




फेस्टिव सीजन से ठीक पहले भारत और यूरोप के चार देशों के बीच ऐतिहासिक व्यापार समझौता लागू हो गया है। भारत ने यूरोपीय फ्री ट्रेड एसोसिएशन (EFTA) के साथ यह डील की है, जिसमें स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन शामिल हैं। यह करार न सिर्फ आयात-निर्यात के नए रास्ते खोलेगा, बल्कि घरेलू बाजार, खासकर सोने और आभूषणों के दाम पर भी गहरा असर डाल सकता है।
भारत और EFTA का समझौता
EFTA एक स्वतंत्र यूरोपीय ट्रेड ब्लॉक है जिसमें यूरोपीय संघ (EU) शामिल नहीं है। भारत और इस ब्लॉक के बीच यह समझौता लंबे समय से चर्चा में था। आखिरकार 2025 से यह डील लागू हो गई है। इस डील का उद्देश्य दोनों पक्षों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना है।
भारत ने इस समझौते के तहत 82.7% प्रोडक्ट कैटिगरीज पर रियायती ड्यूटी (Tariff Concession) की पेशकश की है। ये प्रोडक्ट कैटिगरीज EFTA से आने वाले आयात का 95.3% हिस्सा हैं। यानी यूरोप से आने वाले सामानों पर भारत में पहले से कम शुल्क लगेगा।
सोने की कीमतों पर क्या असर?
इस समझौते का सबसे बड़ा प्रभाव सोने के दामों पर पड़ सकता है। त्योहारों और शादी-ब्याह के सीजन में भारत में सोने की मांग सबसे ज्यादा रहती है। भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है और हर साल हजारों टन सोने का आयात करता है।
EFTA ब्लॉक में स्विट्जरलैंड दुनिया के सबसे बड़े सोना शोधन (Gold Refining) केंद्रों में गिना जाता है। भारत अब स्विट्जरलैंड से आने वाले सोने पर रियायती आयात शुल्क देगा। इससे सोने की कीमतों में गिरावट आ सकती है। इस वजह से फेस्टिव सीजन में आम उपभोक्ताओं को सोना खरीदना पहले से सस्ता मिल सकता है।
उपभोक्ताओं को लाभ
त्योहारों पर सोने की खरीदारी शुभ मानी जाती है। दशहरा, दीपावली और धनतेरस पर सोने की बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर होती है। डील लागू होने के बाद अनुमान है कि ज्वेलरी सेक्टर को कच्चे माल की लागत में राहत मिलेगी। इससे ज्वेलरी की कीमतें कम हो सकती हैं और बाजार में सोने-चांदी की खपत बढ़ सकती है।
भारत को क्या मिलेगा फायदा
यह ट्रेड डील सिर्फ सोने तक सीमित नहीं है। EFTA देशों से भारत को दवाइयाँ, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, घड़ियाँ, और अन्य हाई-टेक प्रोडक्ट्स भी आयात होते हैं। अब इन वस्तुओं पर कम शुल्क लगेगा। इससे भारतीय उपभोक्ताओं को बेहतर क्वालिटी के सामान सस्ते दामों में उपलब्ध होंगे।
साथ ही, भारत ने भी EFTA देशों को अपने मैन्युफैक्चरिंग, कृषि और आईटी सेक्टर के उत्पादों के लिए बाज़ार खोलने का अवसर दिया है। इससे भारत का निर्यात भी बढ़ेगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
निवेश और रोजगार पर असर
डील का एक अहम पहलू यह भी है कि EFTA ब्लॉक ने भारत में बड़े निवेश की योजना बनाई है। स्विट्जरलैंड और नॉर्वे जैसे देश टेक्नोलॉजी और हेल्थकेयर सेक्टर में निवेश करेंगे। सरकार का अनुमान है कि इससे भारत में लाखों नई नौकरियाँ पैदा हो सकती हैं।
चुनौतियाँ भी कम नहीं
हालाँकि यह डील फायदे का सौदा लग रही है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी सामने हैं। सोने के दाम गिरने से भारत का घरेलू खनन उद्योग और छोटे कारोबारी प्रभावित हो सकते हैं। इसके अलावा, विदेशी सामान सस्ते दामों में आने से भारतीय निर्माताओं को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है।
अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि इस समझौते का लंबी अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर होगा। बढ़ता हुआ व्यापार, निवेश और तकनीकी सहयोग भारत की आर्थिक वृद्धि को और तेज कर सकता है। वहीं, उपभोक्ताओं के लिए त्योहारों में सोना और अन्य यूरोपीय उत्पाद सस्ते होने से उत्साह और खरीदारी बढ़ेगी।
फेस्टिव सीजन में जब सोने की खरीदारी का दौर शुरू होता है, ठीक उसी समय भारत और EFTA के बीच ट्रेड डील लागू होना उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा तोहफा साबित हो सकता है। जहाँ सोना और आभूषण सस्ते होंगे, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था को निवेश और व्यापार में बढ़ोतरी से बल मिलेगा। यह समझौता भारत और यूरोप के बीच नए युग की शुरुआत का प्रतीक है।