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    उम्मीद और एकजुटता पहुंचाने की मुस्तैदी: ग्रेटा थुनबर्ग समेत गाजा सहायता फ्लोटिला ग्रीस से निकलने को तैयार, इज़राइली चेतावनियाँ बेअसर

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    क साहसिक और संवेदनशील मानवीय मिशन की शुरुआत ग्रीस से हुई है, जब जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग और अन्य सामाजिक कार्यकर्ता गाजा पट्टी में मानवीय सहायता पहुंचाने के उद्देश्य से रवाना हुए। यह मिशन “Global Sumud Flotilla” के नाम से जाना जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य इज़राइल द्वारा लगाए गए समुद्री नाकेबंदी को चुनौती देते हुए गाजा के जरूरतमंद नागरिकों तक राहत सामग्री पहुँचाना है।

    इस फ्लोटिला में शामिल जहाजों पर भोजन, दवाइयाँ, जल फिल्टर और अन्य आवश्यक सामग्री लादी गई है। अभियान में दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए सांसद, वकील, चिकित्सक, सामाजिक कार्यकर्ता और स्वयंसेवक शामिल हैं। ग्रेटा थुनबर्ग की भागीदारी इस अभियान को वैश्विक स्तर पर और भी प्रमुख बना रही है।

    ग्रीस सरकार ने इस फ्लोटिला को अपने जलक्षेत्र से सुरक्षित रूप से गुजरने की अनुमति दी है। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि वह मानवीय मिशन में भाग ले रहे नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी और उनके प्रयासों में हस्तक्षेप नहीं करेगी।

    ग्रीस के अधिकारियों ने इस मिशन को एक लोकतांत्रिक और मानवीय प्रयास बताया है, जो कि युद्ध प्रभावित क्षेत्र के लोगों की मदद के लिए चलाया जा रहा है। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया है कि किसी भी प्रकार की अंतरराष्ट्रीय संधि का उल्लंघन न हो।

    इज़राइल सरकार ने इस फ्लोटिला को लेकर गहरी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि गाजा में किसी भी प्रकार की सहायता केवल तय मानकों और निरीक्षण के बाद ही पहुंचाई जानी चाहिए। इज़राइल ने चेतावनी दी है कि वह गाजा तक पहुंचने की कोशिश कर रहे जहाजों को रास्ते में ही रोक सकता है।

    इज़राइल की ओर से यह प्रस्ताव भी दिया गया था कि फ्लोटिला साइप्रस या किसी अन्य नजदीकी बंदरगाह पर राहत सामग्री छोड़ दे, ताकि उनकी सुरक्षा जांच हो सके। लेकिन आयोजकों ने इसे मानने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि राहत की तत्काल और सीधी आपूर्ति आवश्यक है।

    इस अभियान में शामिल करीब 50 नावें और जहाज विभिन्न देशों के हैं, जिनमें नागरिक संगठन, गैर सरकारी संस्थाएं और स्वतंत्र कार्यकर्ता शामिल हैं। कुछ जहाजों पर ‘Women for Peace’, ‘Doctors without Borders’ जैसे संगठन भी शामिल हैं।

    ग्रेटा थुनबर्ग का इस अभियान में शामिल होना इसे और भी खास बना रहा है। उन्होंने रवाना होने से पहले कहा, “जब दुनिया युद्ध और विनाश से घिरी है, तो उम्मीद और इंसानियत को आगे बढ़ाना ही सबसे बड़ा प्रयास होता है। हम इस मिशन से एकजुटता और इंसानियत का संदेश देना चाहते हैं।”

    इस मिशन को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह फ्लोटिला गाजा तक सुरक्षित पहुंच पाएगी? इज़राइल की नौसेना द्वारा रास्ता रोके जाने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में यह मिशन केवल मानवीय नहीं बल्कि कूटनीतिक और कानूनी संघर्ष का कारण भी बन सकता है।

    इतिहास में पहले भी इस तरह की फ्लोटिलाओं को इज़राइली सेना द्वारा रोका गया है, जिसमें कई बार टकराव और हिंसा भी हुई है। हालांकि इस बार आयोजकों ने कहा है कि वे पूरी तरह शांतिपूर्ण ढंग से आगे बढ़ेंगे।

    संयुक्त राष्ट्र समेत कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इस मिशन पर नजर रखी है। कुछ देशों ने इसे मानवीय जरूरत बताया है, वहीं कुछ ने इसे भड़काऊ कदम माना है। लेकिन आम जनता और मानवाधिकार समूह इस प्रयास को सराहना की नजरों से देख रहे हैं।

    फ्लोटिला आयोजकों का कहना है कि यह अभियान किसी एक राजनीतिक दल या गुट के समर्थन में नहीं है, बल्कि पूरी तरह मानवता पर केंद्रित है।

    यह सहायता फ्लोटिला केवल राहत सामग्री नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रतीकात्मक संदेश लेकर चल रही है— युद्ध और नाकेबंदी से पीड़ित लोगों को भी उम्मीद की जरूरत है। ग्रेटा थुनबर्ग जैसे युवाओं की सक्रिय भागीदारी यह दिखाती है कि जब सरकारें चुप रहती हैं, तब नागरिक समाज आगे बढ़कर आवाज़ बनता है।

    गाजा की तरफ बढ़ती यह नावें, इज़राइली चेतावनियों के बावजूद, मानवता के पक्ष में खड़ी हैं। आने वाले कुछ दिन इस मिशन की सफलता और इसके अंतरराष्ट्रीय प्रभाव को तय करेंगे।

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