




भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा हाल ही में कराए गए एक सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है कि भारत में केवल 9.5% परिवार ही शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड और अन्य निवेश उत्पादों में निवेश करते हैं। यह आंकड़ा देश की कुल 33.7 करोड़ परिवारों में से लगभग 32 मिलियन परिवारों का है। जबकि, 63% परिवारों को इन निवेश विकल्पों के बारे में जानकारी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वित्तीय साक्षरता और वास्तविक निवेश में एक बड़ा अंतर है।
यह सर्वेक्षण SEBI द्वारा 2025 में कराया गया था, जिसमें 92,000 से अधिक परिवारों को शामिल किया गया था। इस सर्वेक्षण में यह भी सामने आया कि शहरी क्षेत्रों में निवेश की प्रवृत्ति अधिक है, जहां 15% परिवार निवेश करते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा केवल 6% है। दिल्ली और गुजरात जैसे राज्यों में निवेश की दर क्रमशः 20.7% और 15.4% पाई गई।
सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि लगभग 80% भारतीय परिवार पूंजी संरक्षण को प्राथमिकता देते हैं और उच्च रिटर्न के मुकाबले जोखिम से बचना चाहते हैं। यह प्रवृत्ति सभी आयु समूहों में समान रूप से देखी गई है, जिसमें जेन-जेड (Gen-Z) परिवारों में भी 79% ने जोखिम से बचने की प्राथमिकता दी है।
निवेश में भागीदारी में कमी के प्रमुख कारणों में वित्तीय उत्पादों की जटिलता, जानकारी की कमी, विश्वास की कमी और वित्तीय हानि का डर शामिल हैं। सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि केवल 36% निवेशक ही वित्तीय बाजारों के बारे में मध्यम स्तर की जानकारी रखते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वित्तीय शिक्षा की आवश्यकता है।
SEBI के इस सर्वेक्षण से यह संकेत मिलता है कि भारतीय परिवारों में निवेश के प्रति जागरूकता बढ़ी है, लेकिन वास्तविक निवेश में भागीदारी में कमी है। यह सर्वेक्षण वित्तीय साक्षरता को बढ़ाने और निवेश के प्रति विश्वास बनाने की आवश्यकता को उजागर करता है, ताकि अधिक से अधिक परिवार निवेश के लाभों का लाभ उठा सकें।