




प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में बिहार के सीमांचल क्षेत्र के पूर्णिया जिले का दौरा किया, जहां उन्होंने 40,000 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री को पहनाई गई 10 किलो वजन वाली मखाना माला ने सबका ध्यान आकर्षित किया। यह माला केवल सजावटी नहीं थी, बल्कि पूर्णिया और बिहार की कृषि एवं सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी बनी।
मखाना माला का निर्माण और कारीगर
सूत्रों के अनुसार, यह विशेष मखाना माला स्थानीय कारीगरों और किसानों ने मिलकर तैयार की। माला बनाने में स्थानीय मखाना उत्पादन और पारंपरिक कला का इस्तेमाल किया गया।
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मखाना माला बनाने में विशेष तकनीक अपनाई गई ताकि यह भारी होने के बावजूद पहनने में आरामदायक रहे।
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माला की डिज़ाइन पारंपरिक और आधुनिक कला का मिश्रण थी।
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इसे बनाने में कई सप्ताह का समय लगा और पूरी तैयारी में सौंदर्य और स्थायित्व पर जोर दिया गया।
मखाना माला पहनाकर पीएम मोदी ने स्थानीय कृषि उत्पादों और कारीगरों की मेहनत को राष्ट्रीय मंच पर सम्मान दिया।
माला का वजन और विशिष्टता
इस मखाना माला का कुल वजन लगभग 10 किलो था। यह अपने आकार और वजन में काफी भारी थी, लेकिन पीएम मोदी ने इसे गर्व के साथ पहना।
माला की खासियतें:
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मखाना के दाने: प्रत्येक मखाना दाने को चमक और मजबूती देने के लिए विशेष प्रक्रिया अपनाई गई।
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डिज़ाइन और पैटर्न: पारंपरिक बुनाई और सजावट तकनीक के माध्यम से माला को भव्य रूप दिया गया।
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स्थायित्व: भारी होने के बावजूद माला पहनने में सहज और संतुलित थी।
पीएम मोदी का पूर्णिया दौरा और परियोजनाएँ
मखाना माला के अलावा पीएम मोदी ने पूर्णिया में कई प्रमुख विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इन परियोजनाओं का कुल निवेश 40,000 करोड़ रुपये से अधिक था। इनमें शामिल हैं:
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सड़क और परिवहन नेटवर्क सुधार परियोजनाएँ
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स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में नई सुविधाएँ
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कृषि और ग्रामीण विकास योजनाएँ
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जल, विद्युत और आधारभूत संरचना परियोजनाएँ
पीएम मोदी ने कहा कि यह प्रयास सीमांचल क्षेत्र के लोगों के जीवन स्तर में सुधार और रोजगार के अवसर बढ़ाने में सहायक होगा।
मखाना माला केवल एक सजावटी वस्तु नहीं है, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक और आर्थिक पहचान को भी दर्शाती है। मखाना, जो पूर्णिया और बिहार के सीमांचल क्षेत्र का प्रमुख कृषि उत्पाद है, का उपयोग कर प्रधानमंत्री को माला पहनाना एक स्थानीय सम्मान और राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक है। पीएम मोदी ने इस अवसर पर यह संदेश भी दिया कि स्थानीय उत्पादन और संस्कृति का राष्ट्रीय मंच पर सम्मान किया जाना चाहिए।
मखाना माला पहनने के बाद स्थानीय लोगों और मीडिया में खुशी की लहर दौड़ गई। किसान और कारीगर गर्वित हैं कि उनके उत्पाद और कला को प्रधानमंत्री के माध्यम से सम्मान मिला। सोशल मीडिया पर मखाना माला की तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं। लोग इसे बिहार और विशेषकर पूर्णिया के लिए गौरव और प्रेरणा का प्रतीक मान रहे हैं।
पूर्णिया में पीएम नरेंद्र मोदी को पहनाई गई 10 किलो मखाना माला बिहार की सांस्कृतिक धरोहर और कृषि उत्पादों का प्रतीक बन गई है।