




भारत की “ऑपरेशन सिंदूर” कार्रवाई ने पाकिस्तान में आतंकवाद के ताने-बाने को भारी झटका दिया है। इस अभियान में कई बड़े आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया गया, जिसमें लश्कर‑ए‑तैयबा (LeT) के मुख्य प्रशिक्षण केंद्र भी शामिल थे। अब खुफिया सूत्रों की जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान के उन आतंकी समूहों ने अपनी रणनीति बदल दी है और अपने प्रशिक्षण शिविरों को अफगानिस्तान की सीमा के करीब, खैबर पख्तूनख्वा (KPK) क्षेत्र की ओर स्थानांतरित कर रहे हैं।
इस बदलाव का मुख्य कारण माना जा रहा है— भारत द्वारा की गई सटीक हवाई और जमीनी कार्रवाई का खतरा। घनिष्ठ नियंत्रण वाले पंजाब, कश्मीर, PoK और अन्य पूर्ववर्ती क्षेत्रों में शिविरों की सुरक्षा अब कठिन होती जा रही थी। नई रणनीति के तहत शिविर KPK के नजदीक, मोहजोर इलाकों में स्थापित किए जा रहे हैं, जहां पहाड़ी बनावट, कठिन मौसम और सीमावर्ती जटिलताओं के कारण भारतीय स्टेशनरी निगरानी और कार्रवाई पर पकड़ कम हो जाएगी।
खुफिया सूचनाएँ बताती हैं कि जेएम (Jaish-e-Mohammed), लश्कर-ए-तैयबा और हिज़बुल मुजाहिदीन ने पहले से ही PoK और पंजाब में अपने पुराने शिविरों को बंद करना शुरू कर दिया है। अब ये समूह मांसेहरा, लोअर डीयर, और KPK के अन्य जिलों में नए प्रशिक्षण केंद्र बनाने का काम कर रहे हैं।
एक विश्लेषक बताते हैं कि लश्कर ने Kumban Maidan इलाके में “Markaz Jihad-e-Aqsa” नामक केंद्र निर्माण करना शुरू किया है। यह केंद्र अफगान सीमा से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। उसी तरह, Hizbul ने HM‑313 नामक शिविर की ज़मीन खरीद ली है और बंਦੀ इलाके में निर्माण कार्य शुरू कर दिया है।
नई रणनीति में यह देखा गया है कि शिविर छोटे, तकनीकी उपकरणों से लैस और राज्य की निगरानी से दूर स्थानों पर बनाए जा रहे हैं। इसे बड़े शिविरों के मुकाबले कम पकड़ में आने वाला माना जा रहा है।
भारत की सेना और खुफिया एजेंसियाँ इसके बारे में आगाह हैं। वे मानते हैं कि यह बदलाव आतंकी नेटवर्क की पुनर्बहाली की दिशा में कदम है। हालांकि, भारत के लिए यह नई चुनौतियों के द्वार खोलता है— पिछली फायदे लेने वाली एयर स्ट्राइक और सीमा के पार सटीक हमलों की योजना अब और जटिल होगी।
एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी का कहना है कि अब भारत को दृश्य और उपग्रह निगरानी को और मजबूत करना होगा, साथ ही सीमा पार अभियानों के लिए इंटेलिजेंस साझा करना आवश्यक होगा। नए शिविर इन इलाकों में छिपे होंगे और संसाधन भी सीमित होंगे, जिससे हमें अधिक सतर्कता बरतनी होगी।
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि इस रणनीति परिवर्तन में पाकिस्तानी सेना और ISI का सहयोग निहित है। नए शिविरों का निर्माण राज्य की स्वीकृति या कम से कम tacit समर्थन से हो रहा है। PoK और पंजाब में शिविरों पर निरंतर Indian कार्रवाई के बाद, अर्धगोपनीय समर्थन के साथ नए ठिकानों को KPK में स्थापित किया जा रहा है।
पाकिस्तान की मीडिया छिपी बातों को उजागर करती है कि ISI की विशेष ऑपरेशन टीम इस पुनर्स्थापन कार्य में शामिल है। कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि ISI पुराने समर्थक धार्मिक और राजनीतिक गुटों से तालमेल बैठा रही है ताकि इन शिविरों को सामान्य गतिविधियों के रूप में छुपाया जा सके।
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यह स्थानांतरण आतंकवादी गतिविधियों को फिर से सशक्त करने का संकेत है।
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भारत को सीमापार निगरानी, इंटेलिजेंस साझेदारी और क्षेत्रीय दबाव को बढ़ाना होगा।
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नए शिविरों की खोज, उनका निष्क्रिय करना और सेना को उन पर कार्रवाई करना कठिन होगा।
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अंतरराष्ट्रीय दबाव और पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति इस पूरी प्रक्रिया को उलझा सकते हैं।
“ऑपरेशन सिंदूर” ने आतंकवादियों को मजबूर किया है कि वे सुरक्षित ठिकानों की ओर पलायन करें। यह एक रणनीतिक बदलाव है — जिसमें लश्कर, जेएम और हिज़बुल समूहों ने पुराने शिविरों को छोड़कर अफगान सीमा के करीब नए प्रशिक्षण केंद्र बनाए हैं। भारत के लिए यह नई चुनौतियों और रणनीति परिवर्तन का समय है— जहां सतर्कता, इंटेलिजेंस और क्षेत्रीय सहयोग अब पहले से भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।
इस समाचार ने यह दिखाया है कि आतंकवाद के पक्षपातियों के रणनीतिक पैंतरे किस तरह बदल जाते हैं जब उन्हें दबाव में लाया जाए। अब देखना यह है कि भारत इस नये मोर्चे पर कैसे प्रतिक्रिया देता है और किस तरह भविष्य की चुनौतियों से निपटने की योजना बनाता है।