




त्योहारों के मौसम को देखते हुए केंद्र सरकार ने रिटेल और उपभोक्ता बाजार को लेकर बड़ा निर्णय लिया है। सरकार ने जीएसटी ढांचे में सुधार की प्रक्रिया तेज करते हुए रिटेलर्स को निर्देश दिया है कि वे ग्राहकों को मिलने वाली छूट, ऑफर्स और डिस्काउंट को स्पष्ट रूप से बिल और प्राइस टैग पर दर्शाएं।
इस कदम का उद्देश्य उपभोक्ताओं को पारदर्शी जानकारी देना, गलतफहमी कम करना और बिक्री को बढ़ावा देना है।
भारत में दुर्गा पूजा, नवरात्रि, दिवाली और छठ पूजा जैसे त्योहारों के दौरान रिटेल सेक्टर में सालाना बिक्री का लगभग 30–40% कारोबार होता है। सरकार चाहती है कि इस दौरान ग्राहकों को खरीदारी में पारदर्शिता मिले और व्यापारियों को भी भरोसेमंद माहौल का लाभ मिले।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, वित्त मंत्रालय और जीएसटी काउंसिल ने रिटेल सेक्टर से बातचीत कर यह निर्णय लिया है।
वित्त मंत्रालय की अधिसूचना में साफ कहा गया है:
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हर रिटेलर को डिस्काउंट और ऑफर्स को स्पष्ट रूप से बिल में उल्लेख करना होगा।
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दुकानों पर लगाए गए प्राइस टैग में मूल्य (MRP), छूट प्रतिशत और अंतिम बिक्री मूल्य को अलग-अलग दिखाना होगा।
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त्योहारों के दौरान बड़े-बड़े सेल इवेंट्स (जैसे “फेस्टिव धमाका”, “बिग सेल ऑफर”) में भ्रम फैलाने वाले विज्ञापनों से बचना होगा।
सरकार का कहना है कि इससे उपभोक्ताओं को वास्तविक छूट का अंदाजा होगा और व्यापार में पारदर्शिता आएगी।
उपभोक्ताओं को क्या होगा फायदा?
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स्पष्ट जानकारी: ग्राहक को पता चलेगा कि उसे वास्तविक रूप से कितनी छूट मिली है।
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धोखाधड़ी पर अंकुश: कई बार दुकानदार पहले MRP बढ़ाकर फिर डिस्काउंट दिखाते हैं। इस नियम से यह रोकथाम होगी।
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विश्वास में बढ़ोतरी: पारदर्शिता से ग्राहक बिना शक खरीदारी कर सकेंगे।
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ऑनलाइन बनाम ऑफलाइन संतुलन: यह नियम ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म्स पर भी लागू होगा, जिससे ग्राहकों को समान लाभ मिलेगा।
रिटेलर्स और ट्रेड यूनियनों ने सरकार के इस कदम का मिश्रित स्वागत किया है।
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सकारात्मक पक्ष: बड़े रिटेल चेन और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने कहा कि यह उपभोक्ताओं के लिए अच्छा कदम है और इससे बिक्री और बढ़ेगी।
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आशंका: छोटे व्यापारियों का कहना है कि बिलिंग सिस्टम और टैगिंग में बदलाव से अतिरिक्त खर्च बढ़ेगा। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में यह नियम लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
विशेषज्ञों की राय
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आर्थिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम उपभोक्ता हित में है और इससे भारतीय रिटेल सेक्टर को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर लाने में मदद मिलेगी।
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रिटेल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा है कि त्योहारों के दौरान पारदर्शिता से ग्राहक संतुष्टि बढ़ेगी और लंबी अवधि में व्यापारियों को भी फायदा होगा।
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कानूनी विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार को इस नियम का पालन सुनिश्चित करने के लिए निगरानी तंत्र को मजबूत करना होगा।
यह कदम दरअसल सरकार की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है जिसमें जीएसटी को उपभोक्ता-मित्र और व्यापार-मित्र बनाने की कोशिश की जा रही है।
पहले ही सरकार ने ई-इनवॉइसिंग और डिजिटल बिलिंग को अनिवार्य किया है। अब छूट और ऑफर्स को स्पष्ट करने से कर चोरी और फर्जी बिलिंग पर भी लगाम लगेगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि भविष्य में सरकार जीएसटी स्लैब्स को भी सरल करने पर जोर दे सकती है।
भारत में त्योहार सिर्फ धार्मिक अवसर नहीं, बल्कि खरीदारी के बड़े मौके भी होते हैं। दिवाली और नवरात्रि के दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े, ज्वेलरी और वाहन सेक्टर में रिकॉर्ड बिक्री होती है। ई-कॉमर्स कंपनियां जैसे अमेज़न और फ्लिपकार्ट इसी दौरान अपनी “बिग सेल” और “फेस्टिव ऑफर” लॉन्च करती हैं। छोटे और मध्यम व्यापारी भी इसी दौरान सालाना टर्नओवर का बड़ा हिस्सा पूरा करते हैं।
इसलिए सरकार का यह कदम सीधे तौर पर करोड़ों उपभोक्ताओं और लाखों व्यापारियों को प्रभावित करेगा।
सरकार ने संकेत दिया है कि आने वाले समय में इस नियम के उल्लंघन पर जुर्माने का प्रावधान भी किया जाएगा। इसके लिए राज्यों के वाणिज्यिक कर विभाग और उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण को निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
त्योहारी सीजन को देखते हुए सरकार का यह फैसला उपभोक्ताओं और व्यापारियों दोनों के लिए अहम है। जहां ग्राहकों को असली छूट का फायदा मिलेगा, वहीं व्यापारियों की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।