंगे ताकि नए निवेशक डर के बजाय विश्वास और सुरक्षा महसूस करें।
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शिक्षा और जागरूकता बढ़ाना जरूरी है।
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म्यूचुअल फंड्स और SIP जैसी योजनाओं के माध्यम से छोटे निवेशकों को आकर्षित किया जा सकता है।
NSE की रिपोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक व्यापार तनाव का असर प्रत्यक्ष रूप से नए निवेशकों पर पड़ रहा है।
भारतीय शेयर बाजार की दीर्घकालिक मजबूती के लिए यह आवश्यक है कि सरकार, RBI और बाजार नियामक मिलकर रणनीति तैयार करें ताकि निवेशकों का भरोसा बना रहे और बाजार स्थिर रहे।








