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भारत और अमेरिका के बीच हाल ही में हुई उच्चस्तरीय व्यापार वार्ता ने दोनों देशों के रिश्तों को नई दिशा दी है। रक्षा, तकनीक, डिजिटल साझेदारी और ऊर्जा के क्षेत्र में अहम समझौते हुए, लेकिन इस डील में एक बड़ा सवाल उभरकर सामने आया है — आखिर भारत अमेरिकी मक्का (Corn) क्यों नहीं खरीद रहा? अमेरिका की ओर से लगातार दबाव बनाया गया कि भारत अपने आयात बाजार को खोले, लेकिन भारत ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया।
🇮🇳 भारत के इनकार के पीछे कृषि संबंधी कारण
भारत का कृषि ढांचा लंबे समय से छोटे और मध्यम किसानों पर आधारित है। मक्का देश में पशुचारा, स्टार्च और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। यदि भारत अमेरिकी मक्का आयात करता है तो स्थानीय किसानों पर इसका सीधा असर पड़ सकता है।
भारतीय मक्का वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय बाजार से थोड़ा महंगा है, लेकिन यह किसानों की आमदनी को बनाए रखने के लिए जरूरी है। अमेरिका से सस्ता मक्का आने पर भारतीय किसानों की प्रतिस्पर्धा खत्म हो जाएगी और उनकी आजीविका पर संकट मंडराएगा।
GMO (जेनेटिकली मॉडिफाइड) मक्का पर विवाद
भारत GMO फसलों को लेकर बेहद सतर्क है। अमेरिकी मक्का का बड़ा हिस्सा जेनेटिकली मॉडिफाइड होता है। भारत में फिलहाल GMO खाद्य पदार्थों पर सख्त पाबंदी है और सरकार इसे स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा के दृष्टिकोण से गंभीर मुद्दा मानती है। यही वजह है कि भारत ने अमेरिकी मक्का के बड़े आयात पर सहमति नहीं दी।
आर्थिक पहलू
भारत पहले से ही गेहूं, दाल और तेल के मामले में आयात पर निर्भरता झेल रहा है। ऐसे में सरकार का प्रयास है कि मक्का जैसे उत्पादों के मामले में ‘आत्मनिर्भरता’ कायम रहे। अमेरिकी मक्का आयात करने से भारत का कृषि व्यापार घाटे में जा सकता है और विदेशी मुद्रा पर दबाव बढ़ सकता है।
राजनीतिक और रणनीतिक दृष्टिकोण
अमेरिका चाहता है कि भारत अपने बाजार को और खोले, लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि कृषि जैसे संवेदनशील क्षेत्र में समझौता संभव नहीं है। मक्का का मुद्दा केवल आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक भी है। बिहार, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में मक्का उत्पादन बड़ी संख्या में किसानों की आजीविका का साधन है। ऐसे में अमेरिकी मक्का को मंजूरी देना राजनीतिक तौर पर भी जोखिम भरा कदम हो सकता है।
🇺🇸 अमेरिका की नाराजगी
अमेरिका की व्यापार प्रतिनिधि (USTR) टीम ने भारत के इस फैसले पर नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि भारत विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों का हवाला देकर अमेरिकी मक्का को बाहर रख रहा है। लेकिन भारत का रुख साफ है — कृषि पर कोई समझौता नहीं।
आगे का रास्ता
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में इस मुद्दे पर और वार्ता होगी। अमेरिका चाहेगा कि भारत किसी तरह सीमित कोटा के तहत अमेरिकी मक्का आयात करने को तैयार हो। वहीं भारत यह कोशिश करेगा कि वह अपने किसानों की सुरक्षा के साथ-साथ अमेरिका के साथ रिश्तों को भी संतुलन में रखे।
👉 निष्कर्ष यह है कि भारत-अमेरिका ट्रेड डील कई क्षेत्रों में सकारात्मक है, लेकिन अमेरिकी मक्का आयात को लेकर भारत का इनकार यह साबित करता है कि कृषि जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भारत अपने किसानों और आत्मनिर्भरता से समझौता करने को तैयार नहीं है।








