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    सोने के दाम रिकॉर्ड उच्चता से नीचे आए, मुनाफा बुकिंग और अमेरिकी सरकार शटडाउन की चिंताओं के बीच गिरावट

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    सोने की कीमतों में शुक्रवार (3 अक्टूबर 2025) को गिरावट देखी गई, जिससे यह रिकॉर्ड उच्च स्तर से नीचे आ गया। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर दिसंबर डिलीवरी वाले सोने के वायदा (फ्यूचर्स) ₹643 यानी 0.55% गिरकर ₹1,16,945 प्रति 10 ग्राम पर बंद हुए। यह गिरावट पांच दिनों की लगातार बढ़ोतरी के बाद आई है, जब निवेशक मुनाफा सुरक्षित कर रहे थे।

    सोने की कीमतों में हालिया तेजी के चलते कई निवेशकों ने अपने मुनाफे को सुरक्षित करने के लिए बिक्री की। विशेषज्ञों के अनुसार, जब कीमतें रिकॉर्ड उच्च स्तर तक पहुंचती हैं, तो मुनाफा बुकिंग स्वाभाविक होती है क्योंकि निवेशक जोखिम कम करना चाहते हैं। इस बार भी यही हुआ और सोने के दामों में गिरावट आई।

    इसके साथ ही, अमेरिकी सरकार के संभावित शटडाउन की खबर ने वैश्विक बाजारों में अस्थिरता पैदा की है। अमेरिका की राजनीतिक स्थिति पर अनिश्चितता बढ़ने से निवेशक सतर्क हो गए हैं। अमेरिकी सरकार का शटडाउन वैश्विक आर्थिक विकास को प्रभावित कर सकता है, जिससे सुरक्षित निवेश माने जाने वाले सोने की मांग और कीमतों पर दबाव पड़ता है।

    फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति के रुख को लेकर भी निवेशकों में सतर्कता है। ब्याज दरों में संभावित बदलावों के चलते सोने की कीमतें प्रभावित हो रही हैं। ब्याज दरों के बढ़ने पर सोने की मांग में कमी आ सकती है क्योंकि सोना कोई ब्याज नहीं देता।

    MCX पर दिसंबर डिलीवरी के सोने के वायदा कारोबार में कुल 15,733 लॉट्स की ट्रेडिंग हुई। यह मात्रा दर्शाती है कि बाजार में निवेशक सक्रिय हैं और कीमतों के उतार-चढ़ाव पर नजर बनाए हुए हैं। पांच दिन की तेजी के बाद आई यह गिरावट अल्पकालिक बाजार सुधार के संकेत भी हो सकती है।

    मार्केट एनालिस्ट राजीव कुमार कहते हैं, “सोने की कीमतों में मुनाफा बुकिंग और अमेरिकी सरकार की स्थिति को लेकर चिंता के कारण गिरावट आई है। हालांकि, लंबे समय में सोना सुरक्षित निवेश का विकल्प बना रहेगा क्योंकि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं बनी हुई हैं।”

    उन्होंने यह भी कहा कि “निवेशकों को चाहिए कि वे बाजार के अल्पकालिक उतार-चढ़ाव से घबराएं नहीं और अपनी निवेश रणनीति को दीर्घकालिक नजरिए से रखें।”

    भारत में सोना केवल एक निवेश माध्यम नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी रखता है। त्योहारी सीजन के दौरान सोने की मांग में तेजी आती है, जिससे कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। ऐसे में वैश्विक बाजार की स्थिति और घरेलू मांग का संतुलन भारत में सोने की कीमतों को प्रभावित करता है।

    आगामी सप्ताह में यदि अमेरिकी सरकार शटडाउन की स्थिति टल जाती है और फेडरल रिजर्व की नीति स्थिर रहती है, तो सोने की कीमतों में फिर से मजबूती आ सकती है। हालांकि, निवेशकों को बाजार की खबरों पर लगातार नजर रखनी होगी।

    सोने की कीमतों में शुक्रवार को आई गिरावट ने निवेशकों को सचेत किया है। मुनाफा बुकिंग के साथ-साथ अमेरिकी सरकार के शटडाउन की आशंकाओं ने बाजार को प्रभावित किया है। लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, सोना अभी भी आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच निवेश के लिए एक सुरक्षित विकल्प है। निवेशकों को चाहिए कि वे बाजार के उतार-चढ़ाव के बीच धैर्य बनाए रखें और लंबी अवधि के नजरिए से ही निर्णय लें।

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