




ब्रिटेन में इतिहास रचा गया जब सारा मुलली (Sarah Mullally) को चर्च ऑफ इंग्लैंड (Church of England) की पहली महिला आर्चबिशप ऑफ कैंटरबरी (Archbishop of Canterbury) नियुक्त किया गया। यह पहली बार है जब 1,400 वर्षों के लंबे इतिहास में इस शीर्ष धार्मिक पद पर किसी महिला की नियुक्ति हुई है।
सारा मुलली की यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब चर्च को एक सशक्त और नीतिगत नेतृत्व की आवश्यकता है। यह निर्णय महिला सशक्तिकरण, धार्मिक समावेशिता और आधुनिक मूल्यों को दर्शाता है।
चर्च ऑफ इंग्लैंड, ब्रिटेन का राष्ट्रीय चर्च और एंग्लिकन कम्युनियन का प्रमुख अंग है। यह पद अब तक केवल पुरुषों के पास ही रहा है।
2014 में चर्च ने महिलाओं को बिशप बनने की अनुमति दी थी, और अब 2025 में जाकर यह ऐतिहासिक निर्णय सामने आया है।
यह कदम न सिर्फ ब्रिटेन बल्कि वैश्विक स्तर पर महिला नेतृत्व की दिशा में एक मजबूत संदेश भेजता है।
सारा मुलली एक पेशेवर नर्स रह चुकी हैं और ब्रिटेन सरकार में चीफ नर्सिंग ऑफिसर (Chief Nursing Officer) के पद पर कार्य कर चुकी हैं। बाद में उन्होंने धर्म सेवा की ओर रुख किया और लंदन की बिशप बनीं।
उनकी प्रशासनिक योग्यता, सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण और समाज सेवा के अनुभव ने उन्हें इस पद के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार बनाया।
“मेरे लिए यह सिर्फ एक व्यक्तिगत सम्मान नहीं है, बल्कि उन सभी महिलाओं की जीत है जिन्होंने वर्षों से चर्च की सेवा की है।”
– सारा मुलली, नियुक्ति के बाद
सारा मुलली की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब चर्च ऑफ इंग्लैंड बीते कुछ वर्षों से विवादों और आलोचनाओं का सामना कर रहा है।
पूर्व आर्चबिशप जस्टिन वेल्बी (Justin Welby) ने 2024 के अंत में इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे की प्रमुख वजह एक बाल यौन शोषण कवर-अप स्कैंडल था, जिससे चर्च की छवि को गहरा धक्का लगा।
ऐसे में एक नया, पारदर्शी और नैतिक नेतृत्व बेहद आवश्यक था, जिसे अब सारा मुलली के रूप में चर्च को मिला है।
सारा की नियुक्ति पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री, महिला संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने खुशी जताई।
प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया:
“यह नियुक्ति केवल चर्च के लिए नहीं, बल्कि पूरे ब्रिटेन के लिए गर्व का विषय है। यह महिला नेतृत्व और समानता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।”
हालांकि, कुछ रूढ़िवादी समूहों ने महिला को इस पद पर नियुक्त किए जाने पर आपत्ति जताई है, लेकिन चर्च के प्रवक्ताओं ने स्पष्ट किया है कि यह निर्णय चर्च की आधुनिक दृष्टिकोण और सुधारवादी नीति का हिस्सा है।
सारा मुलली के सामने कई चुनौतियाँ हैं:
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चर्च की गिरती हुई सदस्यता को बढ़ाना
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युवा पीढ़ी को चर्च से जोड़ना
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बाल यौन शोषण से जुड़ी छवियों को सुधारना
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समलैंगिक समुदाय के अधिकारों पर चर्च की स्पष्ट नीति बनाना
सारा मुलली ने इन सभी मुद्दों पर चर्च की भूमिका को आधुनिक और समावेशी बनाने का वादा किया है।
सारा मुलली की नियुक्ति एक मील का पत्थर है। यह न सिर्फ चर्च के अंदर लैंगिक समानता की दिशा में बदलाव को दर्शाता है, बल्कि यह संकेत भी देता है कि परंपरागत संस्थान भी समाज के बदलते मूल्यों के अनुरूप खुद को ढाल रहे हैं।