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छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत कर्मचारियों और डॉक्टरों ने सफेद कोट पहनकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। इस हड़ताल का मुख्य कारण वेतन, कार्यभार और बुनियादी सुविधाओं को लेकर लंबे समय से चल रही अनसुलझी मांगें हैं। अस्पतालों में हड़ताल के कारण मरीजों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और कई शिफ्टों में आपात सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं।
🔹 हड़ताल की वजहें
स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि वे कई महीनों से अपनी मांगों के लिए प्रशासन से बातचीत कर रहे हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उनकी मुख्य मांगें हैं:
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वेतन और भत्तों में समय पर भुगतान।
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काम के घंटे और ओवरटाइम के उचित भुगतान।
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अस्पतालों में सुरक्षा और बुनियादी सुविधाओं का सुधार।
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कर्मचारियों की संख्या बढ़ाकर कार्यभार कम करना।
एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा,
“हम मरीजों की सेवा करना चाहते हैं, लेकिन हमारी मूलभूत आवश्यकताओं की अनदेखी की जा रही है। मजबूरी में यह कदम उठाना पड़ा।”
🔹 अस्पतालों पर प्रभाव
हड़ताल के चलते सरकारी अस्पतालों की स्थिति गंभीर हो गई है।
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आपातकालीन सेवाएं कमज़ोर हुई हैं।
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OPD सेवाएं स्थगित कर दी गई हैं।
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गंभीर मरीजों को निजी अस्पतालों या दूसरे शहरों में भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा।
रायपुर मेडिकल कॉलेज के सूत्रों के अनुसार, कई वार्डों में केवल आधा स्टाफ उपलब्ध है और मरीजों को लंबे समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ रही है।
🔹 प्रशासन की प्रतिक्रिया
छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग ने हड़ताल पर तुरंत बातचीत की पेशकश की है।
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अधिकारियों का कहना है कि सरकार कर्मचारियों की मांगों पर विचार कर रही है।
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मुख्यमंत्री कार्यालय ने भी कर्मचारियों से संयम बरतने और मरीजों की सुविधा को प्राथमिकता देने की अपील की है।
हालांकि स्वास्थ्यकर्मियों ने कहा कि सरकार की कार्रवाई अल्पकालिक और अधूरी रही है, इसलिए हड़ताल जारी रहेगी।
🔹 सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
हड़ताल ने राज्य के स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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सोशल मीडिया पर मरीजों और उनके परिजनों ने अस्पतालों में लंबी कतारों और आपात सेवाओं में देरी की तस्वीरें साझा की हैं।
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विपक्षी दलों ने सरकार पर कर्मचारियों की मांगों को नजरअंदाज करने और स्वास्थ्य प्रणाली में कमी बरकरार रखने का आरोप लगाया।
🔹 विशेषज्ञों की राय
स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी हड़तालें दर्शाती हैं कि राज्य में स्वास्थ्य कर्मचारियों की संतुष्टि और संसाधन प्रबंधन पर ध्यान देने की जरूरत है।
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पर्याप्त स्टाफिंग और समय पर वेतन भुगतान से ही कर्मचारी संतुष्ट रहेंगे।
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लंबे समय तक अनदेखी करने से हड़ताल जैसी स्थिति उत्पन्न होती है, जो सीधे मरीजों पर असर डालती है।
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल यह दिखाती है कि कर्मचारी संतोष और उचित संसाधन किसी भी स्वास्थ्य प्रणाली की रीढ़ हैं।
सफेद कोट्स का विरोध प्रदर्शन मरीजों की सुविधा को प्रभावित कर रहा है और प्रशासन के लिए यह चेतावनी भी है कि बिना बातचीत और समाधान के राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता खतरे में पड़ सकती है।
अब सवाल यह है कि सरकार कब तक कर्मचारियों की मांगों को पूरा कर पाएगी और हड़ताल के कारण उत्पन्न हालात को सामान्य कर पाएगी।






